रेसपॉन्ड करें रिएक्ट न करें
रिएक्शन हमेशा तत्काल होता है I जब हम बिना सोचे समझे कुछ कह देते हैं या कुछ कर जाते हैं वो रिएक्शन कहलाता है | इसका आधार हमारे अवचेतन मन में मौजूद हमारी खुद की मान्यताएं और पूर्वधारणाये होती हैं l ज्यादातर स्थितियों में रियेक्ट करने के बाद हमें पछतावा होता है क्योंकि हम उसके परिणाम पर ध्यान नहीं देते हैं l इसके विपरीत रेस्पॉन्ड करने का मतलब होता है कि हम सोच समझकर विचार शीलता के साथ धैर्य से, आवेग के बिना जवाब देते हैँ l बुद्धिमान व्यक्ति सोच समझकर जवाब देता है जबकि एक मूर्ख व्यक्ति रिएक्ट करता है l
प्रतिक्रिया देने से बचने के लिए हम अपने दिमाग को कैसे तैयार कर सकते हैं
When you REACT ,you are giving away your power
यह नहीं है कि आपके साथ क्या होता है लेकिन आप इस पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं यह मायने रखता है “एपिक्टेटस”
रेस्पॉन्ड करने की आदत बनाने के लिए हमें अपने मन को सबसे पहले यह समझाना होगा कि हम दूसरों के द्वारा किए गए कार्यों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं I हर व्यक्ति के बात करने,सोचने और कार्य करने के अपने तरीके होते हैं जो हम नहीं बदल सकते लेकिन हम उनकी बात पर अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित कर सकते हैं,यह 100% हमारे हाथ में है l
जब हम उनके द्वारा किए गए कार्यों पर नकारात्मक तरीके से अपनी प्रतिक्रिया देते हैं तो हम केवल अपनी मानसिक शांति हो खराब करते हैं
प्रतिक्रिया देना या जवाब देना
You have the ability to choose your reactions, use it ,choose them in the right way
एक प्रेरणादायक कहानी जिसके द्वारा हम अपने जीवन के इस सबसे महत्वपूर्ण सबक को सीख सकते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं l यह कहानी है दो दोस्तों की हैरी और विनायक l यह थे तो दोनों बहुत पक्के दोस्त पर इनके स्वभाव थे एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत l हैरी बहुत गुस्से वाले स्वभाव का था lउसे बात बात पर आवेग आ जाता था और किसी की भी पूरी बात सुने बिना ही भड़क उठता था l रियेक्ट करना उसकी रोजमर्रा की आदत में शामिल हो चुका था l कोई भी उससे बात करता था वह गुस्से से ही जवाब देता था l आवश्यकता हो या ना हो वह सदा प्रतिक्रिया ही देता था l बदले में उसे क्या मिलता होगा जरा सोचें? वह हर पल अपनी शांति खो रहा था I उसे सर दर्द की शिकायत रहने लगी थी और वो अपने काम पर फोकस भी नहीं कर पाता था l एक ट्रिगर ही काफी था उसे इमोशन में लाने के लिए l
इसके विपरीत उसका दोस्त विनायक बहुत शांत और संवेदनशील व्यक्ति था l बड़ी से बड़ी बात होने पर भी वह शांति से समाधान की विषय में सोचता था धैर्य के साथ जीवन की हर चुनौती को शांति से सुलझाते हुए मानसिक थहराव के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था l इसका फायदा भी उसे ही मिल रहा था सबके साथ मधुर संबंध स्थापित करते हुए वह जीवन के हर पल की मौज ले रहा था l अगर कोई दूसरा भी उससे आवेग के साथ बात करता होता था तो उसका भी जवाब वह बहुत शांति से देता था जिसके परिणाम स्वरुप सामने वाला भी शांत हो जाता था l उसे चैन की नींद आती थी, अपने काम पर उसका ध्यान केंद्रित रहता था l पूरा दिन काम करने के बाद भी उसे थकावट नहीं होती थी और सदा फ्रेश फील करता था l
अपने लिए क्या चुने
Before you act, Listen. Before you React think
आज हम सबके पास भी यह विकल्प है कि या तो हम हैं हैरी की तरह अपने आसपास होने वाली हर चीज पर प्रतिक्रिया देते रहें और अपने जीवन के आनंद और शांति के पल खो कर जिए या विनायक की तरह अपने आस-पास हो रही चीजों को बुद्धिमानी और शांति से सुलझाये l समझदारी इस बात में है कि जिन परिस्थितियों को हम बदल नहीं सकते उन्हें जैसी वह है वैसा ही स्वीकार कर ले और अपने लिए वो रास्ता चुनें जो हमारे लिए बेहतर है l
यह भी देखें-आखिर क्यों शादी के बाद चिड़चिड़ी हो जाती है महिलाएं, आप भी जान लें इसके पीछे का फैक्ट: Irritability After Marriage
चॉइस आपकी है रियेक्ट करें और अपने लिए और समस्याएं पैदा करें या फिर रेस्पॉन्ड करें और अपने जीवन को आसान बनाएं l
React and Respond Difference: रिएक्शन हमेशा तत्काल होता है I जब हम बिना सोचे समझे कुछ कह देते हैं या कुछ कर जाते हैं वो रिएक्शन कहलाता है | इसका आधार हमारे अवचेतन मन में मौजूद हमारी खुद की मान्यताएं और पूर्वधारणाये होती हैं l ज्यादातर स्थितियों में रियेक्ट करने के बाद हमें पछतावा होता है क्योंकि हम उसके परिणाम पर ध्यान नहीं देते हैं l इसके विपरीत रेस्पॉन्ड करने का मतलब होता है कि हम सोच समझकर विचार शीलता के साथ धैर्य से, आवेग के बिना जवाब देते हैँ l बुद्धिमान व्यक्ति सोच समझकर जवाब देता है जबकि एक मूर्ख व्यक्ति रिएक्ट करता है l
प्रतिक्रिया देने से बचने के लिए हम अपने दिमाग को कैसे तैयार कर सकते हैं

यह नहीं है कि आपके साथ क्या होता है लेकिन आप इस पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं यह मायने रखता है “एपिक्टेटस”
रेस्पॉन्ड करने की आदत बनाने के लिए हमें अपने मन को सबसे पहले यह समझाना होगा कि हम दूसरों के द्वारा किए गए कार्यों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं I हर व्यक्ति के बात करने,सोचने और कार्य करने के अपने तरीके होते हैं जो हम नहीं बदल सकते लेकिन हम उनकी बात पर अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित कर सकते हैं,यह 100% हमारे हाथ में है l
जब हम उनके द्वारा किए गए कार्यों पर नकारात्मक तरीके से अपनी प्रतिक्रिया देते हैं तो हम केवल अपनी मानसिक शांति हो खराब करते हैं
प्रतिक्रिया देना या जवाब देना

एक प्रेरणादायक कहानी जिसके द्वारा हम अपने जीवन के इस सबसे महत्वपूर्ण सबक को सीख सकते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं l यह कहानी है दो दोस्तों की हैरी और विनायक l यह थे तो दोनों बहुत पक्के दोस्त पर इनके स्वभाव थे एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत l हैरी बहुत गुस्से वाले स्वभाव का था lउसे बात बात पर आवेग आ जाता था और किसी की भी पूरी बात सुने बिना ही भड़क उठता था l रियेक्ट करना उसकी रोजमर्रा की आदत में शामिल हो चुका था l कोई भी उससे बात करता था वह गुस्से से ही जवाब देता था l आवश्यकता हो या ना हो वह सदा प्रतिक्रिया ही देता था l बदले में उसे क्या मिलता होगा जरा सोचें? वह हर पल अपनी शांति खो रहा था I उसे सर दर्द की शिकायत रहने लगी थी और वो अपने काम पर फोकस भी नहीं कर पाता था l एक ट्रिगर ही काफी था उसे इमोशन में लाने के लिए l
इसके विपरीत उसका दोस्त विनायक बहुत शांत और संवेदनशील व्यक्ति था l बड़ी से बड़ी बात होने पर भी वह शांति से समाधान की विषय में सोचता था धैर्य के साथ जीवन की हर चुनौती को शांति से सुलझाते हुए मानसिक थहराव के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था l इसका फायदा भी उसे ही मिल रहा था सबके साथ मधुर संबंध स्थापित करते हुए वह जीवन के हर पल की मौज ले रहा था l अगर कोई दूसरा भी उससे आवेग के साथ बात करता होता था तो उसका भी जवाब वह बहुत शांति से देता था जिसके परिणाम स्वरुप सामने वाला भी शांत हो जाता था l उसे चैन की नींद आती थी, अपने काम पर उसका ध्यान केंद्रित रहता था l पूरा दिन काम करने के बाद भी उसे थकावट नहीं होती थी और सदा फ्रेश फील करता था l
अपने लिए क्या चुने

आज हम सबके पास भी यह विकल्प है कि या तो हम हैं हैरी की तरह अपने आसपास होने वाली हर चीज पर प्रतिक्रिया देते रहें और अपने जीवन के आनंद और शांति के पल खो कर जिए या विनायक की तरह अपने आस-पास हो रही चीजों को बुद्धिमानी और शांति से सुलझाये l समझदारी इस बात में है कि जिन परिस्थितियों को हम बदल नहीं सकते उन्हें जैसी वह है वैसा ही स्वीकार कर ले और अपने लिए वो रास्ता चुनें जो हमारे लिए बेहतर है l
चॉइस आपकी है रियेक्ट करें और अपने लिए और समस्याएं पैदा करें या फिर रेस्पॉन्ड करें और अपने जीवन को आसान बनाएं l
