Lord Shiva Third Eye: महादेव को देवों का देव कहा जाता है। शास्त्रों की माने तो महादेव के कई नाम मौजूद है। इनमें से एक भोले है तो दूसरा रौद्र भी है। इसका मतलब वह जितने भोले हैं उससे कई गुना ज्यादा उनका गुस्सा खराब है। कहा जाता है कि अगर महादेव क्रोधित हो जाए तो वह अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। इसको लेकर धार्मिक शास्त्रों में अनेकों कथाएं भी प्रचलित है। भगवान शिव की तीसरी आंख क्रोध और रौद्र रूप का प्रतीक माना जाता है। अब ऐसे में अधिकतर लोगों को महादेव की तीसरी आंख का रहस्य नहीं पता है। अगर आपको भी नहीं पता है तो आज हम आपको महादेव की तीसरी आंख का रहस्य क्या है वह बताने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं –
देवों के देव महादेव का क्रोध जब बढ़ जाता है और वह गुस्सा हो जाते हैं तब वह अपनी तीसरी आंख खोलते हैं। ऐसे में सबसे पहले उन्होंने सृष्टि को बचाने के लिए अपनी तीसरी आंख खुली थी। उसके बाद असुरों के बढ़ते अत्याचार को देखते हुए भी उन्होंने अपने तीसरी आंख खोली थी। पौराणिक कथा में भगवान शिव के त्रिनेत्र के रहस्य के बारे में बताया गया है। चलिए जानते हैं कैसे मिली थी शिवजी को तीसरी आंख –
पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने हिमालय पर्वत पर एक सभा का आयोजन किया था। जिसमें कई देवी-देवताओं, ऋषि मुनि और ज्ञानी लोगों को बुलाया था। ऐसे में इस सभा में माता पार्वती भी शामिल हुई थी और शिव जी की आंखों पर उन्होंने अपने दोनों हाथ रख दिए थे। इस वजह से सृष्टि में अंधकार छा गया था। वहीं सूर्य का भी प्रभाव खत्म हो गया था और धरती पर हाहाकार मच गया था। तब भगवान श्रीकृष्ण नहीं देख पा रहे थे तभी उन्होंने अपने माथे पर ज्योतिपुंज प्रकट किया।
इसी वजह से सृष्टि में वापस से रोशनी लौटी उनकी ज्योतिपुंज को ही तीसरी आंख कहा जाता है। ऐसे में पार्वती जी ने भी शिव से उनकी तीसरी आंख के रहस्य के बारे में पूछा था तब शिवजी ने उन्हें बताया था कि उनकी तीसरी आंखें जगत की पालनहार है। अगर वह ज्योतिपुंज ही प्रकट नहीं करते तो सृष्टि का विनाश हो जाता। ऐसे में शिवजी अपनी तीसरी आंख तभी खोलते हैं जब विनाश का समय होता है। उससे पहले वह अपनी तीसरी आंख को हमेशा बंद रखते हैं।