Bahula Chauth 2023: हिंदू धर्म संस्कृति में सावन का महीना बहुत ही विशेष माना जाता है। सावन महीने की हरियाली तीज के अवसर से हिंदू धर्म के सभी प्रमुख त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। भाई बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन, अखंड सौभाग्य के लिए हरियाली तीज और कजरी तीज जैसे व्रत रखें जाते है। इन सभी से अलग अपनी संतान या अपने पुत्र की अच्छी सेहत और उसकी दीर्घायु के लिए बहुला चौथ का व्रत किया जाता है। इसे संकट चतुर्थी भी कहते हैं। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चौथ कहा जाता है। इसे बहुला और भादुड़ी चौथ के नाम से भी जानते हैं। बहुला चौथ के दिन गायों के बछड़ों की पूजा का नियम है। आज इस लेख के द्वारा हम बहुला चौथ की कथा और पूजन विधि के बारे में जानेंगे।
बहुला चौथ की कथा

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि पौराणिक काल में भगवान श्री कृष्ण की नटखट लीलाओं से सभी देवता गण और मानवजाति आनंदित होते रहते थे। भगवान श्रीकृष्ण को ग्वाला भी कहा जाता है क्योंकि श्रीकृष्ण को गायों और उनके बछड़ों से बहुत अधिक स्नेह था। इसी कारण भगवान श्रीकृष्ण के स्नेह का भागीदार बनने के लिए कामधेनु किस्म की एक गाय बहुला रोज अपने बछड़े को दूध पिलाकर थोड़ी देर श्रीकृष्ण के गायों के झुंड में शामिल हो जाती।
भगवान श्रीकृष्ण बहुला को बहुत अधिक स्नेह करते। एक दिन जंगल में चरते समय एक शेर बहुला गाय के सामने आ गया और उसे खाने की इच्छा जताई। बहुला गाय ने शेर से विनती करते हुए कहा कि वह वचन देती है कि अपने बछड़े को अंतिम बार अपना दूध पिलाकर वापस शेर के पास आ जायेगी। शेर ने बहुला गाय की बात मान ली। बछड़े को दूध पिलाकर बहुला गाय शेर के पास वापस आ गई। बहुला गाय की इस ईमानदारी और वचन पालन से प्रसन्न होकर, शेर बने हुए श्रीकृष्ण अपने असली रूप में आ गए और बहुला गाय को यह वरदान दिया कि भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ के रूप में बहुला गाय और उसके बछड़े को पूजा जायेगा।
बहुला चौथ की पूजा विधि और महत्व

बहुला चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, स्नान आदि कार्य खत्म कर लेने चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर की साफ सफाई करके गंगा जल का छिड़काव करें। भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के पास मिट्टी की गाय और बछड़ा बनाकर पूजा स्थान पर रखें। शाम के समय घी का दीपक जलाकर भगवान श्रीकृष्ण के साथ मिट्टी से बने गाय और बछड़े की पूजा करें। बहुला चौथ के दिन शाम के समय पूजा करने के बाद ही भोजन करना चाहिए। दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। बहुला चौथ का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान पर आने वाले सभी संकट टल जाते है। पुत्र की आयु बढ़ती है और घर में सुख संपन्नता आती है।
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