खास दिन की तैयारी में नेचुरोपैथी है कारगर: Naturopathy for Bride
Naturopathy for Bride

Naturopathy for Bride: शादी हर लड़की के जीवन का खूबसूरत और यादगार लम्हा होता है। हरेक लड़की की चाह होती है कि वह सबसे सुंदर दुलहन दिखे। इसी चाहत में वे शादी के एक-दो महीने पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर देती है। बाह्य रंग-रूप निखारने के लिए बड़े पार्लर का सहारा लेती हैं, वहीं फिट दिखने के लिए जिम जाकर एक्सरसाइज भी करती हैं। जबकि वर्तमान में प्राकृतिक संसाधनों को अपनाने का ट्रेंड भी जोरों पर है। देखा जाए तो प्रकृति में मौजूद जल, मिट्टी, वायु, सूर्य किरणों जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करने की परंपरा हमारे देश में रही है। ये चीजें शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल कर अंदरूनी-बाह्य तौर पर स्वस्थ बनाने में सहायक होती है। कई लड़कियां अपनी खूबसूरती बढ़ाने और फिट रहने के लिए इनकी ओर उन्मुख हुई हैं।

घर पर ले सकते हैं नेचुरोपैथी

Naturopathy for Bride
Naturopathy for Bride

कुछ समय पहले तक नेचुरोपैथी उपचार के लिए व्यक्ति को नेचुरोपैथी वेलनेस सेंटर्स में जाना पड़ता था लेकिन अब इसमें बदलाव आया है कि आपके बुलाने पर नेचुरोपैथी डॉ. घर पर आकर सुविधाएं प्रदान करता है, यह केवल आपसे विजिटिंग चार्ज लेते हैं। इसमें आपकी जरूरत के हिसाब से विभिन्न पद्धतियां प्रदान की जाती हैं।

मड थेरेपी

शादी की तैयारी कर रही लड़कियों के लिए मड थेरेपी बहुत कारगर है। इसके लिए खेत या तालाब की 4-6 फुट नीचे की मिट्टी या फिर मुल्तानी मिट्टी ली जाती है। उसे अच्छी तरह छानकर साफ या परिष्कृत किया जाता है। उसमें जरूरत के हिसाब से पानी और दूसरी चीजें मिलाकर एक मुलायम पेस्ट तैयार किया जाता है। आइए जानते हैं मड थेरेपी की प्रक्रिया और उसके फायदे-

  • सबसे पहले मड थेरेपी में मिट्टी का लेप पूरे शरीर में लगाकर हवा और धूप में बिठाया जाता है। 10-15 मिनट बाद ठंडा पानी पूरे आवेग से डाला जाता है। ठंडे पानी से शरीर की नसें खुल जाती हैं और रक्त प्रवाह अच्छा होता है। किडनी, रक्त में मौजूद विषैले पदार्थों को फिल्टर कर शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। जबकि साफ रक्त शरीर के अन्य अंगों को स्वस्थ बनाता है और त्वचा में निखार लाता है। शादी की तैयारी कर रही लड़कियों को मड थेरेपी सप्ताह में 1-2 बार कराना फायदेमंद है।
  • मुंहासों की शिकायत में भी मड थेरेपी कारगर है। इसमें महिला के चेहरे पर पहले धोती या मलमल के सूती कपड़ा रखा जाता है। उसके ऊपर मिट्टी, थोड़ा-सा गुलाबजल और थोड़ी-सी हल्दी, केसर मिलाकर बने पेस्ट की मोटी परत लगाई जाती है। इससे त्वचा के रोमछिद्र खुल जाते हैं और शरीर के विषाणु बाहर निकल जाते हैं। 15-20 मिनट बाद महिला को ठंडे पानी से नहाने के लिए बोला जाता है। नहाने के बाद थोड़ा-सा शहद पानी में मिलाकर चेहरे पर लगाया जाता है। इससे चेहरे का नेचुरल ग्लो बढ़ता है। मिट्टी में शहद, गुलाब, गेंदा की पत्तियों, फलों का जूस, ऐलोवेरा जैसी चीजें मिला सकते हैं।
  • महिला के पेट पर मिट्टी-पट्टी रखी जाती है। पेट पर धोती फैलाकर उसके ऊपर मिट्टी की मोटी परत लगाई जाती है। शरीर के अंदर की गर्मी कम होती है जिससे चर्म रोग में राहत मिलती है, इससे कील-मुंहासे भी कम होते हैं और चेहरे पर निखार आता है। मिट्टी का पैक पेट में मौजूद विषाक्त पदार्थ, एसिडिटी, गैस इत्यादि को खींच लेता है जिससे अतिरिक्त चर्बी कम होती जाती है और वजन नियंत्रित होता है। पेट के विकार कम होते हैं और महिला स्वस्थ रहती है।
  • आंखों के नीचे काले घेरों के उपचार के लिए भी मिट्टी-पट्टी उपयोगी है। इसमें आंखे बंद करवाकर धोती का कपड़ा रखा जाता है। उसके ऊपर मिट्टी का लेप 10-15 मिनट के लिए लगाया जाता है। ठंडी-ठंडी मिट्टी आंखों की सारी गर्मी सोखकर उन्हें आराम पहुंचाती है, जिससे आंखों में सूजन, काले घेरे धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
  • मड थेरेपी में मुल्तानी मिट्टी का उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। सामान्य त्वचा के लिए सादी मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाया जाता है, जबकि दाने, मुंहासे या अन्य त्वचा  रोगों में हल्दी, आंवला और सरसों, नारियल या जैतून का तेल मिलाया जाता है। पैक के नियमित उपयोग से त्वचा में चमक आती है और मुलायम होती है। आमतौर पर 15-20 मिनट के लिए रखा जाता है। पूरी तरह सूखने से पहले ही उतार दिया जाता है।
  • प्राकृतिक गुणों से भरपूर मुल्तानी मिट्टी पैक लगाने से बाल मुलायम होते हैं। बालों में रूसी खत्म करने के लिए मुल्तानी मिट्टी के पेस्ट में नींबू का रस, रूखे बालों के लिए तेल, सिरदर्द की शिकायत में मुल्तानी मिट्टी में अश्वगंधा मिलाई जाती है।

वाटर थेरेपी

नेचुरोपैथी में जल चिकित्सा हाइड्रोथेरेपी के रूप में की जाती है। मासिक धर्म में गड़बडी, वजाइनल इंफेक्शन, पेट में गैस या एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोगी है।

कटि स्नान

महिला की वजाइना क्षेत्र में कसावट और मजबूती आती है। वजाइनल इंफेक्शन दूर होते हैं। इसमें एक बड़े टब में सामान्य पानी लेकर महिला को उसमें बिठाया जाता है। इसमें घुटनों से लेकर छाती तक का हिस्सा टब में होता है। घुटने से पैर और छाती से सिर तक का हिस्सा बाहर रहता है।

गर्म-ठंडी सिंकाई

इसमें महिला को पहले 2 मिनट के लिए ठंडे पानी के टब में बैठाया जाता है, उसके बाद 4 मिनट के लिए गर्म पानी में। यह प्रक्रिया 3 बार की जाती है।

स्टीम थेरेपी

इसमें जरूरत के हिसाब से भाप दी जाती है, जिससे शरीर में पसीना आता है। पसीने के साथ त्वचा में मौजूद सभी विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। भाप लेते समय सिर पर गीला कपड़ा या तौलिया रखना जरूरी है क्योंकि भाप लेने के दौरान शरीर में रक्त प्रवाह बहुत तेजी से होने पर दिमाग को प्रभावित कर सकता है यानी कि सिर दर्द हो सकता है। कुल मिलाकर इस थेरेपी से त्वचा में निखार आता है और पूरा शरीर चुस्त-दुरुस्त हो जाता है। साथ ही साथ शरीर से अतिरिक्त चर्बी बाहर निकल जाती है और वजन नियंत्रित रहता है।

फुल बॉडी स्टीम थेरेपी

Naturopathy for Bride
Naturopathy for Bride-Full Body Therapy

इसमें स्टीम चैम्बर में बैठने पर पूरे शरीर को स्टीम दी जाती है। गर्मियों में सप्ताह में 2-3 दिन और ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 मिनट के लिए ही स्टीम बाथ कराई जाती है, जबकि सर्दियों में आप 4 से 5 दिन में आराम से स्टीम बाथ ले सकती हैं।

हॉफ फुट बाथ थेरेपी

इसे उष्ण पाद स्नान भी कहा जाता है। एक कुर्सी में महिला को 25-30 मिनट के लिए बिठाया जाता है। इसके लिए एक छोटी बाल्टी में गर्म पानी लेकर पैर डुबोकर बैठने के लिए कहा जाता है। फिर महिला के पैरो और बाल्टी के चारों तरफ कंबल लपेट दिया जाता है और सिर पर गीला तौलिया रखा जाता है। कंबल से लिपटे होने पर गर्म पानी से निकलने वाला वाष्प पूरे शरीर तक पहुंच जाता है। इसके बाद महिला को ठंडे पानी से बिना साबुन लगाए नहाना चाहिए और थोड़ी देर के लिए लेटने के लिए कहा जाता है।

इंटरनल स्टीम थेरेपी

चेहरे में निखार लाने के लिए महिलाएं मड थेरेपी के बाद स्टीम ले सकती हैं। स्टीमर बॉयलर या पतीले में पानी गर्म करें। सिर और मुंह को पतीले के ऊपर रखकर बैठ जाएं और चेहरे को तौलिये से ढंक लें और भांप लेते रहें। भाप लेने के बाद ठंडे पानी से मुंह धोकर ठंडक प्रदान करने के लिए हल्का-सा नारियल तेल लगाना चाहिए। इससे त्वचा कोमल और मुलायम बनती है।

सन रेज थेरेपी

सूर्य किरण चिकित्सा में रंगीन कांच की बोतलों में के ऊपर अलग-अलग रंग के पतले पॉलिथीन बांधे जाते हैं। उनमें पानी भर कर धूप में रखा जाता है। सूर्य की किरणों से पानी रिचार्ज हो जाता है। रिचॉर्ज वॉटर पीने से शरीर में विटामिन डी की आपूर्ति होती है। रक्त संचार अच्छा होता है जिससे त्वचा में चमक आती है। एनीमियाग्रस्त और कमजोर महिलाओं के लिए रेड कलर थेरेपी लाभकारी है। जिनकी त्वचा में लालिमा कम होती है। ब्लू कलर थेरेपी में भी महिला की स्किन के लिए फायदेमंद है। यह सूर्य की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से त्वचा का बचाव करती है और उसमें निखार लाती है।

मालिश और घर्षण थेरेपी

शादी की तैयारी कर रही लड़कियों के लिए सप्ताह में दो बार मालिश करना बहुत उपयोगी रहता है। मालिश एक्सपर्ट से ही करानी चाहिए क्योंकि उन्हें मालिश करने का सही तरीका और शरीर के प्रेशर पाइंट मालूम होते हैं। मालिश के साथ वो इन पाइंट को साथ-साथ दबाते रहते हैं। मालिश के लिए प्राकृतिक चीजों और तेलों का इस्तेमाल किया जाता है।

(दीपांशा मिश्रा, फिटनेस एंड वेलनेस एक्सपर्ट, शी फिटनेस क्लब, दिल्ली)