सीखिए ग्लोबल लैंग्वेज, यानी इंग्लिश: Language Learning
Language Learning

Language Learning: इंग्लिश को ग्लोबल लैंग्वेज का दर्जा मिल ही चुका है। अगर आप भी सीखना चाहते हैं इस भाषा को तो यहां हम आपको कुछ सहज-सरल से टिप्स बता रहे हैं-

बात चाहे मातृभाषा की हो, राष्ट्रभाषा की हो या फिर किसी अंतर्राष्ट्रीय भाषा की, हर भाषा का अपना एक अलग ही आकर्षण होता है और अपना ही महत्त्व होता है। जहां मातृभाषा के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव होता है, वहीं राष्ट्रभाषा बड़े स्तर पर व्याप्त और कामकाज की भाषा होती है। प्रत्येक भाषा को सीखने की शुरुआत सुनने से होती है। फिर बारी आती है उसे बोलने की। उसके बाद सीखा जाता है लिखना और फिर कहीं जाकर समझ में आता है उसका व्याकरण। उदाहरण के लिए किसी छोटे बच्चे को ही ले लीजिए। वह सबसे पहले हमारी बातें सुनकर समझने की कोशिश करता है। फिर उसके उत्तर के रूप में टूटे-फूटे, अटपटे शब्दों द्वारा प्रतिक्रिया देने की कोशिश करता है। इसके बाद बारी आती है उसके शिक्षारंभ की, जब उसे लिखना सिखाया जाता है। व्याकरण सीखने का सिलसिला शुरू होता है स्कूल जाने के बाद से। यह होता है एक भाषा सीखने का समान्य रूप।

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अब अगर हमें इंग्लिश सीखनी है तो उस पर भी नियम तो यही लागू होता है, लेकिन ज्यादातर जगहों पर उल्टा ही चलन है। वहां सबसे पहले सारा ज़ोर व्याकरण सिखाने और लिखने तक सीमित करके अंत में बोलना सिखाने पर ध्यान दिया जाता है। कुछ ही जगहों पर ये अपवाद देखने को मिलेगा।
भाषा को सीखने का सही तरीका ये है कि सबसे पहले उस भाषा में सोचना और बोलना शुरू करें। यदि उस भाषा से संबंधित किताब में किसी बात को कहने के लिए एक वाक्य का प्रयोग किया गया तो ये बिल्कुल ज़रूरी नहीं है कि आपको उसी एक वाक्य पर अटक जाना है। उस स्थिति की कल्पना करते हुए अपने तौर पर वाक्य बनाने के प्रयास कीजिए।
नई भाषा को सीखने के दौरान गलतियां भी होंगी। ऐसे में अगर आप इस बात पर हिचक रहे हों कि कोई आप की गलती पर हंसने न लगे तो आप भाषा तो क्या, कोई भी काम कभी नहीं सीख पाएंगे। हमारी सलाह है कि बिना किसी झिझक के उस भाषा का प्रयोग अपनी बोलचाल में कीजिए।
टीवी प्रोग्राम्स देखने में भी इंग्लिश मूवी, सीरियल, कार्टून शो या संगीत को प्राथमिकता दीजिए, क्योंकि ये मनोरंजक होने के कारण आसानी से समझ में आते हैं। बाद में टॉक शो या न्यूज़ देखनी शुरू कीजिए, ताकि आपको बोरियत न हो।
अक्सर बड़े कामों की शुरुआत छोटी कोशिशों से हो होती है और याद रखिए, ईमानदार कोशिशें कभी बेकार नहीं जाती हैं।