Summary: इलैयाराजा ने देवी मूकाम्बिका को भेंट किया 4 करोड़ का हीरे का मुकुट
प्रसिद्ध संगीतकार इलैयाराजा ने कर्नाटक के कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर में देवी मां को 4 करोड़ रुपये का हीरे का मुकुट, भगवान वीरभद्र को चांदी का मुकुट और सोने की तलवार अर्पित की। इस अवसर पर भव्य शोभायात्रा हुई और उनकी भक्ति से प्रेरित श्रद्धालु भावुक हो उठे।
Musician Ilaiyaraaja: भारत के प्रसिद्ध संगीतकार और गायक इलैयाराजा (Ilaiyaraaja) ने एक बार फिर अपनी अटूट भक्ति का परिचय दिया है। कर्नाटक के उडुपी जिले स्थित कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर में उन्होंने देवी मां को 4 करोड़ रुपये मूल्य का हीरे का मुकुट भेंट किया। इस भव्य भेंट के साथ-साथ उन्होंने भगवान वीरभद्र को चांदी का मुकुट और सोने की तलवार भी अर्पित की।
यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि आस्था, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम था, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। इलैयाराजा का यह कदम उनके जीवनभर की देवी मूकाम्बिका के प्रति आस्था और उनके योगदान को दर्शाता है।
भव्य शोभायात्रा और पूजा अनुष्ठान
इस विशेष अवसर पर मंदिर परिसर में एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इस शोभायात्रा में हीरे का मुकुट, चांदी का मुकुट और सोने की तलवार को विशेष रूप से सजाए गए पालकी में रखा गया। मंदिर के पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच इन भेंटों का स्वागत किया। इस अवसर पर मंदिर समिति, पुजारी, श्रद्धालु और इलैयाराजा के परिवारजन मौजूद थे।
इलैयाराजा की भावनात्मक अभिव्यक्ति
मूकाम्बिका देवी के सामने जब इलैयाराजा ने हीरे का मुकुट अर्पित किया, उस समय वे बेहद भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “मेरे जीवन में कुछ भी नहीं था। जो भी चमत्कार हुआ, वह देवी मूकाम्बिका की कृपा से ही हुआ है। मेरी हर सफलता उन्हीं के आशीर्वाद का परिणाम है।”
परिवार की मौजूदगी और मंदिर का सम्मान
इस विशेष समारोह में इलैयाराजा के बेटे कार्तिक इलैयाराजा और पोते यतिश इलैयाराजा भी शामिल हुए। मंदिर मैनेजमेंट समिति ने इलैयाराजा को उनके निरंतर योगदान और भक्ति के लिए सम्मानित किया। यह सम्मान केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं था, बल्कि उन सभी भक्तों के लिए प्रेरणा था जो अपनी कला और कर्म के माध्यम से देवी की सेवा करना चाहते हैं।
कहां है कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर

कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर, कर्नाटक के उडुपी जिले के कोल्लूर गांव में स्थित है। यह मंदिर देवी मूकाम्बिका को समर्पित है, जिन्हें शक्ति और ज्ञान की देवी माना जाता है।
मंदिर की विशेषताएं:
देवी मूकाम्बिका को देवी पार्वती का ही एक रूप माना जाता है, जो शक्ति और ज्ञान का संगम हैं।
पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी और उन्होंने ही देवी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की थी।
यह मंदिर कर्नाटक के सात पवित्र मुक्ति स्थलों में से एक माना जाता है।
मान्यता के अनुसार, देवी मूकाम्बिका ने कंसासुर नामक राक्षस का वध किया था। तभी से इस स्थान का नाम मूकाम्बिका पड़ा।
मंदिर का शिखर सोने की परत से सुसज्जित है, जो इसे और भी भव्य और आकर्षक बनाता है।
इलैयाराजा की आस्था की मिसाल
इलैयाराजा का यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने देवी को अनमोल भेंट दी हो। इससे पहले भी वे मंदिर में सोने और हीरे के आभूषण अर्पित कर चुके हैं। वे अक्सर यहां आकर संगीत सेवा करते हैं और अपने जन्मदिन भी यहीं मनाते हैं। उनकी यह परंपरा दर्शाती है कि कला और आस्था का मेल कितना अद्भुत हो सकता है।
