Overview: टिकटॉक और इंस्टा पर बच्चा देखता है रील तो हो जाएं सावधान
बचपन के नकारात्मक अनुभव, जैसे पारिवारिक तनाव या उपेक्षा, रील देखने की लत को बढ़ावा दे सकते हैं। इसलिए पेरेंट्स को ठोस कदम उठाने चाहिए।
Kids Social Media Trap: आज के डिजिटल युग में टिकटॉक, इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स जैसे शॉर्ट्स वीडियो प्लेटफॉर्म ने युवाओं और बच्चों के बीच एक खास जगह बना ली है। ये 15 सेकंड से लेकर एक मिनट तक के वीडियो न केवल आकर्षक लगते हैं, बल्कि इन्हें देखने की आदत तेजी से लत में बदल रही है। यह लत बच्चों और युवाओं के लिए एक खतरनाक जाल यानी ट्रैप बन सकती है। ये रील्स न केवल बच्चों को मानसिक रूप से बीमार बना रही है बल्कि साइबर क्राइम जैसी घटनाओं को भी अंजाम दे रही हैं। आखिर ये शॉर्ट वीडियो कैसे बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है चलिए जानते हैं इसके बारे में।
शॉर्ट-फॉर्म वीडियो की लत का कारण

शॉर्ट-फॉर्म वीडियो का आकर्षण केवल शॉर्ट अटेंशन स्पैन तक सीमित नहीं है, इसके पीछे गहरे मनोवैज्ञानिक कारण हैं। “कंप्यूटर्स इन ह्यूमन बिहेवियर” में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, बचपन में नकारात्मक अनुभव इस लत को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह अनुभव मानसिक या शारीरिक शोषण, परिवार में उपेक्षा, लगातार झगड़े, या अन्य परिवारिक सदस्यों के खिलाफ हिंसा के रूप में हो सकते हैं।
छात्रों पर किए गए एक बड़े सर्वेक्षण में पाया गया कि जिन बच्चों ने बचपन में नकारात्मक अनुभव झेले हैं, उनके शॉर्ट-फॉर्म वीडियो की लत में पड़ने की संभावना अधिक थी। ये वीडियो बच्चों को उनके परिवारिक तनाव और भावनात्मक परेशानियों को अस्थायी रूप से भुलाने में मदद करते हैं। इनकी तेज गति और मनोरंजक सामग्री बच्चों को तुरंत खुशी (डोपामाइन) प्रदान करती है, जो उन्हें बार-बार इन वीडियो की ओर खींचती है।
बचपन का आघात और लत का संबंध
बचपन में नकारात्मक अनुभव बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर गहरा प्रभाव डालते हैं। जब बच्चे परिवार में तनाव, उपेक्षा या हिंसा का सामना करते हैं, तो वे इन समस्याओं से बचने के लिए शॉर्ट-फॉर्म वीडियो का सहारा लेते हैं। ये वीडियो उनकी भावनात्मक परेशानियों को दबाने का एक आसान तरीका बन जाते हैं। बच्चे इन वीडियो को देखकर हंसते हैं, लेकिन यह हंसी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करती, बल्कि एक लत की नींव रखती है।
कॉपिंग मैकेनिज्म की भूमिका
देखा गया है कि जिन बच्चों ने बचपन में नकारात्मक अनुभवों के बावजूद लाइफ में सेटिस्फेक्शन की भावना विकसित की, वे इस लत से कम प्रभावित हुए। सकारात्मक दृष्टिकोण और लचीलापन ने उनकी तत्काल खुशी की आवश्यकता को कम किया। इसके विपरीत, जिन बच्चों में लाइफ सेटिस्फेक्शन का स्तर कम था, वे शॉर्ट-फॉर्म वीडियो पर अधिक निर्भर होते हैं। यह वीडियो उनके लिए एक प्रकार का “कॉपिंग मैकेनिज्म” बन गए, जो उनकी भावनात्मक परेशानियों से बचने का एक रास्ता है।
रील देखने के खतरनाक परिणाम

शॉर्ट-फॉर्म वीडियो की लत बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, पढ़ाई और सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यह लत समय की बर्बादी, नींद की कमी, और सामाजिक अलगाव को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, यह बच्चों को उनकी समस्याओं का सामना करने के बजाय उनसे भागने की आदत सिखाती है। लंबे समय तक यह लत अवसाद, चिंता और आत्मविश्वास की कमी जैसे गंभीर मुद्दों को जन्म दे सकती है।
पेरेंट्स के लिए सुझाव
– माता-पिता को अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नजर रखने की जरूरत है।
– बच्चों के साथ खुलकर बात करें और उनके भावनात्मक स्वास्थ्य को समझें।
– बच्चों को एक सुरक्षित और भावनात्मक रूप से स्वस्थ माहौल प्रदान करें।
– उनकी रुचियों को प्रोत्साहित करें, जैसे खेल, कला, या किताबें पढ़ना, ताकि वे स्क्रीन से दूर रहें।
– अगर बच्चा अधिक समय रील्स देखने में बिता रहा है, तो इसके पीछे के कारणों को जानने की कोशिश करें जैसे क्या वे किसी तनाव या पारिवारिक समस्या से जूझ रहे हैं।
– शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि बचपन में ही हस्तक्षेप जरूरी है/ बच्चों को एक सुरक्षित और सहायक माहौल देना महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें।
