Tulsi Vivah
Method Of Tulsi Vivah Credit: Istock

Tulsi Vivah Vidhi: दिवाली के बाद आयोजित की जाने वाली साल की सबसे बड़ा शादी समारोह होता है, तुलसी विवाह। इसमें भगवान विष्‍णु और माता तुलसी का विवाह संपन्‍न कराया जाता है। तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्‍व है। माना जाता है कि हिंदू धर्म में तुलसी विवाह के बाद मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार तुलसी विवाह को हर साल कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्‍णु की शालिग्राम के रूप में और तुलसी के पौधे की शादी की जाती है। इस पर्व को पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 13 नवंबर को है। इस दिन तुलसी विवाह घर में संपन्‍न करने से सभी कष्‍टों का निवारण हो सकता है। लेकिन तुलसी विवाह को पूरी विधि-विधान और नियम से करना आवश्‍यक है।

तुलसी विवाह का महत्‍व

तुलसी विवाह का महत्‍व
Importance of Tulsi marriage

तुलसी विवाह इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। ये विवाह भगवान शालिग्राम जो कि भगवान श्रीकृष्‍ण का अवतार हैं और तुलसी के पौधे का औपचारिक विवाह है। इस दिन भगवान विष्‍णु 4 महीने की निद्रा से जागते हैं। मान्‍यता के अनुसार इस विवाह के बाद ही हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। शास्‍त्रों के अनुसार तुलसी का पौधा धर्म और आस्‍था का प्रतीक माना जाता है। जिस घर में तुलसी का पौधा उगता है उस घर में नकारात्‍मक ऊर्जा का वास नहीं होता। घर और परिवार में सुख और समृद्धि आती है। तुलसी विवाह करने से पुण्‍य की प्राप्ति होती है। माना जाता है जो व्‍यक्ति अपने जीवनकाल में कन्‍यादान नहीं कर पाता वह तुलसी विवाह करके कन्‍यादान का पुण्‍य कमा सकता है। इसके अलावा ये विवाह घर में संपन्‍न करने से भगवान विष्‍णु प्रसन्‍न होते हैं और घर व कारोबार में तरक्‍की मिलती है। जिन युवक और युवतियों की शादी में अड़चन आ रही है उन्‍हें विशेषतौर पर तुलसी विवाह करने से लाभ पहुंच सकता है।

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तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त

तुलसी विवाह बुधवार, 13 नवंबर हो है। 12 नवंबर 2024 को शाम 4 बजकर 4 मिनट से द्वादशी तिथि आरंभ होगी। 13 नवंबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर समाप्‍त होगी।

तुलसी विवाह से जुड़े नियम और विधि

तुलसी विवाह को मंदिर और घर दोनों जगहों पर किया जा सकता है। इसे पूरी श्रृद्धा और रीति-रिवाजों के साथ संपन्‍न किया जाता है। तुलसी विवाह के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्‍यक होता है।

– तुलसी विवाह शाम के समय मुहूर्त के अनुसार की जाती है।

– तुलसी विवाह के दौरान जो व्‍यक्ति कन्‍यादान करता है उसे पूरे दिन उपवास रखना पड़ता है।

– घर को फूलों और रंगोली से सजाया जाता है।

तुलसी विवाह का महत्‍व
Rules and regulations related to Tulsi marriage

– इस दिन तुलसी के पौधे को दुल्‍हन की तरह सजाया जाता है। पौधे को नई लाल चुनरी, चूड़ी, बिंदी और गहने पहनाए जाते हैं।

– वहीं भगवान शालिग्राम को स्‍नान कराकर नए वस्‍त्र पहनाए जाते हैं।

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– तुलसी विवाह में भगवान शालिग्राम और तुलसी के पौधे को कलावे या मौली से बांधा जाता है।

– इस दौरान पांच गन्‍नों को बांधकर मंडप लगाया जाता है, जिसके नीचे शालिग्राम और तुलसी के पौधे को स्‍थान दिया जाता है।

– महिलाएं व पुरुष इस मंडप के चारों और फेरे लेते हैं और फूलों व अक्षत की वर्षा की जाती है।

– शादी संपन्‍न होने के बाद भोग का वितरण किया जाता है।

– इस दौरान बिना लहसुन और प्‍याज का सात्‍विक भोजन बनाया जाता है।

– विवाह के दौरान कुंवारों की भी मंडप में बिठाकर पूजा करनी चाहिए ताकि उनकी शादी जल्‍दी हो सके।