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खर्चों को करें मैनेज Credit: istock

Saving Tips– शादी दो लोगों के जीवन की नई शुरुआत होती है। जैसे-जैसे एक नया जीवन शुरू होता है, वैसे-वैसे खर्चे और जिम्‍मेदारियों  का बोझ बढ़ने लगता है। शादी की शुरुआत से ही यदि फाइनेंस से रिलेटिड मामलों को मैनेज कर लिया जाए, तो रिश्‍ते में प्‍यार और आपसी समझ बनी रहती है। जब फाइनेंस को मैनेज करने की बात आती है तो दोनों को जिम्‍मेदारी लेनी चाहिए और इसे वैवाहिक जीवन का एक हिस्‍सा मानना चाहिए। विवाहित जीवन की शुरुआत में ही कपल्‍स को अपने खर्चों, लोन और ईएमआई से संबंधित सभी तरह की बात एक-दूसरे से शेयर कर लेनी चाहिए। ताकि खर्चों को मैनेज करने में आसानी हो सके। कई बार सुख-सुविधाओं का सामान जुटाने के लिए ईएमआई का सहारा भी लेना पड़ता है, जिसे चुकाने के लिए दोनों का साथ और थोड़ी समझ की आवश्‍यकता होती है। चलिए जानते हैं शादी के बाद ईएमआई को कैसे हैंडल किया जा सकता है।

फाइनेंस के बारे में बात करें

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Talk About Finance

जैसे आप एक-दूसरे के परिवार, बचपन और हॉबी से संबंधित बात करते हैं, वैसे ही फाइनेंस की बातें भी शेयर करना शुरू कर दीजिए। जैसे कि आप कितना कमाते हैं और कितना ईएमआई देनी है आदि। दोनों की आपसी सहमती से प्रत्‍येक व्‍यक्ति की आय का 10 प्रतिशत हिस्‍सा सेव करना सुनिश्चित करें, ताकि उससे महीने की ईएमआई का भुगतान किया जा सके। साथ ही कपल्‍स के बीच स्‍पष्‍टता होनी चाहिए कि आय का सारा पैसा परिवार की देखरेख और जरूरतों के लिए खर्च किया जा रहा है। ताकि दोनों बराबरी से इसका हिस्‍सा बन सकें।

लक्ष्‍य बनाएं

ईएमआई को करें मैनेज
Set A Goal

शादी के बाद खर्चे और जिम्‍मेदारियां दोनों बढ़ जाती हैं, ऐसे में कई बार कपल्‍स के बीच मनमुटाव और झगड़े होना स्‍वाभाविक है। इसलिए जब एक बार आपको यह स्‍पष्‍ट हो जाए कि कौन कितना कमाता है, तो खर्चों और बचत के लिए बजट अलग रखना आसान हो जाएगा। ऐसे में सुख-सुविधाओं के लिए ली गई ईएमआई को हैंडल करने में भी मदद मिलेगी। शादी के बाद अपने खर्चे और सेविंग के अलावा यात्रा, कार, बच्‍चे और घर खरीदने का लक्ष्‍य निर्धारित करें। जब बजट बनाया जाता है तो उस पर कायम रहने की भी कोशिश करें जब तक कि कोई आपातकालीन खर्च न हो। सुनिश्चित करें कि व्‍यक्तिगत जरूरतों के लिए पर्याप्‍त धन अलग रख गया है।

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बैंक अकाउंट के बारे में चर्चा करें

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Talk about Account

हम में से कई लोगों ने ज्‍वाइंट अकाउंट खोलने वाले जोड़े के बारे में सुना होगा, लेकिन खाता शुरू करने से पहले कई बातों को क्‍लीयर करना जरूरी है। ज्‍वाइंट अकाउंट खोलने के कई फायदे और नुकसान हैं। पैसों का लेन-देन दोनों एक ही अकाउंट से कर सकते हैं लेकिन इस बात का ध्‍यान रखना होगा कि, उस अकाउंट से ईएमआई भी भरनी है। इसलिए दोनों खुलकर खर्च होने वाले पैसे के बारे में बात करें। यदि संभव हो तो ईएमआई के लिए एक अलग अकाउंट का चुनाव करें जिसमें बराबरी से पैसे डालें। कौन कम कमाता और कौन ज्‍यादा, ऐसे सवालों से बचना चाहिए।

बनाएं एक इमरजेंसी फंड

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Make a Emergency Fund

शादी के बाद खर्चों और ईएमआई के लिए एक इमरजेंसी फंड बनाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आपातकालीन जरूरतों के लिए हर महीने एक अच्‍छी रकम अलग रखनी चाहिए। जिस महीने पैसों की तंगी हो, तब इस फंड में से ईएमआई भरने का प्रयास करें। हर महीने यदि इमरजेंसी फंड में 5 से 10 प्रतिशत आय निकालकर अलग रख दी जाए तो साल के अंत तक काफी रकम इकट्ठी की जा सकती है। इससे ईएमआई भरने का टेंशन भी कम हो सकता है। साथ ही कपल्‍स के बीच अंडरस्‍टेंडिंग बनी रहेगी।

सोच-समझकर लें लोन

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Make a smart decision

शादी के बाद, कुछ दिनों तक न्‍यू कपल्‍स पैसों और खर्चों के बारे में विचार नहीं करते। इसलिए जल्‍दबाजी में पैसों से संबंधित ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे परेशानी का सामना करना पड़े। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए यदि लोन का सहारा लेना पड़ जाए तो सोच समझकर फैसला लें। एक साथ कई लोन न लें जिससे ईएमआई चुकाना मुश्किल हो जाए। एक बार में एक ही लोन लेना चाहिए। कोशिश करें कि घर का छोटा-मोटा सामान लेने के लिए लोन न लें। साथ ही लोन लेने से पहले उसका इंटरेस्‍ट रेट जरूर चेक कर लें।

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