महाशिवरात्रि पर इस विधि से करें रुद्राभिषेक, महादेव की बरसेगी कृपा, मिलेगा पुण्य लाभ: Rudrabhishek
Rudrabhishek Puja on Shivratri

कैसे प्रकट हुए थे भगवान शिव? जानें इस कथा से

शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग को भगवान शिव के आदि और अनादि स्वरूप से संबंधित माना गया है। महादेव की उत्पत्ति से जुड़ी कथा शिवपुराण में मिलती है।

Shivratri Mythology: देवों के देव महादेव भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा। महादेव भक्तों के सबसे प्रिय देव माने जाते हैं। क्योंकि, शिवजी अपने भक्तों की भक्ति पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए महादेव भोलेनाथ भी कहलाते हैं।

भगवान शिव स्वयंभू माने जाते हैं। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा मूर्ति और लिंग दोनों के रूप में की जाती है। शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। मूर्ति के रूप में भगवान शिव के साकार रूप को पूजा जाता है तथा शिवलिंग के रूप में भगवान शिव के निराकार रूप को पुजा जाता है। शिवलिंग को भगवान शिव के आदि और अनादि स्वरूप से संबंधित माना गया है। शिवलिंग की उत्पत्ति का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। भगवान शिव के शिवलिंग के रूप में प्रकट होने के पीछे हिंदू धर्म शास्त्रों में कई कथाएं प्रचलित हैं। आज हम पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानेंगे महादेव के शिवलिंग के रूप में प्रकट होने की कथा विस्तार से।

Shivratri Mythology: ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर हुई थी बहस

Shivratri Mythology
Shivratri Mythology Story

लिंग महापुराण ग्रंथ के अनुसार, एक बार सृष्टि के रचयिता माने जाने वाले ब्रह्मा जी और सृष्टि सृजन अर्थात सृष्टि के पालनहार विष्णु जी के बीच श्रेष्ठता को लेकर बहस छिड़ गई। दोनों देव स्वयं को श्रेष्ठ बताने की होड़ करने लगे। जब दोनों देवों के बीच बहस बहुत बढ़ गई, तब ब्रह्माजी और विष्णु जी के बीच एक अग्नि की ज्वाला से जलता हुआ लिंग प्रकट हुआ। लिंग को देखकर दोनों देवों ने फैसला किया कि जो सबसे पहले इस लिंग के अंतिम छोर को ढूंढ लेगा वहीं श्रेष्ठ देव कहलायेगा।

इसके बाद ब्रह्मा जी और विष्णु जी दोनों लिंग के छोर को ढूंढने में लग गए। लेकिन, बहुत कोशिशों के बावजूद भी दोनों देव लिंग का छोर नहीं खोज पाए और वापस लौटने लगे। तब ब्रह्माजी ने स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए केतकी नाम के फूल से सहायता मांगी और कहा कि विष्णु जी के समक्ष जाकर कहना कि ब्रह्मा जी ने अंतिम छोर ढूंढ लिया है, जिसका साक्षी मैं हूं। ब्रह्मा जी के कपट को देखते हुए उस लिंग से रुद्रदेव प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी के झुठ के कारण श्राप दिया कि पृथ्वीलोक में आपकी पूजा नहीं होगी। इसके बाद रुद्रदेव ने केतकी पुष्प को पूजा में शामिल नहीं किए जाने का श्राप दिया।

ऐसे प्रकट हुए थे शिवलिंग से महादेव

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Shiv Ji Story

ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने हाथ जोड़कर रुद्रदेव से अपने स्वरूप में दर्शन देने की बात कही। तब रुद्रदेव ने कहा कि आप दोनों भी मेरे द्वारा ही उत्पन्न किए गए हैं। मैं अनादि काल से इसी स्वरूप में विद्यमान हूं और कुछ समय पश्चात मैं शिव के रूप में अवतार लूंगा। आप दोनों देव समान हैं तथा मेरे अवतार लेने के बाद भी हम तीनों समान होंगे। अतः हम तीनों में कोई श्रेष्ठ नहीं है। ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता और विष्णु जी सृष्टि के पालनहार तथा भगवान शिव सृष्टि के संहारक हैं। शिवलिंग के रूप में भगवान शिव अनादि काल से है तथा आगे भी इसी स्वरूप में पूजनीय रहेंगे।

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