sampad ki kalam se editorial review
sampad ki kalam se editorial review

Editorial Review: मई का महीना अपने साथ एक खास मिठास लेकर आता है, मौसम में भी और रिश्तों में भी। यही वह समय है जब हम जीवन में मां के उस अपार योगदान को याद करते हैं, जो हमारे अस्तित्व की बुनियाद है। इस बार गृहलक्ष्मी का मई अंक हम सबकी जिंदगी की सबसे मजबूत नींव ‘मां’ को समर्पित है। इस विशेषांक में हमने पेरेंटिंग के उस बदलते स्वरूप पर बात की है, जो आज की डिजिटल दुनिया में नई चुनौतियां लेकर आया है।

आज के माता-पिता न केवल बच्चों को जीवन के मूल्यों से जोड़ने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, बल्कि उन्हें डिजिटल जाल से भी सही दिशा देने की चुनौती का सामना कर रहे हैं। हमने कोशिश की है कि आपके लिए ऐसे लेख लेकर आएं, जो न सिर्फ आपकी पेरेंटिंग यात्रा को आसान बनाएं, बल्कि उसे आज के समय के अनुसार भी संवारे। इस अंक में सरोकार खंड के अंतर्गत हमने उन जज्बे से भरी महिलाओं की कहानियां भी शामिल की है जो मां बनने के बाद भी अपने सपनों को पंख देना नहीं भूलीं। वे न सिर्फ अपने बच्चों की पहली गुरु हैं, बल्कि सफल इन्तेर्प्रेन्योर भी हैं। उनकी कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि मातृत्व और करियर दोनों को एक साथ खूबसूरती से जिया जा सकता है। ये महिलाएं सच्चे अर्थों में गृहलक्ष्मी हैं- जो घर भी संवारती हैं और अपने सपनों की दुनिया भी। मई का यह अंक, मां की ममता के साथसाथ उनकी महत्वाकांक्षाओं, संघर्षों और सफलताओं को भी सलाम करता है। हमने फैशन और ब्यूटी में भी ऐसी चीजें शामिल की हैं जो एक व्यस्त मां की जिंदगी को थोड़ा और आसान, थोड़ा और सुंदर बना सकें।
गृहलक्ष्मी का प्रयास हमेशा से यही रहा है, आपकी भावनाओं को शब्द देना, आपके जीवन से जुड़े छोटे-बड़े पहलुओं को अपनी सामग्री में समेटना।

आपकी….
वंदना वर्मा