Mandwa Art & History
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मंडावा की ख़ास बात

मंडावा को ओपन आर्ट गैलरी भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ की हवेलियों में बेजोड़ भित्ति चित्र और वास्तुकला का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

Mandwa Art & History: राजस्थान का शेखावाटी क्षेत्र अपनी भव्य हवेलियों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र का मंडावा कस्बा विशेष रूप से अपनी शानदार हवेलियों के कारण दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। मंडावा को ओपन आर्ट गैलरी भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ की हवेलियों में बेजोड़ भित्ति चित्र और वास्तुकला का अद्भुत मेल देखने को मिलता है। ये हवेलियाँ न केवल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं बल्कि राजस्थान के वैभवशाली इतिहास और सामाजिक जीवन की झलक भी प्रस्तुत करती हैं।

मंडावा की स्थापना 18वीं सदी में ठाकुर नवल सिंह ने की थी। यह कस्बा व्यापार मार्गों के चौराहे पर बसा हुआ था, जहाँ से व्यापारी कारवां गुजरते थे। इसी समृद्धि ने यहाँ के व्यापारियों को आलीशान हवेलियाँ बनाने के लिए प्रेरित किया। इन हवेलियों को न केवल निवास के रूप में बल्कि अपने सामाजिक और आर्थिक दर्जे को दर्शाने के लिए भी बनाया गया था।

Mandwa Art & History
Mandwa Art & History

मंडावा की हवेलियाँ अपनी दीवारों पर चित्रित भित्ति चित्रों के लिए मशहूर हैं। ये चित्र प्राचीन पौराणिक कथाओं, राजस्थानी लोककथाओं, मुगल और ब्रिटिश काल की झलकियों और यहाँ तक कि आधुनिक तकनीकी नवाचारों जैसे ट्रेन और कार तक को दर्शाते हैं। गोएंका हवेली, सराफ हवेली, झुनझुनवाला हवेली और हनुमान प्रसाद गोएंका हवेली कुछ प्रमुख हवेलियाँ हैं जहाँ ये चित्रकारी देखते ही बनती है। हर हवेली की दीवारें मानो आपको एक नई कहानी सुनाती हैं और कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।

Mandwa Art & History
Architectural features

मंडावा की हवेलियों में राजस्थानी और मुगल वास्तुकला का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। हवेलियों के ऊँचे दरवाजे, झरोखे, जालीदार खिड़कियाँ और सुंदर आंगन पारंपरिक स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन हवेलियों में हवा और रोशनी के लिए विशेष व्यवस्था की गई है जिससे ये आज भी टिकाऊ बनी हुई हैं।

Mandawa
Mandawa at present

आज मंडावा एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुका है। यहाँ की कई हवेलियाँ अब हेरिटेज होटल्स में बदल दी गई हैं जहाँ पर्यटक शाही जीवन का अनुभव कर सकते हैं। मंडावा फिल्म इंडस्ट्री का भी पसंदीदा स्थान है कई बॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों की शूटिंग यहाँ हुई है। यहाँ आने वाले पर्यटक न केवल हवेलियों की सैर करते हैं बल्कि लोक संगीत, पारंपरिक नृत्य और ऊँट सफारी का भी आनंद लेते हैं।

मंडावा की हवेलियाँ केवल ईंट-पत्थर की इमारतें नहीं हैं बल्कि ये राजस्थान के इतिहास, संस्कृति और कला का सजीव दस्तावेज हैं। यहाँ की हवेलियों में छिपी हर कहानी, हर चित्र और हर दीवार राजस्थानी विरासत को सहेजे हुए है। मंडावा उन यात्रियों के लिए स्वर्ग है जो इतिहास और कला को नज़दीक से महसूस करना चाहते हैं। यदि आप राजस्थान की पारंपरिक भव्यता को असली रूप में देखना चाहते हैं तो मंडावा की यात्रा अवश्य करें।

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...