Ancient Shiva temples in Chhattisgarh.
Ancient Shiva temples in Chhattisgarh.

Summary: छत्तीसगढ़ के वो 5 शिव मंदिर, जहां सावन में उमड़ता है आस्था का सैलाब

छत्तीसगढ़ ना सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य बल्कि प्राचीन शिव मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। सावन के महीने में यहां के शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

Famous Shiva Temples in Chhattisgarh: साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आया छत्तीसगढ़ राज्य केवल प्राकृतिक सुंदरता और जैविक विविधता के लिए ही नहीं, बल्कि धार्मिक स्थलों और विशेष रूप से शिव मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस क्षेत्र में कभी 36 किले (गढ़) थे, इसलिए इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा। यहां कई ऐसे पौराणिक शिव मंदिर स्थित हैं, जहां सावन के पवित्र महीने में श्रद्धालुओं का तांता लगता है।

आइए जानते हैं इन मंदिरों की विशेषताओं और मान्यताओं के बारे में…

View of Bhoramdeo Temple and a Shivling.
Bhoramdeo Temple

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में स्थित भोरमदेव मंदिर एक अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण है। यह मंदिर 7वीं से 11वीं शताब्दी के बीच निर्मित हुआ था और भगवान शिव को समर्पित है। इसकी शिल्पकला खजुराहो के मंदिरों से मेल खाती है, इसलिए इसे ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ भी कहा जाता है।

सावन के महीने में इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है और हजारों भक्त यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। सावन की शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के अवसर पर तो यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है।

भूतेश्वरनाथ मंदिर, जिसे स्थानीय लोग भकुर्रा महादेव के नाम से जानते हैं, गरियाबंद जिले में स्थित है। यहां मौजूद विशाल शिवलिंग लगभग 80 फीट ऊंचा और 290 फीट के घेरे में फैला हुआ है। इस शिवलिंग की खास बात यह है कि यह हर साल थोड़ा-थोड़ा बढ़ता जा रहा है और इसे स्वयंभू माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस शिवलिंग की उत्पत्ति स्वयं भगवान शिव की कृपा से हुई है। सावन में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से यहां आता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

सिरपुर में स्थित गंधेश्वर महादेव मंदिर लगभग 2000 वर्ष पुराना बताया जाता है। यह मंदिर एक ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ आध्यात्मिक आस्था का भी केंद्र है। यहां स्थापित शिवलिंग से तुलसी के पत्तों जैसी सुगंध आती है, जो इसे और विशेष बनाती है।

लोक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर में पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। सावन के दौरान यहां भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। महाशिवरात्रि के दिन यहां विशेष आयोजन होता है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए जुटते हैं।

राजधानी रायपुर में स्थित सोमनाथ मंदिर भी भगवान शिव का एक अत्यंत पूज्यनीय स्थान है। यह मंदिर दो पवित्र नदियों, शिवनाथ और खारुन के संगम पर स्थित है, जिससे इसकी धार्मिक महत्ता और बढ़ जाती है।

यहां विराजमान शिवलिंग का आकार समय के साथ बदलता रहता है, जिसे भक्त अद्भुत चमत्कार मानते हैं। मंदिर परिसर में देवी पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां भी स्थापित हैं। सावन के महीने में यहां हर सोमवार विशेष भजन-पूजन और धार्मिक आयोजन होते हैं।

राजीव लोचन मंदिर, राजिम में स्थित है और इसका निर्माण नल वंश या 8वीं-9वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है। हालांकि यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, लेकिन इसके परिसर में स्थित कुलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

सावन के दौरान यहां भक्त शिव और विष्णु दोनों के दर्शन करते हैं, जिससे यह स्थल विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कराता है। यहां की मान्यता है कि भगवान शिव और विष्णु का यहां संगम होता है, जिससे यह स्थान अत्यंत पावन माना जाता है।

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