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कूग कैसे जाना है, कब जाना और कहां घूमना है, ये जानें

कूर्ग में पर्यटन स्थल भी काफी अच्छे हैं और साल भर इस जगह पर सैलानियों की भीड़ रहती है। आप भी अगर इस जगह की यात्रा का मन बना रहे हैं तो इस लेख में इससे सम्बंधित पूरी जानकारी दे रहे हैं ताकि आपकी यात्रा रोमांचक बन सके।

दक्षिण पश्चिमी कर्नाटक के पश्चिमी घाट में स्थित कूर्ग को देश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। आपको बता दूं कि कूर्ग का मूल नाम कभी कोडागु हुआ करता था, जोकि एक अलग राज्य था जिसका बाद में मैसूर में विलय हो गया। यह जगह बहुत ही मनोरम है और अपने सुहाने मौसम प्राकृतिक वातावरण के लिए जाना जाता है। उष्णकटिबंधीय जलवायु होने के कारण कूर्ग आमतौर पर ठंडा होता है लेकिन इसके घने और हरे भरे आवरण के कारण मानसून में भारी वर्षा होती है। कूर्ग में पर्यटन स्थल भी काफी अच्छे हैं और साल भर इस जगह पर सैलानियों की भीड़ रहती है। आप भी अगर इस जगह की यात्रा का मन बना रहे हैं तो इस लेख में इससे सम्बंधित पूरी जानकारी दे रहे हैं, ताकि आपकी यात्रा रोमांचक बन सके।

कूर्ग कैसे पहुंचे

वायु : बैंगलोर और मैंगलोर दोनों हवाईअड्डों पर दुनिया भर से उड़ानें आती हैं। कूर्ग का निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर है जोकि लगभग 153 किमी दूर है। बैंगलोर हवाई अड्डा थोड़ा और दूर है, लगभग 250 किमी। दैनिक उड़ानें शेष भारत को इन दोनों हवाई अड्डों से जोड़ती हैं।

रेल : कूर्ग का निकटतम रेलवे स्टेशन मैसूर में है जोकि लगभग 106 किलोमीटर दूर। यहां से आप निजी वाहन अथवा टैक्सी किराए पर लेकर कूर्ग पहुंच सकते हैं। मैसूर से कूर्ग के लिए तमाम बसे भी चलती हैं। 3 घंटे की यात्रा के बाद इस जगह पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

सड़क मार्ग : यह मैंगलोर और हासन से केवल 3-4 घंटे की ड्राइव पर है। जबकि बैंगलोर कूर्ग से करीब 6 घंटे की दूरी पर है। कूर्ग जाने के लिए कर्नाटक के आसपास से उपलब्ध केएसआरटीसी बसों में भी सवार हो सकते हैं। इस रास्ते से गुज़रते हुए आपको प्रकृति का सुखद अहसास होगा ।

कूर्ग घूमने का सबसे अच्छा समय

कूर्ग अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण साल भर आकर्षक रहता है। आप किसी भी मौसम में कूर्ग की यात्रा करें, यह कभी आपको निराश नहीं करेगा। लेकिन यात्रा करने का सबसे अच्छा समय निश्चित रूप से अक्टूबर से मार्च तक होगा। मानसून खत्म होने और सर्दियां शुरू होने के साथ, दिन सुहावने और रातें सुखद और सर्द होती हैं।

कूर्ग में आप क्या-क्या कर सकते हैं?

कॉफी बागानों की सैर

कूर्ग भारत में कॉफी के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। जिससे तरह-तरह के मसाले भी बनते हैं। ये बागान पर्यटकों के भ्रमण के लिए खुले हैं। सैलानी इन जगहों पर आकर कॉफी बागानों की सैर करते हैं। यदि कोई काफ़ी उत्पादन अथवा इसकी प्रक्रिया के बारे में जानना समझना चाहता है तो इस जगह पर आ सकता है। आपको इस जगह पर पहुँचकर एक अलग तरह का अनुभव होगा जो यात्रा के बाद भी आपको याद रहेगा।

ट्रेक, रॉक क्लाइम्बिंग और फिशिंग

होनामनकेरे सोमवारपेट शहर से छह किलोमीटर दूर स्थित है। यह कूर्ग का एक पवित्र स्थान और ख़ूबसूरत पर्यटक आकर्षण है। कई लोग इस जगह पर देवी होन्नम्मा के दर्शन तो कई प्रकृति की प्रचुर सुंदरता को निहारने के लिए आते हैं। ट्रेकिंग और लंबी पैदल यात्रा के शौकीनों के बीच यह स्थान काफ़ी पसंद किया जाता है। इस जगह पर आपको आकर अच्छा लगेगा। इस जगह पर आप मछली पकड़ने के शौक़ को भी पूरा कर सकते हैं।

साहसिक खेलों का ले मज़ा

कूर्ग विभिन्न प्रकार के साहसिक खेलों के लिए भी जाना जाता है। कूर्ग में आप ट्रेकिंग के अलावा, राफ्टिंग, माइक्रो लाइट फ्लाइंग और पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं। बारापोल नदी में व्हाइट रिवर राफ्टिंग की जा सकती है। पोन्नमपेट से माइक्रो लाइट फ्लाइंग की जा सकती है। मडिकेरी से कुशलनगर तक जिप लाइनिंग की सुविधा उपलब्ध है। कूर्ग आपने सैलानियों को कभी भी किसी मायने में निराश नहीं करता, बस आप रोमांच के लिए तैयार रहें।

पुष्पगिरी वन्यजीव अभयारण्य

यह भारत में 21 वन्यजीव अभयारण्यों में से सबसे अलग है क्योंकि यह पक्षियों की कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है। अभयारण्य में ही कदमक्कल भी है, जो यहां की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है और प्रस्तावित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।

कूर्ग घूमने के लिए प्रमुख पर्यटन स्थल 

नाम्ड्रोलिंग मठ

मदिकेरी से तकरीबन 35 किमी की दूरी पर स्थित नाम्ड्रोलिंग मठ कर्नाटक के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। इसका निर्माण 1969 ईस्वी के दौरान किया गया था। यह कभी तिब्बतियन शिक्षा का एक बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था जिसे देखने के लिए आज भी दूर दूर से सैलानी आते हैं। इस पूरे मंदिर परिसर में मंदिर की दीवारों पर कई अलग-अलग तरह की नक्काशी और चित्रकारिओं को देखा जा सकता है।

ओंकारेश्वर मंदिर

लिंगराजेंद्र द्वितीय द्वारा 1830 ईस्वी के दौरान निर्मित ओंकारेश्वर मंदिर को कुर्ग के सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर अपनी आसपास की पहाड़ियों और नदियों की वजह से काफ़ी सुंदर दृश्य उत्पन्न करता है। इस जगह पर जाकर आप पुराने समय की नक्काशी एवं वास्तुकला को देख सकते हैं। इस जगह पर आपको वास्तुकला की अनोखी झलक दिखेगी।

भगामंडला

भगामंडला को कूर्ग के एक प्रमुख दर्शनीय स्थल के रूप में भी जाना जाता है। भगामंडला में कावेरी कनिका एवं सुज्योति तीन नदियों का संगम होता है, यही कारण है कि इस जगह को त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है। यह दर्शनीय स्थल लाखों लोगों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। इस जगह पर दूर दूर से सैलानी घूमने के लिए आते हैं और श्रद्धालुओं की काफी ज्यादा भीड़ देखी जाती है।

मोदिकेरी किला

मोदिकेरी किला देश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। पौराणिक समय में निर्मित  यह क़िला पर्यटकों द्वारा काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। पुराने समय में इस किला को मर्करा किला के नाम से जाना जाता था। निर्माण के कुछ सालों के उपरांत मैसूर सरकार द्वारा इस किले का नाम बदलकर मोदिकेरी किला कर दिया गया। कुर्ग की यात्रा करते हैं तो इस किला को देखना बिल्कुल भी नहीं भूलें।

कूर्ग का खानपान  

कूर्ग में खानपान की अपनी संस्कृति है इसलिए इस जगह पर आकर यहां के स्थानीय व्यंजनों को मिस नहीं कर सकते, जिन्हें कोडवा व्यंजन के रूप में जाना जाता है। अक्की रोटी, पुलाव और पुट्टू जैसी स्थानीय व्यंजनों को सूखी मछली और केकड़े के मांस के साथ आप आजमा सकते हैं। इसके अलावा, बैम्बू शूट्स से बनी बैंबाले करी, जंगली मशरूम वाली कुम्म करी और कच्चे कटहल के साथ चेक्के करी का लुत्फ उठाना न भूलें। 

कूर्ग से खरीददारी 

आप ख़रीददारी के लिए किसी भी स्थानीय बाजार में जा सकते हैं। सैलानी यहाँ के बाज़ारों से सबसे ताज़े और सबसे सुगंधित मसाले अपने घर ले जाते हैं, कूर्ग से आप अपन घर के लिए कॉफी और हस्तशिल्प भी खरीद सकते हैं। यह बहुत कम लोगों को पता है कि शहद कूर्ग के सबसे मूल्यवान उत्पादों में से एक है। इसलिए आप इसकी भी ख़रीददारी कर सकते हैं। 

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...