Malayalam Literature: गूगल ने मलयालम साहित्य की दादी को उनके 113 वी जयंती पर अनोखे अंदाज में याद किया है। देश की कला और संस्कृति की दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करने वाली एक प्रतिष्ठित भारतीय कवियत्री बालामणी अम्मा का जन्म 19 जुलाई को एक सदी से भी पहले हुआ था। आज इस खास पल को यादगार बनाते हुए गूगल ने डूडल बनाया है।
भारतीय समाज में कवियों का एक विशेष स्थान रहा है। कई बार कुछ कवि ऐसे भी होते हैं जिनकी कृतियां उनके जाने के बाद भी लोगों में अमर हो जाती हैं। मलयालम साहित्यकार बालामणि अम्मा के जन्मदिन पर गूगल ने खास डूडल तैयार किया है, इस डूडल को केरल की कलाकार देविका रामचंद्रन ने तैयार किया है। मलयालम साहित्य में कविताएं लिखने वाली बालामणि अम्मा को ‘मलयालम साहित्य की दादी’ भी कहा जाता है।
ऐसे मिली कविताओं से पहचान:
बालामणी अम्मा की पहली कविता, कोप्पुकाई साल 1930 में प्रकाशित हुई, जिसके बाद उन्हें कोचीन साम्राज्य थंपुरन ने उन्हें ‘साहित्य निपुण पुरस्कार’ से सम्मानित भी किया था। उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताएं हैं- अम्मा (मां), मुथस्सी (दादी), और मज़ुविंते कथा (द स्टोरी ऑफ़ द कुल्हाड़ी)। इतना ही नहीं अम्मा के बेटे कमला सुरय्या ने अपनी मां की एक कविता, “द पेन” का अनुवाद किया, जिसमें एक मां के दर्द का और अकेलेपन का वर्णन किया है।
ऐसे बनी बालमणि से साहित्यिक दादी:
अपनी कविताओं के माध्यम से मलयालम साहित्य को एक नई दिशा देने वाली बालमणि अम्मा के नाम से कविता, गद्य और अनुवाद के 20 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी कविताओं में बच्चों के प्रति अपार प्रेम देखा जा सकता है। बच्चों और पोते-पोतियों के लिए उनके प्यार का वर्णन करने वाली उनकी कविताओं ने ही उन्हें मलयालम कविता की अम्मा (मां) और मुथस्सी (दादी) की उपाधि दी।
पद्म विभूषण से सम्मानित:
नलपत बालामणि अम्मा अपने पूरे जीवनकाल में कई पुरस्कारों से सम्मानित की गई है। इनकी अलौकिक रचनाओं के लिए सरस्वती अकादमी पुरस्कार और एज़ुथाचन पुरस्कार से भी इन्हे नवाजा गया है। देश का तीसरा सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण से भी इनको सम्मान दिया गया।