इसमें कोई दो राय नहीं कि बढ़ते बच्चे अपनी शरारतों से माता-पिता की नाक में दम किए रहते हैं। उनका बिना शैतानी किए एक जगह बैठना नामुमकिन सा लगता है। पेरेंट्स के लिए हर समय उनके ऊपर नजर रखना भी संभव नहीं होता और अगर वह कोई गलती करते पकड़ा जाएं तो सजा मिलनी तो तय है। शरारत और गलतियों के लिए बच्चों को डांटना, चिल्लाना और मारना कोई हल नहीं है क्योंकि इससे उनके ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चों में इससे लो सेल्फ-कॉन्फिडेंस, गुस्सा यानी अग्रेशन और स्ट्रेस संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। ऐसे में आज हम पेरेंट्स के लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिनके जरिए वह बच्चों को उनकी गलतियों की सजा दे सकते हैं लेकिन इनोवेटिव तरीके से। इन तरीकों से आप बच्चे पर गुस्सा दिखाए बिना उसे गलती पर सबक सिखा सकते हैं। 

1. ज्यादातर पेरेंट्स किसी गलती की सजा देने के लिए कुछ समय के लिए बच्चे को चुपचाप एक कोने में जाकर खड़ा रहने के लिए कह देते हैं। खाली और चुपचाप खड़े रहना एक्टिव बच्चों के लिए आसान नहीं होता क्योंकि उन्हें कुछ न कुछ करते रहने की आदत रहती है। ऐसे में बच्चे को सजा देना तो उन्हें खाली खड़ा या बिठाने के बजाए उम्र के मुताबिक कोई टास्क दें।जैसे 15 मिनट में कोई पोएम याद करने का टास्क,10 मिनट में कोई तस्वीर में रंग भरने का टास्क, कोई गणित का सवाल हल करने आदि का टास्क दे सकते हैं। इससे सजा की आड़ में बच्चे का समय भी बर्बाद नहीं होगा और वह कुछ सीख भी पाएंगे। 

2. अगर आपका बच्चा बार-बार समझाने के बावजूद खाना खाने के बाद अपनी झूठी प्लेट डाइनिंग टेबल पर ही छोड़ देता है या उसी में हाथ धो देता है तो डांटने या चिल्लाने के बजाए उसे सजा देने के लिए एक्सरसाइज का सहारा लें।उसे 10 सिट-अप्स या स्क्वाट्स लगाने के लिए कहें। या अगर बच्चा किसी सोशल गैदरिंग या पब्लिक प्लेस में ख़राब व्यवहार करे तो उसे रस्सी कूदने का टास्क दें।इससे बच्चा न चाहते हुए एक्सरसाइज करने लग जाएगा जो कि उसकी फिटनेस के लिए अच्छा होगा। 

3. 25-30 घर के कामों की लिस्ट बनाएं जैसे पौधों में पानी डालना, अलमारी की सफाई करना, कपड़े सुखाना, स्कूल बैग की सफाई करना, किताबों पर कवर चढ़ाना आदि।हर काम के लिए कुछ पॉइंट्स टी करे दें। अगर बच्चे की शरारतें दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं तो किसी चीज के इस्तेमाल से रोक दें और पॉइंट इकट्ठे पूरे करने के बाद ही दोबारा उस चीज को इस्तेमाल करने की छूट दें। जैसे अगर वो दोस्तों से झगड़ा करके आए तो उसके वीडियो गेम खेलने पर रोक लगा दें। उसे कहें कि पहले वो 150 पॉइंट कलेक्ट करेगा तो ही दोस्तों के साथ दोबारा खेलने की परमिशन मिलेगी और साथ ही वीडियो गेम भी तभी हाथ आएगा। इससे बच्चे में शिष्टाचार की भावना आएगी और बदले में घर के कामों में भी आपको मदद मिल जाएगी।

4. अगर आपका होमवर्क करने या कोई भी टास्क को पूरा करने में बहुत टाइम लगाए तो टाइमर लगाकर काम करवाएं। बच्चे को बताएं कि अगर उसने टाइमर के बजने से पहले अपना टास्क पूरा कर लिया तो उसे अगले दो दिन कार्टून देखने की परमिशन मिलेगी या दोस्तों के साथ खेलने जैसी अन्य कई छूट मिलेंगी। इससे वह अपनी टास्क समय पर पूरा करेगा और उसे समय की अहमियत भी समझ आएगी।

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