Baby Massage: मैंने अपने बच्चे से जितना सीखा है, उतना शायद किसी किताब से नहीं सीखा। यही अनुभव मैं आप सभी से बांट रही हूं।
घर में बनाएं तेल
घर में मालिश वाला तेल बनाने के लिए नारियल तेल में रतनजोत मिलाकर उसे एक पैन
में पकाएं, फिर उसे ठंडा करके इस्तेमाल करें।
जब मैं मां बनी, तो लगा जैसे मेरी जिंदगी ने एक नया जन्म ले लिया है। हर दिन, हर पल में एक नई
सीख छुपी होती थी। एक डाइटीशियन होने के नाते मैंने हमेशा स्वास्थ्यकर भोजन, पोषण और ग्रोथ पर ध्यान दिया, लेकिन मां बनने के बाद समझ आया कि परवरिश सिर्फ पोषण तक सीमित नहीं, वो स्पर्श, प्यार, धैर्य और समझ का मिला-जुला रूप है। इस लेख में मैं दो ऐसी चीजों को साझा कर रही हूं जो मेरी परवरिश की नींव बनी और वो है- बेबी मसाज, इसके साथ पांच बातें जो हर माता – पिता के काम आ सकती हैं-
शिशु की मालिश के फायदे
नींद बेहतर होती है: हर मालिश के बाद बच्चा और भी सुकून से सोता है।
पाचन सुधारता है: गैस और कब्ज की दिक्कतें बहुत कम हो जाती हैं।
हड्डियां मजबूत होती हैं: नियमित रूप से की गई मालिश बच्चे की हड्डियों को मजबूती प्रदान करती है।
भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता: जब आप आंखों में देख कर मालिश करते हैं तो बच्चा सिर्फ आपके हाथों को नहीं आपके मन को भी महसूस करता है।
कैसे करें मालिश

मैं सुबह के समय हल्के गुनगुने नारियल तेल का इस्तेमाल करती थी। हाथों में तेल लेकर
पहले उन्हें अपने बच्चे को दिखाती थी ताकि उसे डर न लगे। फिर धीरे-धीरे सिर से लेकर पैरों तक हल्के हाथों से मसाज करती थी।
सबसे जरूरी चीज होती है, इस दौरान मोबाइल और टीवी से आप दूर रहें। यह समय केवल आपका और आपके बच्चे का है।
मेरी परवरिश का आधार
5 सीज (5C’s) जो हर माता-पिता को अपनाने चाहिए। परवरिश में रोज नई चुनौतियां आती हैं, कभी बच्चा रोता है, कभी जिद करता है तो कभी शांत रहता है। तब हमें समझ ही नहीं आता कि उसे क्या चाहिए। ऐसे में मैंने खुद के लिए एक फॉर्मूला बनाया 5 बातों (5C’s) का। ये कोई किताब से नहीं सीखा, बल्कि हर दिन अपने बच्चे से सीखा और आज आपको बता रही हूं-
1. जुड़ाव: बच्चे को सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की होती है कि वो महसूस करे कि ‘मेरे मम्मी-पापा मेरे हैं। जब आप सिर्फ उसके साथ होते हैं। बिना फोन, बिना जल्दबाजी तभी वो जुड़ाव बनता है।
2.नियमितता: अगर एक दिन आप उसे टीवी देखने दो और अगले दिन डांट दो तो वो उलझन में पड़ जाएगा। छोटे बच्चे नियमों को नहीं, आपकी आदतों को समझते हैं। इसलिए पहले खुद अच्छी आदतें अपनाएं और फिर उन्हें दिशा निर्देश दें।
3.संवाद: बच्चा बोलना नहीं जानता लेकिन महसूस करना जानता है। जब वह कुछ गलत करे तो उस पर चिल्लाने से बेहतर होगा कि आप धीरे से उसे समझाएं जैसे- मुझे अच्छा नहीं लगा जब तुमने यह किया, चलो मिलकर ठीक करें।
4.आत्मविश्वास: अगर बच्चा गिर कर उठा है तो उसकी पीठ थपथपाइए। उसकी तारीफ जरूर करें। यही उसकी सबसे बड़ी ताकत बनेगी।
5.देखभाल: देखभाल सिर्फ तब नहीं जब उसे बुखार हो। देखभाल तब भी होनी चाहिए जब वह उदास हो या फिर जब वह अकेला महसूस करे।
घरेलू घुट्टी: शिशु की सेहत के लिए पारंपरिक नुस्खा
घुट्टी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा का हिस्सा है, जिसे शिशु की पाचन शक्ति सुधारने और
बीमारियों से बचाने के लिए दिया जाता है।
1.बादाम और केसर वाली घुट्टी
सामग्री: 1 भीगा हुआ बादाम, 1 केसर का रेशा, ½ छोटा चम्मच शहद (1 साल से छोटे
बच्चों के लिए न दें)।
फायदे: दिमागी विकास में सहायक, इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार।
2.अजवाइन और सौंफ की घुट्टी
(पाचन के लिए)
सामग्री: द छोटा चम्मच अजवाइन, द छोटा चम्मच सौंफ, ½ कप पानी।
फायदे: गैस और पेट दर्द से राहत, पाचन तंत्र मजबूत बनाता है।
3.तुलसी और अदरक की घुट्टी (सर्दी-
खांसी के लिए)
सामग्री: 4-5 तुलसी के पत्ते, ½ छोटा चम्मच अदरक का रस। ½ छोटा चम्मच शहद (1
साल से छोटे बच्चों को न दें)।
फायदे: सर्दी-खांसी और जुकाम में राहत, इम्युनिटी मजबूत करता है।
6 महीने से छोटे बच्चों को कोई भी घुट्टी न दें। हर नई चीज शुरू करने से पहले डॉक्टर की
सलाह लें। कोई भी घुट्टी सीमित मात्रा में ही दें (1-2 चम्मच)।
