Kemdrum Yoga: ज्योतिषशास्त्र में जब व्यक्ति की कुंडली बनाई जाती है तब ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर विशेष योगों का अध्ययन भी किया जाता है। व्यक्ति की कुंडली में कुछ शुभ तो कुछ अशुभ योग बनते हैं। शुभ योगों के कारण व्यक्ति हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है तो कुंडली के अशुभ फलों के कारण व्यक्ति के प्रत्येक कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। कुंडली के ऐसे ही कुछ अशुभ योगों में से सबसे अधिक अशुभ योग है ‘केमद्रुम’ का योग। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की कुंडली में केमद्रुम का योग उसके दुर्भाग्य का प्रतीक होता होता है। जिसकी कुंडली में केमद्रुम योग बनता है उसके कार्यों के शुभ फल भी अशुभ परिणाम देने लगते हैं। आज इस लेख में हम जानेंगे कि ग्रहों की कौनसी स्थिति के कारण व्यक्ति की कुंडली में केमद्रुम योग बनता है। केमद्रुम योग के दुष्प्रभाव और इससे बचाने के उपाय कौनसे हैं।
ग्रहों की ऐसी स्थिति से बनता है ‘केमद्रुम’ योग

पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब किसी जातक की कुंडली में किसी स्थान पर चंद्रमा के साथ कोई ग्रह उपस्थित ना हो, साथ ही यदि चंद्रमा के आगे पीछे के स्थानों में भी कोई ग्रह नहीं हो और चंद्रमा पर किसी दूसरे ग्रह की दृष्टि भी ना हो, तब व्यक्ति कि कुंडली में केमद्रुम योग बनता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, “चंद्रमा मनसो जातश्चचो सूर्यो अजायते” जिसका अर्थ है कि चंद्रमा को व्यक्ति के मन का कारक माना गया है, इसलिए जब व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो और अन्य ग्रहों के विपरीत हो तब केमद्रुम योग बनता है।
केमद्रुम योग के प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिसकी कुंडली में केमद्रुम योग उपस्थित रहता है, ऐसे जातक हमेशा मानसिक तनाव में रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों की निर्णय क्षमता बहुत कमजोर होती है। जीवन की कठिन परिस्थितियों में इन्हें निर्णय लेने में परेशानी होती है। केमद्रुम योग के प्रभाव से व्यक्ति को शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। इनके जीवन में हमेशा धन की कमी बनी रहती है। केमद्रुम योग के कारण व्यक्ति के मन में डर बना रहता है।
कुछ विशेष परिस्थितियों में केमद्रुम का योग व्यक्ति के लिए शुभ फलदायी भी होता है। जब व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा से छठे और आठवें स्थान में कोई शुभ ग्रह हो तो केमद्रुम योग का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। कुंडली के केंद्र वाले स्थान पर शुभ ग्रहों की संख्या ज्यादा हो, तब केमद्रुम योग शुभ प्रभाव देता है।
केमद्रुम योग के दोष से बचने के ज्योतिषी उपाय

ज्योतिषी विद्वानों ने केमद्रुम योग से बचाने के कई उपाय बताये हैं। विद्वानों के अनुसार, केमद्रुम दोष का प्रभाव खत्म करने के लिए शाम के समय “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः”मन्त्र का जाप करना चाहिए। एकादशी का व्रत करने से केमद्रुम के अशुभ प्रभावों में कमी आती है। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से केमद्रुम योग से होने वाले शारीरिक कष्टों में राहत मिलती है। सोमवार के दिन शिव जी की पूजा करने और हाथ में चांदी पहनने से भी केमद्रुम के दोष से मुक्ति मिलती है।
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