Gemstone Rules: पौराणिक काल से ही यह माना जाता है कि जन्म के बाद व्यक्ति का जीवन ग्रह नक्षत्रों से अच्छे और बुरे दोनों तरह से विशेष रूप से प्रभावित होता है। ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है, लेकिन ग्रहों की गलत स्थिति के कारण व्यक्ति के बने बनाए काम भी बिगड़ने लगते हैं। इसलिए ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए ज्योतिषी विद्वानों द्वारा व्यक्ति को राशि के अनुसार रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। रत्नों के शुभ प्रभाव से, ग्रहों का दोष कम हो जाता है। कुछ राशियों के रत्न आसानी से नहीं मिलते, ऐसी स्थिति में ज्योतिषी विद्वान व्यक्ति को उसकी राशि के रत्न से जुड़े उपरत्न पहनने की सलाह देते हैं, ताकि व्यक्ति के ग्रहों की स्थिति को मजबूत किया जा सके। ज्योतिष शास्त्र में रत्नों को धारण करने के लिए कुछ नियमों का वर्णन मिलता है।यदि नियमों की अनदेखी कर रत्नों को धारण किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में रत्नों का विपरीत असर पड़ता है। आइए पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं कि रत्नों को धारण करते समय कौन से नियमों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
रत्नों को धारण करने के विशेष नियम

रत्न शास्त्र में यह बताया गया है कि जो लोग ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म करने के रत्न पहनते हैं, उन्हें किसी अच्छे ज्योतिषी विद्वान को अपनी कुंडली दिखाकर उनकी सलाह लेकर और रत्न की शुद्धता का ध्यान रखकर रत्न धारण करने चाहिए। हमेशा यह ध्यान रखें कि जब हम एक से अधिक रत्न धारण करते हैं तो रत्नों के ग्रहों में मित्रता होनी चाहिए। एक दूसरे के विरोधी ग्रहों के रत्न एक साथ पहनने से ग्रहों का दुष्प्रभाव खत्म होने के बजाय ज्यादा बढ़ जाता है और व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जातक की कुंडली में यदि 12वें या 10वें स्थान में चंद्र हो तो उसे मोती पहनने से बचना चाहिए। यदि किसी की कुंडली में राहु 5वें , 8वें ,9वें , 11वें, 12वें स्थान में हो तो जातक को गोमेद नहीं पहनना चाहिए। इसी प्रकार यदि तीसरे, पांचवे और आठवें स्थान पर शुक्र ग्रह हो तो जातक को हीरा नहीं पहनना चाहिए।
रत्न धारण करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

रत्नशास्त्र के अनुसार, किसी दूसरे का पहना हुआ रत्न कभी भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए। कभी भी टूटा हुआ रत्न नहीं पहनना चाहिए। यदि किसी कारण वश रत्न टूट गया है तो उसे निकाल कर नया रत्न पहन लेना चाहिए। किसी शुभ दिन और विशेष तिथि पर मंत्रों का जाप करके रत्न पहनने से ग्रह दोष में लाभ प्राप्त होता है। रत्न हमेशा शुद्ध और असली पहनने चाहिए। नकली रत्न पहनने से व्यक्ति के ग्रहों की स्थिति में कोई फायदा नहीं होता। जब भी रत्न पहनें तो रत्न को नापने वाली इकाई ‘रत्ती’ का ध्यान रखना चाहिए। प्रत्येक ग्रह और राशि के अनुसार सभी रत्नों की रत्ती अलग अलग होती है। इसलिए अलग अलग व्यक्तियों के लिए एक ही रत्न की रत्ती भी अलग अलग होती है। साथ ही रत्न को, रत्न से संबंधित धातु में ही जड़ना चाहिए।
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