kashi vishwanath
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भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर

यह मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित इस मंदिर के प्रमुख देवता विश्वनाथ हैं।

Kashi Vishwanath Temple: भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर हमारे देश के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में आता है। जिसकी वजह से इस मंदिर में दर्शन के लिए देश भर से सैलानी आते हैं। इस मंदिर के प्रति लोगों की अगाध आस्था है और यह मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित इस मंदिर के प्रमुख देवता विश्वनाथ हैं। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा खशयराज के शासनकाल के दौरान किया गया था। कुछ लोग इस मंदिर को विश्वेश्वर महादेव के नाम से भी जानते हैं। इस जगह के प्रति लोगों का बहुत ही ज़्यादा आकर्षण है। वाराणसी ऐतिहासिक गुंबदों, गलियों, आश्रमों, पुजारियों और बनारसी साड़ियों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 

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Historical Importance of the Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर का अपना एक बहुत ही बड़ा ऐतिहासिक महत्व है जिसकी वजह से इसके प्रति लोगों का आकर्षण और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर और नया विश्वनाथ मंदिर की संरचना एक समान है। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय बीएचयू के संस्थापक श्री मदन मोहन मालवीय को जाता है। संगमरमर से बने इस मंदिर की बनावट और संरचना बहुत ही लाजवाब है। इस मंदिर में दुनिया की सबसे ऊंची मीनार है, जो 253 फीट ऊंची है। एक तरह से देखा जाए तो यह सात मंदिरों का एक बहुत ही ख़ूबसूरत परिसर है। जिसमें कई महत्वपूर्ण देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। 

Historical Mythology

भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी बहुत सारी ऐतिहासिक पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। हमारे देश के प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित इस मंदिर का रखरखाव 28 जनवरी 1983 तक डॉ. विभूति नारायण सिंह ने किया था, जो उस समय काशी नरेश थे। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर को जाता है जो 1780 में शासन करने वाली मराठा रानी थी। मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को कुतुब-उद-दीन ऐबक ने अपने कन्नौज शासन के दौरान नष्ट कर दिया था। दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के शासनकाल में एक गुजराती व्यापारी ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।

Theme of the Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर की थीम मंदिर में स्थापित की गई प्रतिमाओं और दीवारों पर सजी हिंदू देवी-देवताओं की शानदार मूर्तियों से पता चलती है। यह आस्था के साथ- साथ इस जगह पर आने वाले लोगों में आकर्षण को भी बढ़ाती है। मुख्य मंदिर के अंदर माता पार्वती, नटराज, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, पंचमुखी महादेव, सरस्वती माता और नंदी की मूर्तियाँ हैं। यह वाराणसी के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है जिसकी वजह से इस जगह पर घूमने के लिए आने वाले लोग इस मंदिर के दर्शन के लिए आते ही आते हैं। 

इस जगह से बहुत सारी धर्मिक और पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि भगवान शिव के श्राप के कारण इस मंदिर में भगवान ब्रह्मा की पूजा नहीं की जाती है। भक्तों का मानना ​​है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। इस जगह पर आना हर किसी के लिए रोमांचकारी होगा। यहाँ के घाटों पर अंतरंग जीवन और मृत्यु समारोह साथ-साथ आयोजित किए जाते हैं। बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर घूमने के साथ आप  एक यादगार अनुभव के लिए यहाँ की भीड़-भाड़ वाली गलियों में टहल और नाव से सूर्योदय का नजारा देख सकते हैं।

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...