फूलों की घाटी की ख़ास बात
1931 में फ्रैंक स्मिथ ने इस स्थान की खोज की थी। फूलों की घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया।
Valley of Flowers Trip: फूलों की घाटी हमारे देश का एक बहुत ही ख़ूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। जिसे देखने के लिए दुनिया भर से सैलानी आते हैं। 1931 में फ्रैंक स्मिथ ने इस स्थान की खोज की थी। फूलों की घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया। इस घाटी में आकर आप एक साथ सैकड़ों फूलों की वरायटी को देख सकते हैं। इस घाट के मौसम और सौंदर्य को देख सकते हैं। यह जगह पर्वतारोहियों, वनस्पतिशास्त्रियों और यहां तक कि लेखकों को भी बहुत पसंद है। इस जगह पर आपको वनस्पतियों की एक विस्तृत श्रृंखला मिलेगी।
फूलों की घाटी के पीछे की कहानी

खोजकर्ता फ्रैंक स्मिथ ने जब तक इस स्थान की खोज नहीं की थी यह जगह हम सबके लिए अनजान थी। 1931 में उन्होंने इस जगह की खोज की और एक किताब लिखी। जिसकी वजह से दुनिया भर के लोग इस जगह के बारे में जाना पाए। इस जगह से एक घटना भी जुड़ी है। फूलों की घाटी में वनस्पतियों का अध्ययन करने के लिए लेडी जोन मार्गरेट लेगे भारत आईं थी। वह फूलों की घाटी में फूल इकट्ठा करने के लिए चट्टानी ढलानों को पार कर रही थी कि, वह फिसल गईं। जिससे उनकी जान चली गई। लेडी जोन मार्गरेट लेगे की बहन उसकी तलाश में भारत आई और फूलों की घाटी में एक मकबरा बनाया जो अभी भी मौजूद है।
फूलों की घाटी कब जाएँ?

फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान को अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना है जो मानसून में और भी ज़्यादा निखर जाता है। यह घाटी सैलानियों के लिए जून के पहले सप्ताह में खुलती है। इस दौरान इस जगह पर जाने का बहुत ही अनुकूल मौसम होता है। इस दौरान आप कई तरह के खिलते हुए फूलों का सौंदर्य देख सकते हैं। इस जगह पर रात्रि में रुकने की मनाही है। जिसकी वजह से आपको ट्रेक करके वापस आना होता है।
फूलों की घाटी कैसे जाएँ?

फूलों की घाटी घूमने के लिए देश भर से सैलानी आते हैं। लोगों का सवाल होता है कि दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, बैंगलोर, लखनऊ आदि से उत्तराखंड की इस फूलों की घाटी तक कैसे पहुंचा जाए। आपको सबसे पहले ऋषिकेश पहुँचना होगा जहां से आपको गोविंदघाट के लिए बस मिल जाएगी। गोविंदघाट से आपको लगभग 17 किमी का पैदल ट्रेक करना पड़ेगा। गंगरिया घाटी से लगभग 3 किमी पहले आता है और इसी जगह से ही फूलों की सुगंध आने लगती है, जो पर्यटकों को दूर से मंत्रमुग्ध कर देती है।
फूलों की घाटी जाने के लिए परमिट

फूलों की घाटी में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को गंगरिया से परमिट लेना पड़ता है। यह परमिट 3 दिनों के लिए वैलिड होता है लेकिन आप केवल दिन के समय ही यहां ट्रैकिंग कर सकते हैं। फूलों की घाटी में रात रुकने की इजाज़त नहीं है। आपको रात विश्राम के लिए वापस गंगरिया या फिर गोविंदघाट वापस आना होगा।
फूलों की घाटी के लिए हेलीकाप्टर सेवाएं

फूलों की घाटी के साथ यदि आप हेमकुंड साहिब भी घूमने की योजना बना रहे हैं तो आपको हेलीकॉप्टर सेवा का लाभ अवश्य लेनी चाहिए। गोविंद घाट से गंगरिया के लिए हेलीकॉप्टर सेवा है। गंगरिया के हेलीपैड मैदान में हेलीकॉप्टर आपको छोड़ देगा उसके बाद आपको तीन किमी का पैदल ट्रेक करना होगा।
