हर माता पिता अपने बच्चे से बहुत प्यार करते हैं। उनके साथ खेलते हैं, मस्ती करते हैं और घूमने फिरने का प्लान भी बनाते हैं। मगर कई बार हम लोग बच्चों से प्यार करते करते इस बात को नज़र अंदाज़ कर देते हैं कि कहीं हमारे बच्चे अधिक प्यार के कारण अपने संस्कार तो नहीं भूल रहे। क्यों की शिष्टाचार यां अनुशासन बच्चे के जीवन के वो मज़बूत स्तंभ है, जिसका महत्व अगर बच्चों को बाल्यकाल में ही समझा दिया जाए, तो वे उम्रभर अपना जीवन उन्ही उसूलों के हिसाब से चलाते हैं। चाहे बात खाने की टेबल की हो यां फिर दोस्तों के साथ खेलने की। हमें बच्चे के लालन पालन के दौरान उसके व्यवहार की ओर ध्यान देना भी ज़रूरी है। अगर आपके बच्चे परिवार के बाकी लोगों से उचित व्यवहार नहीं कर रहे यां फिर अपने दोस्तों से बातचीत में क्रोध यां फिर गलत भाशा का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हमें कुछ खास बातों का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है। अगर आप इस बातों को बच्चों को धीरे धीरे प्यार से समझाएंगे,तो वे खुद ब खुद अपने व्यवहार को बदल लेंगे। आइए जानते हैं बच्चों में एटिकेटस डवेल्प करने के खास स्टेप्स।
एक जगह पर बैठना सिखाएं
बच्चों का मन चंचल होता है, वे हर वक्त मस्ती के मूड में रहते हैं आक्र उनके दिमाग में कुछ नया करने की खुराफात चलती रहती है। ऐसे में आपको बच्चों को प्यार से समझाना है और उन्हें एक जगह बैठकर खाने, पढ़ने यां लिखने की आदत डालनी हैं। ताकि न तो वो जगह जगह खाना बिखेर सकें और साथ ही उनके अंदर खुद ब खुद अच्छे संस्कार भी पैदा हो जाएंगे।
दूसरों का आदर सम्मान करें
परिवार में सदस्य छोटे भी होते हैं और बड़े बुजर्ग भी रहते हैं। ऐसे में बच्चों को उनसे बात करने का सही तरीका समझाएं, ताकि वे दूसरों के सामने उनसे बदसलूकी न कर सकें। इस अलावा उन्हें रिश्तों की अहमियत भी समझाएं।
कमरे को साफ रखें
अक्सर बच्चे अपने खिलौनों से खेलते हैं और फिर वहीं पर फेंककर कहीं ओर चल देते हैं। ऐसे में उस कमरे से होहर गुज़रने वाले बाकी लोग परेशानी झेलते हैं और बड़े बुजुर्गों के गिरने का खतरा भी बना रहता हैं। ऐसे में आप बच्चों को समझाएं कि खेलने के तुरंत बाद अपने खिलौने स्वयं समेंट कर किसी टोकरी यां बाक्स में वापिस रख दें। ताकि कमरा साफ सुथरा बना रहे। ऐसा करने से बच्चे हर बार अपने खिलौने स्वयं उठाने लगेंगे।
एक साथ बैठकर खाना खाएं
कोशिश करें कि बच्चों को सबके साथ बैठाकर खाना खिलाएं, ताकि बच्चों में शेयरिंग की आदत हो और बच्चों को बाकी लोगों से कुछ सीखने को भी मिले। इसके अलावा बच्चों को खाना खाने का ढ़ग भी समझ आने लगेगा।
मैजिक वर्डस का बतांए महत्व
एक्सक्यूज़ मी, प्लीज़, सॉरी और वेलकम जैसे शब्दों का महत्व बच्चों को सिखाएं, ताकि जब बच्चे कमरे में अन्य लोगों के साथ बैठे, तो इस बात का ख्याल रख सकें।
अपनी किताबें संभाले
बच्चो कों पढ़ने के बाद अपनी किताबें स्वयं रखने की आदत डालें, ताकि वे अपनी ज़िम्मेदारी को समझें और फिर उसके हिसाब से अपने कार्य खुद करना सीख पाएं। अन्यथा इधर उधर रखने से बच्चों की किताबें अक्सर गुम हो जाती है यां फिर फट जाती है।
एप्रीसिएशन की आदत डालें
बच्चों को ये बात ज़रूर सिखाएं कि अगर उन्हें किसी के द्वारा बनाए खाने, चित्र यां कोई अन्य चीज़ पसंद आइ है, तो उस शख्स की तारीफ ज़रूर करें। इससे न सिर्फ सामने वाले को खुशी मिलेगी बल्कि बच्चों के अंदर दूसरों के प्रति प्यार और सहानूभूति की भावना पैदा होगी।
सामान को उसके स्थान पर रखना सिखाएं
अक्सर बच्चे घर में हर समय धमाल मचाए रखते हैं। चीजों को तोड़ना, इधर से उधर रखना और कई बार चीजों को खोलना। बच्चे दिनभर कई तरह की गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में उन्हें ये समझाना हमारी ज़िम्मेदारी है कि कमरे का सामान अपने स्थान पर रखें और अगर उन्होंने कोई सामान अपने स्थान से हटाया भी है, तो उसे दोबारा पूरी महफूसियत से वहीं रहने दें।
कमरे की दीवारों पर लिखने से करें मना
बचपन में सभी बच्चे दीवारों और दरवाज़ों पर लिखने का शौक रखते हैं। अगर किसी घर में छोटे बच्चे होंगे, तो उस घर की दीवारों पर आपको पैंसिल के निशान नज़र आना स्वाभाविक है। ऐसे में आपको बच्चों के बड़े होने का इंतज़ार करने की बजाय उन्हें कोई फाइल यां फिर पुरानी नोटबुक थमा दें, ताकि वे व्यस्त रह सकें और दीवारों पर लिखना बंद कर दें।
इजाज़त लेना सिखाएं
अगर बच्चे किसी भी कमरे में जा रहे हैं, तो बच्चों को कमरे में एंटर करने से पहले इजाज़त लेना सिखांए, ताकि बच्चे किसी के काम में बाधा उत्पन्न न कर सकें। इसके अलावा बच्चों की ये अच्छी आदत उन्हें जीवन के पड़ाव में काम आएगी।
बच्चों को अच्छे मैनरस सिखाने के लिए बच्चों के कमरे में खासतौर से मैनर्स चार्ट ज़रूर चिपकाए, ताकि बच्चा हर वक्त उसकी ओर देखे और उसे फॉलो करें। घर में बड़े से लेकर छोटे सदस्य बच्चों को कुछ न कुछ ज़रूर सिखाते हैं। जहां बड़े उन्हें अच्छी आदतें और अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं, तो वहीं छोटे बच्चे उन्हें प्रेम करना सिखाते हैं। बच्चे में शिष्टाचार को बढ़ाने में माता पिता का रोल सबसे अहम हैं। बच्चां के साथ घूमने और खेलने के लिए वक्त ज़रूर निकालें, ताकि वो आपके प्रति प्यार की भावना रचा सकें और आपको समझ सकें। कच्ची मिट्टी के समाज बच्चों को बचपन उचित रूप से गढ़ने का सही उचित समय हैं।
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