महिलाओं को हो समानता का अधिकार, गांधी के थे कुछ ऐसे विचार: Gandhi Jayanti Special
Gandhi Jayanti Special 2023

Gandhi Jayanti Special: भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महात्मा गांधी का योगदान अतुलनीय है।   भारत में हर तरह के विषमता से मुक्त समाज का निर्माण हो, इसके लिए उन्होंने अनेक प्रयास किए। विशेषकर महिलाओं को समाज में उचित सम्मान और महत्व मिले वे भयमुक्त, आत्मनिर्भर और सशक्त बनें इसके लिए उन्होंने भरपूर प्रयत्न किए। आज भी उनकी विचारधारा महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में प्रासांगिक हैं। गांधी की कुछ ऐसी ही विचारधाराओं को हम उनके दिए संदेशों से एक बार फिर जीने की कोशिश करते हैं-

1.) खुद को ना समझें कमजोर –

महात्मा गांधी कहते थे, ‘‘महिलाओं का खुद को कमजोर समझना सोचनीय है। नैतिक शक्ति के आधार पर गांधी ने हमेशा ही महिलाओं को पुरूषों से श्रेष्ठ माना है। साथ ही साथ उनका यह भी मानना था कि जब तक महिलाएं खुद के लिए आवाज नहीं उठाएंगी, अपनी क्षमताओं का भान नहीं करेंगी तब तक समाज में उन्हें बराबरी का दर्जा मिलना मुश्किल है। 

2.) मिले समानता का पूरा अधिकार-

यह सच है कि स्त्रियां परिवार, समाज की धूरी हैं उनके योगदान के बिना समाज की कल्पना कोरी है लेकिन उनको उतना महत्व नहीं मिलता जितना पुरुषों को दिया जाता है। यही कारण है कि अपना संपूर्ण जीवन परिवार, समाज के लिए समर्पित करने वाली महिला की स्थिति दोयम दर्जे की बनी रहती है। समाज में हर हाल में महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलने का पूरा अधिकार है तभी इस समाज का पूर्ण उत्थान संभव है। 

3.) चरखे के माध्यम से किया प्रोत्साहित-

गांधी ने हमेशा से ही महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके लिए उन्होंने चरखे को माध्यम बनाया। वह चाहते थे कि घर-घर में चरखा पहुंचे और महिलाएं बड़ी संख्या में चरखे पर सूत कताई का काम करें। इससे दो पैसे उनके हाथ में आएंगे और वे स्वावलंबी बनकर अपने जीवन को बेहतर बना पाएंगी। महात्मा गांधी ने अपने सहयोगियों के प्रयास से गरीब महिलाओं को चरखा चलाने का प्रशिक्षण दिया। इस तरह गांधी जी ने बहुत पहले ही महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई थी। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में गांधी जी का चरखा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक बना हुआ है। 

4.) निजी जीवन में भी दी महिलाओं को प्राथमिकता-

गांधी अपने निजी जीवन में भी बा यानि अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी को ही घर की बागडोर संभालने का मौका देते थे। जब कभी वे स्वतंत्रता आंदोलन की वजह से जेल गए उनकी पत्नी ने ही साबरमती आश्रम की बागडोर संभाली। सरोजिनी नायडू ने गांधी जी के साथ सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो जैसे आंदोलनों में बहुत ही सक्रिय भूमिका निभाई। महात्मा गांधी ने भी उन्हें आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाने का हमेशा अवसर दिया। इसी प्रकार मधुबेन, सुशीला नायर, आभाबेन, मीराबेन, सरलादेवी चौधरानी जैसी महिलाएं भी गांधी जी के दर्शन और विचारों से गहरे तक प्रभावित थीं। 

5.)आत्मरक्षा से कभी ना करें समझौता-

गांधीजी का ऐसा मानना था कि ईश्वर ने जो नाखून, दांत दिए हैं, जो बल महिलाओं को दिया है, उसका वे भरपूर उपयोग अपनी आत्मरक्षा के लिए करें। उनका यह विचार आज जब महिलाएं असुरक्षा के माहौल में जी रही हैं, बहुत मायने रखता है। महिलाएं इस विचार को आत्मरक्षा का हथियार बनाकर सबल, सशक्त बन सकती हैं। 

6.) स्वच्छता ही जागरूकता दिया ऐसा संदेश-

सबसे पहले महिलाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का काम भी राष्ट्रपिता बापू ने ही किया। उनका यह लक्ष्य था कि यदि महिलाएं स्वथ्य रहेंगी, तभी घर-परिवार और समाज में अपनी असीम क्षमता के साथ योगदान दे पाएंगी। जब आधी आबादी का योगदान मिलेगा, तो किसी भी प्रकार का बदलाव संभव है। 

          इस प्रकार उन्होनें महिलाओं के जीवन को ना बस बदलने की कोशिश की बल्कि उसे एक सही दशा और दिशा भी दी। महिलाओं के जीवन में गांधी के जीवन का औचित्य निसंदेह ही अमर है।