prashna jyotish
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Prashna Jyotish: ज्योतिष के जरिये मनुष्य अपना पूरा भविष्य तो नहीं देख सकता परन्तु भविष्य की संभावित घटनाओं का अंदेशा जरूर पा सकता है। ज्योतिष की सहायता से वह अपने कार्य की सफलता के लिए प्रयास अवश्य कर सकता है। ज्योतिष के इसी महत्त्व को देखते हुए हमारे समाज में ज्योतिष की कई शाखाओं का विकास हुआ। उन्हीं में से प्रमुख दो शाखाओं प्रश्न ज्योतिष व पंच पक्षी ज्योतिष शाखा का यहां विवरण दिया जा रहा है।

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प्रश्न ज्योतिष, ज्योतिष की वह कला है, जिससे आप अपने मन की कार्य सिद्धि को जान सकते हैं। कोई घटना घटित होगी या नहीं, यह जानने के लिए प्रश्न लग्न देखा जाता है। प्रश्न ज्योतिष में उदित लग्न के विषय में कहा जाता है कि लग्न में उदित राशि के अंश अपना विशेष महत्त्व रखते हैं। प्रश्न ज्योतिष में प्रत्येक भाव, प्रत्येक राशि अपना विशेष अर्थ रखती है। ज्योतिष की इस विधा में लग्न में उदित लग्न, प्रश्न करने वाला स्वयं होता है। सप्तम भाव उस विषय वस्तु के विषय का बोध कराता है, जिसके बारे में प्रश्न किया जाता है। प्रश्न किस विषय से सम्बन्धित है यह जानने के लिये जो ग्रह लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखता है, उस ग्रह से जुड़ा प्रश्न हो सकता है या जो ग्रह कुण्डली में बलवान हो, लग्नेश से सम्बन्ध बनाये, उस ग्रह से जुड़ा प्रश्न हो सकता है। प्रश्न कुण्डली में प्रश्न का समय बहुत मायने रखता है, इसलिए प्रश्न का समय कैसे निर्धारित किया जाता है इसे अहम विषय माना जा सकता है।

समय निर्धारण के विषय में प्रश्न कुण्डली का नियम है कि जब प्रश्नकर्ता के मन में प्रश्न उत्पन्न हो वही प्रश्न का सही समय है जैसे प्रश्नकर्ता ने फोन किया और उस समय ज्योतिषी ने जो समय प्रश्नकर्ता को दिया, इन दोनों में वह समय लिया जायेगा जिस समय ज्योतिषी ने फोन सुना, वही प्रश्न कुण्डली का समय है। इसी प्रकार प्रश्नकर्ता आगरा से फोन करता है और ज्योतिषी दिल्ली में फोन से प्रश्न सुनता है। इस स्थिति में प्रश्न कुण्डली का स्थान दिल्ली होगा। प्रश्न कुण्डली का प्रयोग आज के समय में और भी ज्यादा होने लगा है। कई प्रश्नों का जवाब जन्म कुण्डली से देखना मुश्किल होता है, जबकि प्रश्न कुन्डली से उन्हें आसानी से देखा जा सकता है। प्रश्न कुण्डली से जाना जा सकता है कि अमुक इच्छा पूरी होगी या नहीं। प्रश्न कुण्डली से उन प्रश्नों का भी जवाब पाया जा सकता है, जिसका जवाब हां या ना में दिया जा सकता है जैसे अमुक मामले में जीत होगी या हार, बीमार व्यक्ति स्वस्थ होगा या नहीं, घर से गया व्यक्ति वापस लौटेगा या नहीं। इतना ही नहीं प्रश्न कुण्डली से यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि खोया सामान मिलेगा अथवा नहीं।

जन्म कुण्डली की तरह प्रश्न ज्योतिष में भी लग्न को प्रमुख माना जाता है। इसमें लग्न की राशि, अंश, प्रश्न और प्रश्नकर्ता का विवरण देते हैं। प्रथम भाव प्रश्नकर्ता है, सप्तम भाव जिसके विषय में प्रश्न किया गया है वह है। दूसरा भाव जिसके विषय में प्रश्न किया गया है उसकी आयु है। अलग-अलग प्रश्नों के लिए भाव का अर्थ बदल जाता है। जब लग्न का सम्बन्ध, सम्बन्धित भाव से आये तो कार्य सिद्धि मानी जाती है।

प्रश्न ज्योतिष में राशियों का वर्गीकरण यहां यह बताता है कि शीर्षोदय राशियां प्रश्न की सफलता बताती हैं और पृष्टोदय राशियां प्रश्न की असफलता की ओर इशारा करती हैं। सामान्य प्रश्नों में लग्न में शुभ ग्रह का होना अच्छा माना जाता है और अशुभ ग्रह का बैठना अशुभ। प्रश्न कुण्डली को जन्म कुण्डली की पूरक कुण्डली माना जा सकता है। अपने प्रश्न की पुष्टि के लिए प्रश्न के योग को जन्म कुण्डली में भी देखा जा सकता है। जैसे लग्न में चर राशि का उदय होना यह बताता है कि स्थिति बदलने वाली है और स्थिर राशि यह बताती है कि जो है वही बना रहेगा, अर्थात् यात्रा के प्रश्न में लग्न में चर राशि होने पर यात्रा होगी और स्थिर राशि होने पर नहीं होगी तथा द्विस्वभाव होने पर लग्न के अंशों पर ध्यान दिया जाता है। 0 डिग्री से 15 डिग्री तक स्थिर राशि के समान होगा अन्यथा चर राशि के समान होगा। प्रश्न की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि लग्न, लग्नेश, भाव, भावेश का सम्बन्ध जितना अधिक होगा, कार्य सिद्धि उतनी जल्द होगी।

प्रश्न मन की इच्छा है, प्रश्नकर्ता की जो इच्छा है वह प्रश्नकर्ता के पक्ष में है या नहीं, यह प्रश्न से देखा जाता है। जैसे यात्रा के प्रश्न में प्रश्नकर्ता यात्रा चाहता है और प्रश्न कुण्डली में भी यह आता है तभी कहा जाता है कि व्यक्ति यात्रा करेगा, अन्यथा नहीं। प्रश्न कुण्डली में हार-जीत का प्रश्न एक ऐसा प्रश्न है, जिसमें लग्न में शुभ ग्रह का होना अशुभ फल देता है जबकि अशुभ अथवा क्रूर ग्रह का परिणाम शुभ होता है। यहां विचारणीय तथ्य यह है कि अगर लग्न एवं सप्तम भाव दोनों ही में अशुभ ग्रह बैठे हों तो अंशों से फल को देखा जाता है।

भावों की संख्या कुण्डली में 12 है। जन्म कुण्डली में प्रत्येक भाव स्थिर है और सभी का अपना महत्त्व है। प्रश्न कुण्डली में किस भाव से क्या देखना है यह प्रश्न पर निर्भर करता है। प्रश्न कुण्डली में कार्येश वह है जिसके विषय में प्रश्न किया गया है जैसे- विवाह के प्रश्न में सप्तम भाव का स्वामी (भावेश) कार्येश है। इसी प्रकार सन्तान के प्रश्न में पंचमेश कार्येश है। प्रश्न कुण्डली में प्रश्न की सफलता के लिए भावेश ओर कार्येश में सम्बन्ध देखा जाता है। यदि ये दोनों लग्न, लग्नेश, चंद्र और गुरु से सम्बन्ध बनायें तो उत्तर सकारात्मक होगा, अन्यथा नहीं।

तमिलनाडु में प्रचलित पंच-पक्षी ज्योतिष पद्धति अपने आप में अनेक पद्धतियों की विशेषताओं को अपने में समाहित किये हुये है। इस विधि के अन्तर्गत फल जानने के लिये बड़ी-बड़ी गणनाएं नहीं निकालनी पड़ती बल्कि सरलता से जन्म पक्षी निर्धारित कर अपनी जिज्ञासा का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। पंच-पक्षी के नाम से जानी जाने वाली इस विधि में पंच का अर्थ पांच से है। वह पक्षी जिन्हें परिन्दों के नाम से भी जाना जाता है। इस पद्धति के पांच पक्षी गिद्ध, उल्लू, कौआ, मुर्गा व मोर हैं।
ये सभी पांच पक्षी प्रतिदिन पांच प्रकार की क्रियाओं को करने में लगे रहते हैं। वह पांचों क्रियाएं क्रम से इस प्रकार हैं।

  1. खाना, 2. चलना, 3. राज करना, 4. सोना, 5. मरना।
    व्यक्ति का जन्म पक्षी जन्म नक्षत्र संख्या व चन्द्र के शुक्ल कृष्ण पक्ष से निर्धारित होता है। यह पूरे जीवन के लिये स्थिर होता है। पंच पक्षी विधि अनेक प्रकार से उपयोगी पाई गई है। पंच-पक्षी से व्यक्ति पूरे दिन में अलग-अलग समय पर निश्चित काम करके सफलता प्राप्त कर सकता है। इस विधि में समय दशा निकालना बहुत सरल है।
    यात्रा के दौरान मिलने वाले अनुभवों को जन्म पक्षी किस प्रकार प्रभावित करता है तथा दिन के किस समय में यात्रा करना लाभदायक रहेगा, आइए देखें।
  2. जन्म पक्षी के खाना खाने की क्रिया के दौरान यात्रा करना
    जो व्यक्ति जन्म पक्षी के खाना खाने की क्रिया के समय यात्रा करता है, उसे मार्ग में रोगग्रस्त होने की संभावना नहीं रहती है। उसे यात्रा के दौरान नये-नये लोगों से मिलने का अवसर मिलता है। वह अपनी यात्रा के लक्ष्य को पाने में सफल होता है अर्थात् उसका यात्रा करना लाभदायक रहता है। इस समय में यात्रा करने से संचित धन में भी बढ़ोतरी होने की संभावना रहती है व व्यक्ति को किसी प्रकार की मानसिक परेशानी भी नहीं होगी। जन्म पक्षी खाना खाने की क्रिया में तथा क्रियामान पक्षी राज करने के अलावा अन्य क्रियाओं में व्यस्त होना चाहिए तथा उसके जन्म पक्षी से शत्रु संबंध होने पर यात्रा से मिलने वाले फल विपरीत होंगे अर्थात् इससे आपको यात्रा से निराशा हाथ आने की संभावना है। रास्ते में भी आपको अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। यह भी संभव है कि मार्ग में आपको उचित खाना भी न मिले। इस बात की भी संभावना बन रही है कि आपको रास्ते में अपने साथ के मित्रों व रिश्तेदारों से किसी बात को लेकर झगड़ना भी पड़े अर्थात् संबंध खराब होने की संभावना भी है। उस समय आपको यात्रा करना असुविधाजनक लगेगा, यह आपकी अप्रसन्नता का कारण बनेगा। ऐसे समय में व्यक्ति के लिये यत्रा स्थगित करना लाभकारी रहता है। जन्म पक्षी व क्रियामान पक्षी जब मित्र हों, तो यात्रा सुखद रहेगी। इस स्थिति में जन्म पक्षी के राज करने की स्थिति में भी होना अनिवार्य है।
  3. जन्म पक्षी के चलने की क्रिया के दौरान यात्रा करना
    किसी व्यक्ति का जन्म पक्षी जब चलने की क्रिया में व्यस्त हो, तो उस समय में यात्रा करना व्यक्ति के लिये व्यर्थ होता है। ऐसे में व्यक्ति बेकार घूमकर बिना अपने लक्ष्य की प्राप्ति किये वापस आता है। इस दौरान उसे रास्ते में अच्छा खाना मिलने की संभावनाएं भी कम होती हैं तथा इस समय विशेष में मित्रों से भी व्यक्ति के संबंध खराब होने की संभावना है। ऐसी यात्रा करने के बाद व्यक्ति बाद में पछताता है कि काश मैंने इस समय में यात्रा न की होती। यह समय व्यक्ति को अपनी यात्रा के लक्ष्य से भी भटका सकता है। दूसरे लोग रास्ता बताने के स्थान पर व्यक्ति को दिशाभ्रमित कर सकते हैं। इस समय में अगर वह अपने होने वाले जीवन साथी से मिलने जा रहा है, तो रिश्ते में असफलता का सामना करना पड़ता है।