दादा दादी नाना नानी के साथ साथ सभी रिश्तेदारों से बच्चों का परिचय करवाएं
आजकल बच्चे रिश्ते के नाम पर सिर्फ नाना नानी और दादा दादी को ही अच्छे से जानते हैं।हमें खुद भी यही महसूस होता है कि बस बच्चों के लिए नाना नानी दादा दादी काफी हैं।जबकि हमें बच्चों को अपने सभी करीबी रिश्तेदारों के बारे में हमेशा बताते रहना चाहिए।
Parenting Tips: एक मकान घर तब कहलाता है, जब वहां रहने वाले लोगों के बीच में प्यार हो, एक-दूसरे के लिए सम्मान और समर्पण की भावना हो। हम अपने बड़ों को ऐसा करते देखते हैं तो हमारे अंदर भी बचपन से वही भावना आ जाती है। बचपन हर गम से अनजान होता है।बचपन में दिल पर लगी हुई कोई भी बात हम बड़े होने के बाद भी भूल नहीं पाते हैं। जरुरी हैं हम बच्चों को रिश्तों की अहमियत सिखाएं।ना सिर्फ सिखाएं बल्कि खुद भी उस पर अमल करें। हमें जैसा करते हुए बच्चे देखते हैं वैसा ही वो खुद भी करने की कोशिश करते हैं। इसलिए अगर हम चाहते हैं बच्चों के अंदर कुछ अच्छी आदतें हों, तो उसके लिए पहले हमें वैसा बन कर दिखाना होगा। रिश्तों में सकारात्मक ऊर्जा बनाये रखने के लिए हमें एक दूसरे से जुड़े रहना चाहिए।
आजकल बच्चे रिश्ते के नाम पर सिर्फ नाना-नानी और दादा-दादी को ही अच्छे से जानते हैं। हमें खुद भी यही महसूस होता है कि बस बच्चों के लिए नाना-नानी, दादा-दादी काफी हैं। जबकि हमें बच्चों को अपने सभी करीबी रिश्तेदारों के बारे में हमेशा बताते रहना चाहिए। उनके संपर्क में रहना चाहिए, तब बच्चा अपने परिवार से जुड़ा रहेगा और उसका सामाजिक दायरा नानी नानी और दादा दादी से निकल कर और बड़ा हो जाएगा।
पड़ोसी हैं पहला परिवार
हमें बच्चों को किसी सीमा में कैद नहीं करना चाहिए। उन्हें अपने सभी रिश्तेदारों से जोड़े रखना चाहिए। आइये जानते हैं कैसे हम बच्चों को हमारे भरे पूरे परिवार से जोड़ कर रखें।

दुःख सुख के पहले साथी हमारे पड़ोसी होते हैं। हमें किसी भी तरह कि परेशानी हो या मेडिकल इमरजेंसी हो,सबसे पहले पड़ोसी ही हमारा साथ देते हैं। एक तरह से पड़ोस हमारा परिवार ही होता है।आजकलहम थोड़े अलग थलग रहने वाले इंसान बन गए हैं। इसी तरह हमारे बच्चे भी हो गए हैं।कोशिश करें अपने आस-पड़ोस से दोस्ताना व्यवहार रखें दुःख-सुख में उनके काम आएं। एक-दूसरे के हालचाल लेते रहें। अपने बच्चे को भी पड़ोसियों से मिलवाएं और एक अच्छा रिश्ता बना कर रखें।
सभी रिश्तेदारों से बच्चों का परिचय कराएं

रिश्ते के भाई बहन,चाचा चाची,मामा मामी और बाकी रिश्तेदारों से भी बच्चों का परिचय कराएं।उन्हें बताएं ये सब भी आपके परिवार के सदस्य हैं। जब कभी आप सबके पास समय हो एक दूसरे से मिलने का प्लान बनाएं। परिवार के साथ जुड़ कर बच्चों को रिश्तों कि अहमियत पता चलेगी। इसके बाद वो कभी अकेला रहना पसंद नहीं करेंगे। मौका मिलते ही वो सबसे मिलने का सोचेंगे। इस तरह बच्चे सामाजिक बन जाएंगे और अकेलापन भूल जाएंगे।
पुरानी एलबम दिखाएं

पुरानी यादें संजो कर रखना सबकी आदत होती है।समय मिलते ही हम पुरानी एलबम्स या तसवीरें देखने लगते हैं, और उन तस्वीरो से जुडी यादें ताज़ा हो जाती हैं।अपने बच्चों के साथ एल्बम में से पुरानी तस्वीरें निकाल कर देखें और अगर उनमें कोई मज़ेदार याद छुपी हो, तो उनके साथ शेयर करें। खुशी के पल या कोई ऐसा यादगार लम्हा जिसके बारे में आप बहुत सोचते हों,वो पल बच्चों के साथ बाँट लें।उन्हें दिखाएं सालों पहले उनके मामा मामी, चाचा चाची, मौसी और दूसरे भाई बहन कैसे लगते थे।ये बच्चों के लिए फन मोमेंट होगा। आप महसूस करेंगे कि कुछ दिनों में बच्चे खुद एल्बम निकाल कर लाएंगे और आपसे खूब सारे सवाल पूछेंगे।
जन्मदिन या त्योहार पर एक-दूसरे से संपर्क करें

एक दूसरे का हाल पूछने के लिए कोई ख़ास दिन तय ना करें।थोड़े थोड़े दिनों के अंतराल में बात करते रहे और बच्चों की भी उनके बड़ों से बात करवाते रहें। बच्चे हमें संपर्क में रहते देखेंगे तो उन्हें भी अपने परिवार के सदस्यों से बात करते रहने की उत्सुकता होगी। जन्मदिन, शादी की सालगिरह या किसी विशेष उत्सव पर एक दूसरे को बधाई जरूर दें। इस तरह बच्चे भी सबसे जुड़ाव महसूस करेंगे।
