Baby: कैटनैपिंग, सुनने में यह नया जरूर लग रहा होगा लेकिन है बिल्कुल सच! हर नई मां जानती है कि उसका शिशु अलग- अलग तरह से अलग- अलग समय पर सोता है। लेकिन अगर लंबे समय तक आपके शिशु के रूटीन नहीं सेट हो पाया तो यह नई मां के साथ उसके पापा और घर के बाकी लोगों के लिए भी दिक्कत पैदा कर सकता है। कुछ मामलों में, देखा जाता है कि जब मां अपने शिशु को सुलाती है तो वे थोड़े- थोड़े समय के बाद कई बार जाग जाते हैं। वे अपने मां और पापा को काम नहीं करने देते हैं और उन्हें हमेशा अपने बच्चे के साथ रहना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि उन्हें भूख लग जाती है, जैसा कि अमूमन कहा और माना जाता है।

यह कोई नई बात नहीं है, ऐसा अमूमन सबके साथ होता है। खास कर बात जब शिशु के नींद की आती है तो कई दफा वे 30- 40 मिनट सोकर जाग जाते हैं। शिशु की इस कम समय की नींद को ही “कैटनैपिंग” कहा जाता है। शिशुओं में कैटनैपिंग एक सामान्य बात है, इसको लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि यह नए पैरेंट्स को थका देने वाला होता है। खासकर तब जब शुरू के कुछ महीनों बाद भी शिशु ऐसे ही कैटनैपिंग करता रहे।
बच्चे क्यों करते हैं कैटनैप
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अधिकतर बच्चे REM नामक नींद के हल्के दौर में होते हैं। इसका मतलब यह है कि वे आसानी से जाग जाते हैं और दोबारा उन्हें सोने में दिक्कत होती है। जैसे ही वे हल्की नींद की स्टेज से गुजरते हैं, वे जाग जाते हैं। बड़े होते बच्चे जागने के साथ ही खुद को वापस नींद में ले जाते हैं, जबकि शिशु ऐसा नहीं कर पाते हैं। जो बच्चे झूला झूलाकर, बॉटल से फ़ीड कराकर या ब्रेस्ट फ़ीड के जरिए सुलाये जाते हैं, वे हमेशा ऐसी चीजों की खोज में रहते हैं, जो उन्हें सुला सके। ऐसे बच्चों को बिना किसी मदद के सुलाना बहुत मुश्किल भरा काम है।
कैटनैपिंग और रोते हुए बच्चे
यदि शिशु नींद के बीच में जाग जाएं और वापस आसानी से सो जाएं तो यह कोई समस्या नहीं है। लेकिन दिक्कत तब होती है, जब शिशु रोते हुए जागता है और उसका रोना बंद नहीं होता है। फिर आप उसे फ़ीड करा लें, झूला दें या डायपर ही क्यों ना बदल दें। ऐसे मामलों में, एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि नए पैरेंट्स को पेडियाट्रिशियन से बात करनी चाहिए कि कहीं कोई और समस्या तो नहीं है। यदि आपका शिशु बड़ा हो रहा है और हेल्दी है तो कैटनैपिंग कोई समस्या नहीं है।
बच्चे की नींद के समय को कैसे बढ़ाएं
ध्यान दें कि आपका नन्हा खुद को शांत करने के लिए क्या करता है, वह जम्हाई लेता है या अंगूठा चुस्त है। अपने बच्चे को बेड पर सुलाइए और उसे नींद की आगोश में अपने आप अपनी मदद से जाने दीजिए। उसे ब्रेस्ट फ़ीड मत दीजिए, ना ही झूला झुलायें। यदि आप ऐसा करने में सफल हो जाती हैं तो अगली बार जब वह जागेगा तो खुद ही सो जाएगा। यदि वह नींद से बीच में जाग जाता है तो उसे गोद में तुरंत न लें, उसे बेड पर ही ठोंक कर सुलाने की कोशिश करें। उसके सोने के समय कमरे की लाइट एकदम कम कर दें और बच्चे के आस- पास आवाज बिल्कुल ना निकालें।
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