बार-बार टोकने से बच्चा होगा कमजोर, बदलें आदत
Parenting Tips

Parenting Tips: हमारी जीवनशैली समय के साथ काफी बदल गई है,
जिसके दुष्परिणाम हैं ढेरों बीमारियां और तनाव। इससे
बचाव के लिए इन्हें दुरूस्त करना जरूरी है।

आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में जब बच्चों को अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेने से लेकर अच्छी नौकरी पाने का बहुत अधिक दबाव रहता है तो ऐसे में अभिभावक का परेशान होना लाजमी है। वहीं, दूसरी ओर स्मार्ट फोन से लेकर सोशल मीडिया तक ऐसी कई चीजें हैं, जो बच्चों के ध्यान भटकाने की वजह बन सकते हैं। इस वजह से अभिभावक और भी अधिक चिंतित होते हैं। अमूमन इस स्थिति में वे बच्चों की अच्छी प्रदर्शन के लिए उन पर दबाव बनाते हैं, उन्हें डांटते हैं या फिर बार-बार टोकते हैं। इतना ही नहीं, वे बच्चों को लगातार लंबे समय तक पढ़ाई करने, अपने गैजेट्स का इस्तेमाल ना करने या फिर खेलने के लिए बाहर जाने या अपने दोस्तों से मिलने से मना करते हैं। हो सकता है कि आप बतौर अभिभावक खुद को सही ठहराते हों, लेकिन वास्तव में इससे बच्चे पर बहुत अधिक नकारात्मक असर हो सकता है। जानिए इस लेख में-

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अगर आप बच्चों को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बार-बार उन पर दबाव बनाते हैं तो यह बिल्कुल भी कारगर तरीका नहीं है। ऐसा करने से अभिभावक और बच्चों के बीच एक बड़ी दरार पैदा हो सकती है। वे अक्सर अपने पैरेंट्स के साथ बैठने और समय बिताने से बचते हैं। उन्हें लगता है कि उनके पैरेंट्स फिर से यही बात करेंगे कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। इस तरह की बातचीत से बच्चे में चिड़चिड़ापन, डर या शॄमदगी की भावना आ सकती है।

अक्सर पैरेंट्स बच्चे की परफार्मंेस की तुलना दूसरों से करते हैं और उन्हें फिर से टोकते हैं। हालांकि, ऐसा करने से उनके आत्मविश्वास पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इतना ही नहीं, जब पैरेंट अपने बच्चे के लिए सब कुछ खुद करना चाहते हैं तो ऐसे में उनके लिए अपनी काबिलियत और क्षमताओं को पहचानने में परेशानी होती है। जिसके कारण उनके भीतर का आत्मविश्वास काफी कमजोर हो जाता है। यहां तक कि वे जीवन में आने वाली परेशानियों का सामना भी नहीं कर पाते हैं।

यह सच है कि बच्चे के पहले शिक्षक उसके माता-पिता ही होते हैं। इतना ही नहीं, अपने बच्चों को सही निर्णय लेने के लिए पैरेंट्स को उनका मार्गदर्शन करना चाहिए। लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि आप सही साधन का चयन करें। उन्हें बार-बार कमियां गिनाने, डांटने या टोकने की जगह उनसे बात करने के लिए समय निकालें। यह समझने का प्रयास करें कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है। कभी भी बच्चे को यह ना बताएं कि उन्हें क्या करना है। ऐसा करके आप उनकी समस्याओं को चुटकी में हल कर देते हैं। बल्कि उनसे यह जानने का प्रयास करें कि वह क्या करना चाहते हैं। इसी बातचीत में आप अपनी राय भी रख सकते हैं।

हर वक्त बच्चे को टोकने या फिर समस्या का समाधान बताने की जगह उनके भीतर अच्छी आदतें डालें। आप उन्हें रोल मॉडल की कहानियां सुनाएं। साथ ही साथ, मेहनत करने के फायदों के बारे में समझाएं। उन्हें इनाम और सजा के चक्कर में फंसने के बजाय अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करें। हमेशा याद रखें कि बच्चों को उनके कार्यों के परिणामों का सामना करने देना भी बेहद ही महत्वपूर्ण है। असफलता में अक्सर एक बच्चे को किसी भी सफलता से अधिक सिखाने की क्षमता होती है। इससे बच्चा अपनी क्षमताओं का अधिकतम इस्तेमाल करना सीखता है, जो आपके रोकने-टोकने से कभी भी नहीं होने वाला।
यह सच है कि बच्चे के लिए ग्रेड भी महत्वपूर्ण हैं लेकिन सफलता के लिए और भी बहुत कुछ है। अगर हमें आत्मविश्वासी और सफल बच्चों की परवरिश करनी है, तो बच्चे को केवल परीक्षा के अंक से ना आंके। अपने बच्चे को शिक्षा के अलावा अन्य रुचियों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करें, फिर चाहे वह खेल हो या कुछ क्रिएटिव। बच्चे के साथ अपने भावनात्मक संबंध को मजबूत करें। उनके साथ अपने जीवन के कुछ अनुभव शेयर करें। साथ ही साथ, उनकी बातों को भी जिज्ञासा के साथ सुनें। ऐसा करने से बच्चा खुद को अधिक बेहतर तरीके से आपके सामने रख पाएगा। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा यह समझे कि उसकी परवाह की जाती है और उसे प्यार किया जाता है, फिर चाहे कुछ भी हो।