Holi 2022: चेहरों पर मुस्कान, हाथों में गुलाल और दिल में ढ़ेर सारा उत्साह लेकर आता है होली का ये खास त्योहार। रंगों और उमंगों के इस त्योहार को संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। कहीं होली में भक्ति का रंग नज़र आता है, तो कहीं रीति रिवाज़ों की झलक दिखती है। कहीं मस्ती में चूर होकर गुलाल से होली को मनाया जाता है, तो कहीं फूलों की वर्षा होती है। आइए जानते हैं, देशभर की ऐसी खास जगहें, जहां रंगों के त्योहार होली को इन अलग-अलग तरीकों से खेला जाता है।
बरसाने की लठमार Holi
राधारानी के बरसान में खेली जाने वाली लट्ठमार होली न केवल अनोखी है, बल्कि हर दिशा में मशहूर है। इस होली की खास बात ये होती है कि यहां नंदगाव के रहने वाले पुरुष बरसाना में आते हैं, जहां वो राधारानी के मंदिर पर पताका फहराने का प्रयास करते हैं। इन पुरूषों के प्रयासों को विफल करने के लिए महिलाएं लट्ठ मारकर इन्हें रोकने का जतन करती है। भक्ति के रंग में सराबोर पारंपरिक तरीके से खेली जाने वाली इस होली की शुरूआत एक सप्ताह पहले ही हो जाती है। इस दौरान अगर पुरूष महिलाओं के हाथों पकड़े जाते हैं, न केवल उन्हें लट्ठ से पीटा जाता है बल्कि उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचना भी पढ़ता है।
वृंदावन की मशहूर फूलों की होली
होली का त्येहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार माना जाता है। देशभर के हर कोने में इस त्योहार को अलग अलग तौर तरीकों से मनाया जाता है। मथुरए तक पहुंचते पहुंचते इसका स्वरूप बदल जाता है। वृंदावन की पवित्र धरती पर इस त्योहार को करीबन एक सप्ताह तक मनाया जाता है। यहां की होली का खास बसत ये है कि इसे यहां पर रंगों की बजाय फूलों से खेला जाता है। यहां हर ओर पारंपरिक नृत्यो, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा फूलों की बरखा होता है। इसे होली से पहले आने वाली एकादशी के दिन खेला जाता है।
पश्चिम बंगाल की बसंत उत्सव होली
होली की बात हो और पश्चिम बंगाल का जिक्र न आए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। जी हां यहां होली को एक अलग रूप रंग के तौर पर मनाया जाता है, जिसे बसंत उत्सव कहकर पुकारा जाता है। इस उत्सव की खास बात ये है कि इसे रविंद्रनाथ टैगोर ने आरंभ किया था, जिसे बंगाल के शांति निकेतन की यूनिवर्सिटी में दशकों से पूरे हर्षों उल्लास से साथ मनाया जाता है। गुलाल के साथ मनाई जाने वाली इस होली के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इसके अलावा होली से एक दिन पहले डोल पूर्णिमा मनाई जाती है। इस मौके पर महिलाएं लाल बार्डर वाली अपनी पारंपरिक सफ़ेद साड़ी पहन कर शंखनाद करती हैं और भगवान कृष्ण और राधा जी की अराधना की जाती है। इस खास मौके पर पूजा अर्चना के अलावा प्रभात फेरी का भी आयोजन किया जाता है।
पंजाब की मोहल्ला होली
पंजाब में मनाई जाने वाली होली को होला मोहल्ला के नाम से पुकारा जाता है। इस होली का अपना एक पारंपरिक महत्व है, जिसे सिखों के दसवें गुरू गुरू गोविंद सिंह जी ने आरंभ किया था। पंजाब के आनंदपुर साहिब में मनाया जाने वाला होला महल्ला विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस दिन सभी लोग एकत्रित होकर गत्तका, घुड़दौड़ और तलवारबाजी के जौहर दिखाकर साहस और उल्लास का प्रदर्शन कारते हैं। कुश्तीए मार्शल आर्ट्स जैसे करतबों का आयोजन करते हैं। गुलाल से खेले जाने वाले होला मोहल्ला के मौके पर विशेष लंगर का भी आयोजन किया जाता है।
उदयपुर की शाही होली
राजे रजवाड़ों के शहर उदयपुर में शाही अंदाज में होली के त्योहार बिल्कुल तरीके से मनाया जाता है। यहां मनाए जाने वाले होली के उत्सव में शाही सभ्यता की झलक नज़र आती है। उदयपुर में होली के मौक पर एक शाही जुलूस निकाला जाता है, सिटी पैलेस के शाही निवास से होता हुआ मानेक चौक पर जाकर खत्म होता है। इसमें घोड़े और हाथी के अलावा बैंड बाजा भी शामिल किया जाता है। इस मौके पर बजने वाला पारंपरिक संगीत इस उत्सव के उत्साह को और भी बढ़ा देता है।
मणिपुर की होली
मणिपुर में होली का त्योहार पूरे छह दिनों तक मनाया जाता है। इस मौके पर यहां गुलाल के साथ ढ़ोलक की थाप भी होली की मस्ती को बढ़ा देती है। योसांग होली के नाम से मशहूर इस पर्व थाबल चोंगा वाद्य खासतौर से बजाया जाता है, जिसकी धुन पर लड़के लड़कियां अबीर गुलाल से होली खेलते हुए थिरकते हैं।
गोवा की होली
गोवा में मनाए जाने वाले होली के पर्व को शिगमोत्सव कहकर पुकारा जाता है। तकरीबन 15 दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्योहार में देवी देवताओं की पूजा के उपरांत जुलूस और विशेषतौश्र पर झांकियां निकाली जाती है। इस मौके पर गुलाल से भी खासतौर से होली खेली जाती है। गोवा की होली में हिस्सा लेने के लिए दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं और हर प्रथा का आनंद उठाते हैं।
उत्तराखंड की बैठकी होली
रंगों और गुलाल के अलावा संगीत भी होली का एक अभिन्न अंग है। उत्तराखंड के नैनीताल, अल्मोड़ा और बाकी कई जगहों पर बिना गीतों के होली का त्योहार पूर्ण नहीं माना जाता है। यहां पर होली के खास पर्व पर गीत बैठकी करवाई जाती है। इस मौके पर गुलाल का टीका लगाने के बाद होली के गीतों से समां बांध दिया जाता है। इसके अलावा बैठकी होली के अलावा खड़ी होली गायन की परंपरा भी शुमार है।
महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश में होली को रंगपंचमी के नाम से जाना जाता है। यहां पूरी आस्था और उत्साह के साथ इस खास पर्व को मनाया जाता है। इस दिन राधाकृष्ण की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन विशेष भोजन बनाया जाता है, जिसमें पूरनपोली अवश्य होती है। इसके अलावा इस दिन गुलाल से खेलने का भी अपना अलग पांरपरिक महत्व है।