जीना चाहते हैं सुखी जीवन तो अपनाएं ये सिद्धांत: Principle of Happy Life
Principle of Happy Life

Principle of Happy Life: प्रसिद्ध दार्शनिक जेरेमी बेथम का सिद्धांत कहता है कि जिस कार्य से आनंद में वृद्धि होती है तो वह उपयोगी है, क्योंकि उससे सुख की प्राप्ति होती है और दुख का निवारण होता है। सच्चा सुख वही है जिससे न केवल आप आनंदित हो, बल्कि आपके आसपास के लोग भी सुखी महसूस करें।

वर्तमान में रहें

सुखी रहने के लिए हमेशा वर्तमान को ध्यान में रखें, क्योंकि भूतकाल या भविष्य के विषय में अत्यधिक सोचने से आपका वर्तमान नष्ट होता है। यही सोच आपके दुख का कारण बनता है।

जीवन में सुख पाने की चाहत तो हम सभी की होती है लेकिन फिर भी शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो अपने जीवन में सुख का अनुभव कर रहा हो। हो सकता है कि आपको अपने जीवन में क्षणिक सुख मिल भी जाए, लेकिन हमेशा खुशहाल रहने के लिए कुछ सिद्धांतों को अपनाना पड़ता है। जी हां, सुखी जीवन के भी अपने कुछ सिद्धांत होते हैं। जब आप इन सिद्धांतों पर अपना जीवन जीते हैं तो आपका मन कभी भी दुखी नहीं होता। यहां तक कि विपरीत परिस्थितियों में भी व्यक्ति खुश रहने का प्रयास करता है। तो चलिए जानते हैं इन सिद्धांतों के बारे में-

दूसरों को खुशी देने का करें प्रयास

यह जीवन का एक अटूट सत्य है। आप दूसरों को जो देते हैं, वही आपको वापस मिलता है। अगर आप किसी की मदद करते हैं, तो भगवान किसी ना किसी रूप में आकर आपकी मदद करते हैं। ठीक इसी तरह, अगर आप किसी को प्यार दोगे तो आपको प्यार मिलेगा। किसी दूसरे को खुशी दोगे, तो आपको भी खुशी ही मिलती है। इसलिए अगर आप अपने जीवन में सुख चाहते हैं तो ऐसे में आप दूसरों को सुख देने का प्रयास करें। प्रकृति में भी हर चीज दूसरों के लिए ही है। कहा भी गया है- नदी ना पीये, अपना जल, पेड़ ना खाए अपना फल।

विचारों में हो सकारात्मकता

अधिकतर लोगों के जीवन में दुख या परेशानी की मुख्य वजह उनकी सोच भी है। आपको शायद पता ना हो, लेकिन जीवन में आपके साथ वैसा ही होता है, जैसा आप सोचते हैं। इसलिए हमेशा अपने विचारों में सकारात्मकता रखें। अगर हम अपने विचारों को सकारात्मक रखते हैं तो इससे ना केवल जिन्दगी में आगे बढ़ने के रास्ते खुलते हैं। बल्कि जीवन हमेशा सुखी रहता है।

उतार-चढ़ाव के लिए रहें तैयार

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। लेकिन अक्सर हम इस नियम की अनदेखी करते हैं और इसलिए जीवन में व्यक्ति को दुख का सामना करना पड़ता है। दरअसल, जीवन में जब अच्छा वक्त होता है तो हम बेहद खुश होते हैं और यह सोचते हैं कि हमारे जीवन में खुशियां हमेशा ऐसी ही बनी रहेंगी। लेकिन जीवन में बदलाव आता ही है। ऐसे में जब हम मानसिक रूप से विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं होते हैं तो इससे हमारे लिए इस स्थिति में खुद को संभालना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमेशा खुद को जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रखें। अगर आपके जीवन में कोई परेशानी आती है तो यह समझ लें कि यह समय कुछ वक्त के लिए ही है और जल्द ही यह वक्त भी चला जाएगा। जब आप हर परिस्थिति में खुद को एकसमान रखते हैं तो इससे आपको हमेशा ही सुख का अहसास होता है।

अपने कर्मों पर दें ध्यान

अगर आप जीवन में सुख चाहते हैं तो हमेशा ही अपने कर्मों पर ध्यान दें, क्योंकि आप जैसा बीज बोओगे, फल भी आपको वैसा ही मिलेगा। अगर आप अच्छे कर्म करते हैं और किसी भी काम में दूसरों की भलाई ढूंढते हैं तो इससे आपका जीवन हमेशा ही सुखी बना रहता है। श्रीमद्भगवत् गीता में भी कहा गया है-
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि।।
अर्थात् इंसान को केवल अपना कर्म करना चाहिए, उसके फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। जो लोग ऐसा करते हैं, सुख कभी भी उनके जीवन से दूर नहीं होता।

दूसरों की ना करें देखादेखी

एक पुरानी कहावत है कि इंसान जीवन में अपने दुख से नहीं, बल्कि दूसरों के सुख से दुखी है। यह बात काफी हद तक सच है। अक्सर हमारा ध्यान दूसरों पर अधिक होता है, जिससे वह कहीं ना कहीं मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है। इसलिए दूसरे क्या कर रहे हैं, इस पर बहुत अधिक ध्यान ना दें। आप अपने रास्ते पर प्रभु का सिमरण करते हुए आगे बढ़ते जाएं, तो प्रभु स्वयं आपके रास्ते प्रशस्त करेंगे। अगर आप इस सिद्धांत पर आगे बढ़ेंगे तो इससे आपको जीवन में कभी भी दुख का सामना नहीं करना पड़ेगा।