Pictorial Method
Pictorial Method

Pictorial Method: पढ़ने-लिखने की जब बात आती है, तो बच्चे अकसर जवाबों को रटते हुए नजर आते हैं। जहां एक तरफ टीचर्स को कोर्स खत्म करवाने की जल्दी होती है, तो वहीं बच्चे बिना किसी सवाल का मतलब समझे उसके जवाब ज्यों का त्यों रट लेते हैं, ताकि मार्क्स में कोई कमी न रहे। कई बार मां-बाप भी बच्चों पर पढ़ाई के लिए खूब दबाव बनाते हैं। नतीजन बच्चे समझने की बजाय हर चीज को याद करने लगते हैं। जो कुछ वक्त के लिए तो ठीक है, मगर पूरी उम्र आपको उसका फायदा नहीं मिल पाता। उसकी जगह अगर हम कंटेंट को समझने लगें, तो सालों के जवाब न केवल आसान हो जाएंगे बल्कि आप खुद भी जवाब लिख सकते हैं।

क्या होता है पिक्टोरियल मैथड?

पिक्टोरियल (Pictorial Method) यानी किसी पिक्चर से संबधित। अगर आप किसी सवाल के जवाब को याद करना चाहते हैं, तो उसे किसी तस्वीर से जोड़ दें या किसी अन्य घटना से जोड़ दें, ताकि आपको वो जवाब उम्र भर के लिए याद हो जाए। अगर आप इतिहास को याद करने में असमर्थ है, तो उसके विषयों को पिक्चर फार्म में याद करने की आदत डालें। जैसे अगर हमें समाज सुधारक राजा राम मोहन राय की बात करनी है, तो हम किसी राजा का चित्र बनाकर उनकी बताई शिक्षाओं को आसानी से बच्चों को याद करवा सकते हैं। आइए जानते हैं इसके फायदे।

देर तक रहता है याद

Pictorial Method
Pictorial Method Tricks

अगर मैंने एक बार किसी प्रश्न को किसी तस्वीर से जोड़ दिया, तो वो उम्र भर आपको भूल नहीं पाएगा। दरअसल ज्यादातर लोगों की पिक्चर मैमरी तेज होती है। इससे वो जब किसी चीज को एक बार देख लेते हैं, तो वो चीज उनके जहन में उतर जाती है। फिर उसे याद करना तो आसान है। साथ ही वो हमेशा के लिए हमारे माइंड में सेव भी हो जाता है।

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विषय बन जाता है रोचक

अगर टीचर बोल-बोल कर किसी विषय पर जानकारी दे रहे हैं, तो कुछ देर बाद बच्चे बोर होने लगते हैं। कोई किताब में तस्वीर बनाता नजर आएगा, तो कहीं दो स्टूडेंट आपस में बात करने लगेंगे। ऐसे में अगर आप बतौर टीचर बच्चों को बोलने के साथ-साथ तस्वीर के जरिए बोर्ड पर साथ-साथ समझाने लगते हैं, इससे बच्चों में दिलचस्पी बनी रहती है। अगर हम बच्चों को इकोनॉमिक्स पढ़ा रहे हैं और रूपये की बात कर रहे हैं, तो रूपये का निशान बनाकर नीचे दो लकीरें खींच दें और उसकी दो टांगे बना दें। इस तरह से बच्चे लंबे वक्त तक अटैंटिव रहते हैं और विषय की रोचकता भी बनी रहती है।

बच्चों की इन्वाल्मेंट बढ़ती है

अब जो बच्चे पढ़ाई से हर वक्त जी चुराते हैं, वो भी पिक्टोरियल मैथड के जरिए मुश्किल सब्जेक्ट को भी आसानी से पढ़ लेते हैं और इंटरस्ट लेने लगते हैं। अब बच्चों में पढ़ाई के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होने लगती है। वे अब उस सब्जेक्ट के प्रति सजग होने लगते हैं और ज्यादा जानने की इच्छा रखने लगते हैं। इससे बच्चे का जुड़ाव किताबों की ओर बढ़ने लगता है। 

विषय के प्रति जानकारी बढ़ती है

अब तक बच्चे केवल उत्तर को रट रहे थे, मगर अब तरह तरह की तस्वीरों और अलग अलग प्रकार के कार्टून करेक्टर या सिम्बल क्रिएट करके वे पढ़ाई को नए तरीके से याद रख रहे हैं। इससे आपको केवल उपरी ज्ञान नहीं बल्कि विषय के बारे में गहन जानकारी हासिल हो सकती है। अब आप विषय को सीधा देखने की बजाय उसके हर एंगल को खोजने का प्रयास करेंगे, जो आपकी पढ़ाई को आसान बना देगा और आपका ज्ञानकोष भी भर देगा। इससे हर ज्ञान के समुद्र में डुबकी लगा सकते हैं और बिना याद करने का प्रयास किए कुछ पिक्चर्स के ज़रिए चीजों को आसान बना सकते हैं।

बच्चे क्रिएटिव बनते हैं

Pictorial Method
They start interlinking things with each other, which increases the knowledge of children immensely

जब हम बच्चों को पिक्टोरियल मैथड से समझाने लगते हैं, तो नदियों और नहरों से लेकर ब्रिटिश इतिहास तक हर टॉपिक बच्चों को अब आसान लगने लगता है। दरअसल, जिन चीजों को याद करने में खूब प्रयास करते थे, वे अब बच्चे धीरे-धीरे अपने आप से कटेंट से जुड़ी तस्वीर क्रिएट करने लगते हैं। जो लेसन्स को किताब के पन्नों से उठाकर सीधा दिमाग में सेव कर देते हैं। इस तरह बच्चों का पढ़ाई से भी जुड़ाव बढ़ने लगता है और उन्हें हर विषय आसानी से याद हो जाता है। इसके अलावा ये तकनीक बच्चों को क्रिएटिव भी बनाती है। वे चीजों को एक दूसरे से इंटरलिक करने लगते है, जिससे बच्चों में ज्ञान में अपार वृद्धि होती है।

बच्चों में डिप्रेशन की समस्या हो जाएगी छू मंतर

अधिकतर ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चों को विषयों के बारे में अलग-अलग ढंग से जानकारी देने की कोशिश की जाती है। इसमें से सबसे लोकप्रिय तकनीक है पिक्टोरियल। अगर हम बच्चों की स्कूल की किताबें उठाकर देंखें, तो हर चैप्टर में मात्र एक से दो पिक्चर बनी हुई नजर आती है। मगर जैसे-जैसे क्लासिस बढ़ती चली जाती है, वैसे-वैसे पिक्चर का चलन बुक में से खत्म हो जाता है। जो पढ़ाई को बोरिंग बना देता है। बचपन की किताबों में तस्वीरें रंगबिरंगी नजर आती है और उसके बाद किताबें मोटी होती जाती है, तस्वीर भी रंगहीन हो जाती है। धीरे-धीरे बच्चों का मन पढ़ाई से ऊब जाता है। हम जब बच्चों को पढ़ाई की तरफ दोबारा मोड़ना चाहते हैं, तो कई बार ऑनलाइन क्लासिस का सहारा लेते है, जिससे बच्चे दोबारा उसी जोश के साथ पढ़ाई करने लगते हैं।

बच्चों को पढ़ाई के लिए हर बार मजबूर करना पेंरेटस और बच्चे के आपसी रिश्ते को कमजोर बना देता है। बेशक, बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए पढ़ाई जरूरी है, मगर पहले हमें उनके स्तर और जरूरतों को समझना होगा, ताकि आसानी से वे अपनी हर बात आपसे शेयर कर सकें।

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