गर्मियों में शिशु की त्वचा को दें पोषण से भरपूर मसाज: Nourishing Baby Massage
Nourishing Baby Massage

Nourishing Baby Massage: मालिश, भारतीय परंपरा का एक अभिन्न अंग और स्नान से पूर्व किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण संस्कार है। केवल इतना ही नहीं, आयुर्वेद में ‘शिशु अभ्यंग’ यानी शिशु के स्नान से पहले की जाने वाली मालिश के कई फायदे बताए गए हैं। इससे शिशु की त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने में सहायता मिलती है और अंगों में लचीलापन आता है। नियमित मालिश करने से शिशु की त्वचा को पोषण मिलता है और वजन भी तेजी से बढ़ता है। यह शिशु की हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने के अतिरिक्त उन्हें तनाव मुक्त भी करता है, जिससे धीरे-धीरे उनकी नींद में सुधार आने लगता है।

Nourishing Baby Massage
Dr. MD Noor Alam Khan: (MBBS, DCH (AMU), DNB Pedia (MAMC), PGPN (Boston University, USA), Consultant Pediatrician)

डॉ. एमडी नूर आलम खान: (एमबीबीएस, डीसीएच (एएमयू), डीएनबी पीडिया (एम.ए.एम.सी.), पी.जी.पी.एन. (बोस्टन यूनिवर्सिटी, यूएसए), कंसल्टेंट्स पीडियाट्रिशियन)

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इंडियन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) ने नवजात शिशुओं, शिशुओं और छोटे बच्चों की त्वचा को ध्यान में रखकर एक मानकीकृत दिशानिर्देश तय किए हैं, जिसके अनुसार शिशु की त्वचा पर मालिश करते समय ऐसे तेल का इस्तेमाल करना चाहिए जो त्वचा को गर्मी के साथ पोषण भी प्रदान करे, साथ ही शिशु का वजन बढ़ाने में भी सहायक हो। ऐसा देखा गया है कि जिन शिशुओं की नियमित तेल मालिश होती है वह बिना तेल से मालिश किये गए शिशुओं के मुकाबले कम तनावग्रस्त रहते हैं। दिशानिर्देशों में यह भी बताया गया है कि शिशु की मालिश के लिए प्राकृतिक ऑलिव ऑयल और सरसों के तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शिशु की त्वचा के बैरियर को नुकसान पहुंचाते हैं।

शिशु की मालिश करते समय ध्यान रखें कि कमरा ठंडा और हवादार होना चाहिए ताकि शिशु आरामदायक महसूस कर सके। शिशु की मालिश हमेशा सुबह और शाम के समय ही करें क्योंकि दोपहर के समय काफी गर्मी होती है। एक सही मसाज ऑयल का चुनाव करना बहुत जरूरी है। मां को ऐसे मसाज ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए जो विटामिन ई युक्त होने के साथ गाढ़ा या चिपचिपा बिलकुल भी न हो। एक बात ध्यान रखें कि मसाज करने से पहले तेल को गर्म करना शिशु के लिए दिक्कतें बढ़ा सकता है। इन दिनों लाइट तेल का प्रयोग करने से शिशु की त्वचा को पोषण तो मिलता ही है, साथ ही साथ त्वचा भी मुलायम बनती है। शिशु का मसाज ऑयल केमिकल और पैराबिन, आर्टिफिशियल डाई और थैलेट्स फ्री होना चाहिए।

मसाज करते समय याद रखने योग्य बातें

शिशु की नियमित मसाज शुरू करने से पहले उसके पीडियाट्रिशियन से सलाह जरूर लें कि यह शिशु के लिए पूरी तरह सुरक्षित और उचित है। शिशु को मसाज करने का सही वक्त और तरीका हमेशा मौसम के अनुसार होना चाहिए। नहाने से पहले और सर्दियों में नहाने के बाद ही मसाज होनी चाहिए। स्तनपान के 2 घंटे बाद जब बेबी शांत और आरामदायक महसूस कर रहा हो तो यह मसाज करने के लिए उचित समय होता है। मसाज हमेशा हल्के हाथों से करें और उसके सिर को एक सपोर्ट दें।

उम्र के अनुसार मसाज करने के टिप्स

पीडियाट्रीशियन की अनुमति के बाद ही नवजात शिशु की मसाज शुरू करें लेकिन मसाज हल्की हाथों से ही करें। शुरू के हफ्तों में हल्की-हल्की थपकी देते हुए मसाज करें, शुरुआत पैरों से करें और नीचे की ओर मसाज करें ताकि उसे आराम मिल सके। पेट में मसाज करते समय ध्यान रखें कि नाल निकल गई हो या फिर वो धीरे-धीरे ठीक हो रही हो।

6 हफ्ते के शिशु की मसाज

6 हफ्ते या उससे थोड़े बड़े शिशु की मसाज आसानी से की जा सकती है क्योंकि वे मसाज का आनंद उठाते हैं और मसाज के दौरान शांत रहते हैं। यह वो समय होता है जब वह अपनी मां का स्पर्श पहचानने लगते हैं और उसके साथ भावनात्मक स्तर से जुड़ जाते हैं। पेड्लिंग स्ट्रोक्स यानी शिशु के पैरों को ऊपर-नीचे करें इससे उसे पेट में होने वाली परेशानी जैसे गैस या कोलिक पेन में राहत मिलती है। चाहें तो आई लव यू स्ट्रोक्स भी करवा सकती हैं, इससे भी शिशु के पेट की परेशानियों में राहत मिलती है। जिसमें एक स्ट्रोक्स पेट पर ऊपर से नीचे फिर दूसरा स्ट्रोक्स एल की शेप में और तीसरा स्ट्रोक्स यू शेप में दें।

6 महीने और उससे अधिक

6 महीने के शिशु या उससे अधिक महीने के शिशु काफी एक्टिव हो जाते हैं। वह हिलने-डुलने, आगे की ओर सरकने और खड़े होने का प्रयास करते हैं इसलिए इनकी मसाज काफी मजेदार और रचनात्मक होनी चाहिए। मसाज करते समय उसका ध्यान बांटने के लिए आप कोई गाना या राइम्स गा सकती हैं या फोन पर चला सकती हैं। कुल मिलाकर बेबी मसाज को स्किनकेयर रूटीन की तरह रोजाना चाहिए। बेबी ऑयल से शिशु की नियमित मसाज करें ताकि उसकी त्वचा को पोषण और सही देखभाल मिले।

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में कार्यकारी संपादक (एग्जीक्यूटिव एडिटर) पत्रकारिता में 19 वर्ष का अनुभव, वर्तमान समय में गृहलक्ष्मी पत्रिका में कार्यकारी संपादक (एग्जीक्यूटिव एडिटर), राष्ट्रीय सहारा, देशबंधु, पाखी, शुक्रवार, बिंदिया,...