राजस्थान यहां आकर आप देख सकते हैं यूनेस्को की लिस्ट में शामिल 8 हैरिटेज साइट: Heritage Place in Rajasthan
Heritage Place in Rajasthan

Heritage Place in Rajasthan: राजस्थान कहने को तो एक सूखा राज्य है लेकिन इसकी कला और इसकी संस्कृति में बहुत से रंग सिमटे हैं। यहां आप जाएंगे तो किले, एतिहासिक स्मारक, बावड़ियां और हवेलियां आपका स्वागत करती नजर आएंगी। सबसे बड़ी बात है कि इस राज्य ने अपनी पुराने चीजों को मिटने नहीं दिया बल्कि अपनी जड़ों के साथ यह राज्य आगे बढ़ रहा है। पर्यटक भी इसी धरोहर को देखने आना पसंद करते हैं। लेकिन अगर आप उनमें से हैं जिन्हें वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स देखने का शौक है तो यह राज्य आपको निराश नहीं करेगा। इस राज्य में यूनेस्को की लिस्ट में शामिल 8 हैरिटेज साइट शामिल हैं। तो चलिए जानते हैं कि कौन सी हैं वो आठ हैरिटेज साइट। आपको बता दें कि इन साइट्स को देखने का प्लान आप फरवरी तक बना सकते हैं। यह मौसम राजस्थान घूमने के लिए एकदम अनुकूल है। इनमें जंतर-मंतर और घना पक्षी विहार तो पहले से ही वर्ल्ड हैरिटेज साइट में शामिल थे लेकिन साल 2013 में छह और साइट्स को यूनेस्को ने शामिल कर लिया।

आमेर का किला, जयपुर

दिल्ली से अगर आप सड़क मार्ग से जयपुर में प्रवेश करते हैं तो इस किले के दर्शन आपको सबसे पहले होते हैं। इसका दुर्ग का निमार्ण राजा मान सिंह प्रथम ने करवाया था। यह लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का बना है। इस दुर्ग की खास बात है यहां की हाथी की सवारी है। इस महल में आपको शीश महल, दीवाने खास, दीवाने आम अचछा लगेगा। आपको बता दें कि इस महल में ही मुगले आजम की शूटिंग हुई थी। महल के कुछ ही दूर पर जयगढ़ और नहारगढ़ का किला भी मौजूद है। जयगढ़ में जाकर विश्व की सबसे बड़ी तोप रखी है। उसे देखना भी एक अनुभव है।

जंतर-मंतर, जयपुर

Jantar Mantar
Heritage Place in Rajasthan-Jantar Mantar

जयपुर शहर के बीच में जंतर-मंतर बना हुआ है। इसका निमार्ण जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह ने करवाया था। इसमें 19 खगोलकीय उपकरण हैं। यह साइट 1734 में तैयार हुई थी। इसमें मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की धूपघड़ी मौजूद है। लोग पहले सूरज की सिथति को देखकर समय को कैसे जानते थे यह आप यहां देख सकते हैं। अगर आपको खगोल विज्ञान को जानने में दिलचस्पी है तो आपको यहां बहुत रुचि आएगी। यहां कपाली यंत्र, दिशा यंत्र भी देखने को मिलेंगे।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर

भरतपुर का केवलादेव घना उद्यान राजस्थान की बहुत मशहूर बर्ड सेंचुरी है। अगर आप नेचर लवर हैं तो यहां आकर आपको बहुत मजा आने वाला है। यहां हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी पाए जाते हैं। अगर आपको साइबेरिया के सारस को देखने का शौक है तो आप सर्दियों में इस विहार को देखने का प्लान करें। यह सारस भी सर्दियों में यहां आते हैं। इसके अलावा यहां २३० प्रजाति के पक्षियों ने अपना घर बनाया है। इस पूरे विहार में आपको रिक्शा से घूमने का मौका मिलता है। देश-विदेश से आए बहुत से पशुविज्ञानी भी आपको मिलेंगे। इस जगह को पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है।

गागरोन फोर्ट, झालावाड़

Gagron Fort
Heritage Place in Rajasthan-Gagron Fort

बिना किसी नींव मकान भी नहीं खड़ा हो सकता लेकिन झालावाड़ स्थित गागरोल का किला सदियों से बिना नींव के खड़ा है। अपनी इसी खासिसत की वजह से गागरो फोर्ट को पयर्टक हजारों की संख्या में देखने आते हैं। इस किले का राजा बीसलदेव ने 12वीं सदी में बनवाया था। इसमें 14 युद्ध और दो जौहर हो चुके हैं। यह चारों तरफ से पानी से घिरा है ऐसे में इसे जलदुर्ग भी कहा जाता है। इसके अलावा इस किले के बारे में यह भी मान्यता है कि ऋषि गर्ग ऋषि ने यहां ज्ञान प्राप्त किया था।

चित्तौड़ दुर्ग, चित्तौड़गढ़

चित्तौड़ का किला अपनी वीरता और प्रताप के लिए प्रसिद्ध है। इस किले में जब आप प्रवेश करेंगे तो विजय स्तंभ आपका स्वागत करेगा तो मीरा के मंदिर में प्रवेश करने से आपको शांति की अनुभूति होगी। यह दुर्ग भारत का सबसे विशाल दुर्ग है। इसे मौर्य राजवंश चित्रांगद मौर्या ने बनवाया था। यह किला एतिहासिक युद्धों का ग्वाह है। रानी पद्मावती ने भी दूसरी राजपूत महिलाओं के साथ यहां जौहर किया था। इस दुर्ग में पहुंचना और पूरे दुर्ग को देखना का अपना एक एंडवेंचर है। यहां भैरव पोल, हनुमान पोल, कल्ला की छतरियां देखने योग्य हैं।

कुंभलगढ़ फोर्ट, राजसमंद

Kumbhalgarh Fort
Heritage Place in Rajasthan-Kumbhalgarh Fort

राजसमंद में स्थित यह वो दुर्ग है जिस पर विजय पाना दुश्मनों के लिए असंभव था। इस दुग का निमार्ण राणा कुंभा ने 13 वीं सदी में करवाया था। इस दुर्ग की खासियत यहां की दीवार है। यह दीवार विश्व की दूसरे नंब की दीवार है। पहले नंबर पर स्थान चीन की दीवार का है। इस दुर्ग को मेवाड़ की आंख भी कहा जाता है। इसमें बहुत सी घाटियां और पहाड़ियां शामिल हैं। इस दुर्ग के भीतर एक और गढ़ है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है। यह गढ़ सात विशाल द्वारों व दीवारों से सुरक्षित है। इस गढ़ में सबसे ऊपर बादल महल और कुम्भा महल है। इस दुर्ग में ही प्रतापी राजा राणा प्रताप का जन्म हुआ था।

रणथंभौर फोर्ट, सवाई माधोपुर

रणथंभौर सिर्फ अपनी टाइगर सेंचुरी की वजह से नहीं अपनी किले की वजह से भी काफी प्रसिद्ध है। इस किले के प्राचीन खंडहरों में कलात्मक आकर्षण है। इसकी वास्तुकला का कहना ही क्या? किले के अंदर तीन हिंदू मंदिर और एक जैन मंदिर हैं। 10वीं शताब्दी के मध्य में इस किले का निर्माण हुआ था। लेकिन 1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद रणथंभौर किले पर मुस्लिम गौरी शासक मुहम्मद गोरी ने कब्ज़ा कर लिया था। बाद में इसे 17वीं शताब्दी के दौरान जयपुर के कछवाहा महाराजाओं को सौंप दिया गया था, जो भारत की आजादी तक जयपुर राज्य का हिस्सा बना रहा।

जैसलमेर फोर्ट, जैसलमेर

Jaisalmer Fort
Jaisalmer Fort

इस किले को सोनार किला या स्वर्ण किले के नाम से भी जाना जाता है। यह किला राजपूताना वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है लेकिन दिन के समय जब सूरज कि किरणें इस पर पड़ती हैं तो यह किला अपने मोहपाश में बांध लेता है। इसका रंग उस समय गहरे बेज रंग का हो जाता है। इस किले की मेहराबें और नक्काशी इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है। इसके अलावा इसमें मौजूद जैन मंदिर भी इसका आकर्षण है। इस किले का निर्माण 1156 में राजा रावल जैसल ने किया था।