Navgrah Mantra: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में सभी नौ ग्रह उसके जीवन के पाठ्यक्रम को प्रभावित करते हैं। शनि, सूर्य, गुरु, मंगल, बुध, शुक्र, चंद्रमा, राहु, केतु को नवग्रह कहा जाता है। इन ग्रहों की स्थिति व्यक्ति पर गहरा प्रभाव डालती है। एक तरफ ग्रहों की शुभ स्थिति से व्यक्ति का जीवन खुशहाल होता है, तरक्की के अवसर मिलते हैं। वहीं दूसरी ओर ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएं और परेशानियां आने लगती है।
इन ग्रहों के प्रभाव से बचने के लिए कई तरह के उपाय बताए गए हैं जिनमें मंत्रों का जाप करना शामिल है। प्रत्येक ग्रह अलग-अलग फल प्रदान करते हैं। हर ग्रह का अनुकूल बनाने के अलग-अलग मंत्रों का जाप किया जाता है। इसके अलावा नवग्रहों की पूजा की जाती है। इन मंत्रों का जाप करने से अशुभ ग्रह के कारण आ रही परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। यह नवग्रह मंत्र जाप और यज्ञ करने से नकारात्मक या हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। अगर आप इन नवग्रह की पूजा करते हैं या फिर मंत्र का जाप करते हैं तो असफलता, खराब स्वास्थ्य और जीवन में आने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी। इसके चलते आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि किस ग्रह को शांत करने के लिए कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए, तो चलिए जानते हैं।
नवग्रह की शांति के लिए करें इन मंत्र का जाप

सूर्य ग्रह: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना गया है। इसे मान सम्मान और पिता पुत्र का कारक भी माना गया है। सूर्य की स्थिति मजबूत बनाने के लिए आपको गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र – ”ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” इस मंत्र का जाप 21 बार करना शुभ माना जाता है।
चंद्र ग्रह: ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। चंद्रमा की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति को मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है। चंद्रमा की स्थिति को शुभ बनाने के लिए भगवान शिव की पूजा करें साथ ही साथ नीचे दिए गए इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र – ”ऊँ सों सोमाय नम:” इस मंत्र का 11 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
मंगल ग्रह: ज्योतिष शास्त्र में मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है। मंगल ग्रह पराक्रम, साहस का कारक माना जाता है। मंगल की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति के स्वभाव में क्रोध ज्यादा रहता हैं, विवाह में परेशानियां जैसे समस्या आने लगती है। मंगल ग्रह की अशुभता कम करने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए इसके साथ साथ ही नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र – ”ऊँ अं अंगारकाय नम:” इस मंत्र का 11 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
बुध ग्रह: ज्योतिष शास्त्र में बुध को एक किशोर गृह यानी ग्रहों का राजकुमार माना गया है। बुध ग्रह का संबंध बुद्धि, वाणी और त्वचा से है। बुध ग्रह की स्थिति में अशुभता को दूर करने के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए। बुध ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए नीचे दिए गए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र – ”ऊँ बुं बुधाय नम:” इस मंत्र का 11 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
गुरु ग्रह: ज्योतिष शास्त्र में गुरु यानी बृहस्पति को सफलता और समृद्धि का कारक माना गया है। गुरु को स्थिति को मजबूत बनाने के लिए बृहस्पतिवार के दिन केले के पेड़ का पूजन करना शुभ रहता हैं। गुरु ग्रह को अनुकूल करने के लिए नीचे दिए गए इस मंत्र का जाप जरुर करना चाहिए।
मंत्र- ”ऊँ बृं बृहस्पतये नम:” इस मंत्र का 21 बार करने से लाभ हो सकता है।
शुक्र ग्रह: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह का संबंध भौतिक सुख सुविधाओं, प्रेम संबंध आदि से होता हैं। गुरु ग्रह की स्थिति में अशुभता के कारण व्यक्ति के जीवन में सुख सुविधाओं की कमी होने लगती है। शुक्र की स्थिति को शुभ बनाने के लिए इत्र का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा दान करने के साथ ही शुक्रवार के दिन नीचे दिए गए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र-”ऊँ शुं शुक्राय नम:” इस मंत्र का 51 बार करने से लाभ हो सकता है।
शनि ग्रह: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को एक न्याय प्रिय कहा जाता है शनि धीमी गति से सारी राशियों में भ्रमण करता है। जिसके कारण शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या लगती है। इस दौरान व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शनि की स्थिति को शुभ बनाने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना चाहिए और नीचे दिए गए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र-”ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:” इस मंत्र का 11 बार करने से लाभ हो सकता है।
राहु ग्रह: ज्योतिष शास्त्र में राहु को पापक ग्रह माना गया है। राहु की स्थिति अगर अशुभ रहती है तो उसके प्रभाव से व्यक्ति के हर काम में बाधाएं आने लगती है। इसके अलावा भी व्यक्ति को कई प्रकार के कष्ट सहने पड़ते हैं। राहु की स्थिति को शुभ बनाने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही नीचे दिए गए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
मंत्र-”ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:” इस मंत्र का 11 बार जाप कर सकते हैं।
केतु ग्रह: ज्योतिष शास्त्र में केतु को एक रहस्मयी ग्रह माना गया है। जीवन में घटित होने वाली अचानक घटनाएं केतु से संबंधित होती है। केतु की शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। केतु की स्थिति को शुभ बनाने के लिए नीचे दिए गए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र-”ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:” इस मंत्र का 11 बार करने से लाभ हो सकता है।
