Throwing Rice by Bride: भारत में बेटी के जन्म के बाद से ही माता-पिता धूमधाम से उसकी शादी के सपने संजोना शुरू कर देते हैं। हर माता-पिता की यही इच्छा होती है कि वह बेटी की शादी बहुत ही शानदार और सभी रीति रिवाजों के साथ करें। सगाई से लेकर विदाई तक शादी से जुड़ा हर रिवाज किसी न किसी कारण से जुड़ा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, सालों तक लाड़ प्यार से पाली हुई बेटी को अचानक विदा करने की रस्म कहां से और कैसे आई। चलिए हम बताते हैं आपको इसका कारण।
ऐसे शुरू हुआ विदाई का रिवाज

कहा जाता है कि राजा महाराजाओं के समय बेटियां बहुत अहम हुआ करती थीं। दो देशों के बीच आपसी संबंध बनाने के लिए या फिर दूसरे राज्यों को अपने राज्य में शामिल करने के उद्देश्य से राजा अपनी बेटियों के संबंध दूसरे राजाओं से करते थे और उन्हें उनके साथ ही भेज दिया करते थे। माना जाता है कि यहीं से बेटियों की विदाई का सिलसिला शुरू हो गया। कालांतर में राजाओं के इसी रिवाज का पालन सामान्य लोग भी करने लगे और ऐसे शुरुआत हुई बेटी की विदाई की रस्म।
चावल के साथ फेंके जाते हैं सिक्के

विदाई के समय दुल्हन थाली में रखे चावलों को दोनों हाथों में भरकर पीछे की तरफ फेंकती हैं। वहीं दुल्हन की घर की महिलाएं अपने साड़ी या लहंगे के पल्लू में इन चावलों को इकट्ठा करती हैं। आमतौर पर दुल्हनें तीन से पांच बार इस प्रक्रिया को दोहराती हैं। चावलों के साथ कुछ सिक्के भी डाले जाते हैं। दुल्हन की कोशिश यह होती है कि ये चावल दूर तक जाएं और परिवार के सभी सदस्यों पर गिरे। इन चावलों को बाद में संभालकर रखा जाता है।
आखिर चावल ही क्यों
चावल को हिंदू धर्म में पवित्र और शुद्ध माना जाता है। इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। यही कारण है कि कोई भी पूजा चावल के बिना अधूरी होती है। विदाई के समय दुल्हन परिवार वालों पर चावल ही क्यों फेंकती है, इसे लेकर भी कई मान्यताएं हैं। लेकिन सबसे ज्यादा जो बात मानी जाती है, वो ये है कि बेटियों को घर की लक्ष्मी माना जाता है। बेटियां घरों में धन, धान्य और समृद्धि का प्रतीक होती हैं। विदाई के समय जब दुल्हन चावल और सिक्के पीछे की ओर फेंकती हैं तो इसका अर्थ है वह अपनी सारी समृद्धि और दुआएं अपने परिवार को देकर जा रही हैं। यह इस बात का इशारा है कि बेटी भले ही मायका छोड़कर जा रही है, लेकिन अपने परिवार को वह हमेशा खुश देखना चाहती है।
इसलिए नहीं देखती पीछे
दूसरी मान्यता यह है कि दुल्हन मायके वालों पर चावल इसलिए फेंकती है, क्योंकि ये पवित्र होते हैं और इसे फेंक कर वह अपने पूरे परिवार का धन्यवाद करती है। साथ ही यह प्रार्थना करती है कि उसका परिवार हमेशा खुश और समृद्ध रहे। उसके परिवार को किसी की भी नजर नहीं लगे। वह पीछे मुड़कर इसलिए नहीं देखती, क्योंकि अब उसे अपने घर जाकर वहां भी सुख, समृद्धि लानी है।
