सिक्किम के इतिहास, संस्कृति और घूमने की पूरी जानकारी
इस जगह पर घूमने और देखने के लिए चोटियाँ, झीलें, मठ, आर्किड नर्सरी और कई आश्चर्यजनक ट्रेकिंग मार्ग स्थित हैं जो सिक्किम को एक परफेक्ट प्लेस बनाते हैं।
2 Days Sikkim Tour: हमारे देश का पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम एक बहुत ही ख़ूबसूरत और छोटा राज्य है। इस जगह पर कई ऐसे प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जहां पर देश दुनिया भर से लोग आना पसंद करते हैं। यह राज्य अपने पौधों, जीव जंतुओं, नदियों, पहाड़ों, झीलों और झरनों के लिए जाना-जाता है। इस जगह पर घूमने और देखने के लिए चोटियाँ, झीलें, मठ, आर्किड नर्सरी और कई आश्चर्यजनक ट्रेकिंग मार्ग स्थित हैं जो सिक्किम को एक परफेक्ट प्लेस बनाते हैं। यह हमारे देश का सबसे आकर्षक राज्य है जो अपनी उत्कृष्ट प्राकृतिक सुन्दरता, साधनों, भव्य पहाड़ों, सुंदर झरनों और अद्भुत परिदृश्यों से भरपूर है।
यदि आप एक प्रकृति प्रेमी हैं, तो यह राज्य आपके घूमने के लिए एक बहुत ही अच्छी जगह है। इस लेख के माध्यम से हम सिक्किम के इतिहास, संस्कृति और यहां घूमने की पूरी जानकारी दे रहे हैं ताकि आप इस जगह को दो दिन में एक्सप्लोर कर सकें।
सिक्किम का इतिहास

सिक्किम का इतिहास बहुत ही रोचक है। यह हमें उस समय में ले जाता है जब लेप्चा सिक्किम के मूल निवासी हुआ करते थे। यह कहा जाता है कि 9वीं शताब्दी में बौद्ध संत गुरु रिनपोछे इस जगह से गुजरे थे और उन्होंने ही बौद्ध धर्म को इस राज्य में पेश किया था। लेकिन यहां बौद्ध धर्म ने अपना असल सिक्किमी रूप चार शताब्दी के बाद उस समय लिया जब तीन तिब्बती भिक्षु, सुधारवादी गेलुकप के उदय से असंतुष्ट हो गए और पश्चिमी-सिक्किम में योकसुम चले गए थे। सदियों तक यह क्षेत्र नेपाली और ब्रिटिश सैनिकों से हारता रहा था। 1947 में ब्रिटिश शासन की समाप्ति के बाद सिक्किम एक स्वतंत्र देश बना रहा। आजादी के 28 साल बाद यानि 26 अप्रैल 1975 में सिक्किम को भारत का 22 वां राज्य बना दिया गया।
सिक्किम की पारंपरिक वेशभूषा

सिक्किम भारत का एक ऐसा राज्य है जिसका पारंपरिक पोशाक भारत के दूसरे राज्यों से बिलकुल अलग है। एक तरह से देखा जाए तो सिक्किम में लेप्चा, भूटिया और नेपाली कुल तीन समुदाय पाए जाते हैं, जिनमे से सभी का पहनावा अलग-अलग तरह का है। लेप्चा समुदाय की महिलाओं के लिए पारंपरिक पोशाक डुमवम, टैगो, बेल्ट और तारो है। लेप्चा महिलाएं नामचोक, लयक, ग्यार जैसे पारंपरिक आभूषणों से खुद को सजाती हैं। भूटिया समुदाय की महिलाएं खो या बाखू, रेशमी कपड़े, शंबो और शबचू एक पूरी आस्तीन का ब्लाउज पहनती हैं।
सोने के आभूषण इस समुदाय के लिए बहुत ही खास होते हैं। नेपाली महिलायें फरिया पहनना पसंद करती हैं, और ढीले ब्लाउज के साथ साड़ी पहनती हैं। थारो चोलो इस समुदाय की महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले एक तरह का ब्लाउज है।
सिक्किम का भूगोल

भारत का खूबसूरत राज्य सिक्किम पूर्वी हिमालय में स्थित है। इस राज्य के पूर्व में भूटान, पश्चिम में नेपाल, उत्तर में तिब्बत और दक्षिण में पश्चिम बंगाल की सीमा लगी हुई है। विश्व की तीसरी सबसे उंची चोटी कंचनजंगा भी नेपाल-सिक्किम सीमा पर ही स्थित है। तीस्ता सिक्किम की सबसे बड़ी नदी है और रंगीत को भी यहां की एक प्रमुख नदी के तौर पर जाना जाता है। सिक्किम की पूर्व, पश्चिमी और उत्तरी सीमाएं हिमालय के पर्वतों से घिरी हुई हैं। सर्दियों के मौसम में सिक्किम जाते हैं तो यहां पर आप बर्फ से ढके पहाड़ों को देख पाएंगे। गर्मियों के मौसम में आने वाले लोग यहाँ की हरियाली और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। सिक्किम में कई हॉट स्प्रिंग्स भी हैं जो अपने औषधीय मूल्यों के लिए जानी जाती है।
पहले दिन: सिक्किम में एडवेंचर्स

सिक्किम एक ऐसा राज्य है जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और अनोखी संस्कृति के साथ-साथ आपको साहसिक पर्यटन का भी विकल्प देता है। यह कई तरह के ख़ूबसूरत दृश्यों के साथ विभिन्न प्रकार के रोमांचकारी एडवेंचर भी प्रदान करता है। यह पर्यटन स्थल ट्रेकिंग और हाइकिंग के काफ़ी अनुकूल और ट्रेक प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। इस जगह पर मौजूद गोइचला ट्रेक को सबसे अच्छा बताया जाता है। इस ट्रैक के दौरान आपको घने जंगलों और सुरम्य घास के मैदानों के बहुत ही ख़ूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं। तीस्ता नदी में रिवर राफ्टिंग का बहुत ही ख़ूबसूरत विकल्प होता है, यह एक ऐसी साहसिक गतिविधि है जो आपकी यात्रा को यादगार बना देगी।
इस जगह पर त्सोंगमो झील के पास याक की सवारी भी कराई जाती है, यह एक ऐसी साहसिक गतिविधि है जो आपको उत्साह से भर देगी। यह ऊनी कपड़ों से ढंके हुए याक काफ़ी ख़ूबसूरत लगते हैं और उनके गले में घंटियाँ और तार लटकाए जाते हैं।
सिक्किम में ही गंगटोक से रंगपो तक का एक बाइकिंग मार्ग है जो संभवत सबसे लंबा पर्वतीय बाइकिंग मार्ग है। इस मार्ग से यात्रा करते हुए आसपास की हरियाली और सुंदर परिदृश्य को पहाड़ों से देख सकते हैं। गंगटोक में केबल कार की सवारी भी कराई जाती है, इस को अपनी लिस्ट में जरुर शामिल करना चाहिए। इस केबल कार से सिक्किम के शानदार दृश्यों को देखने का अवसर मिलता है।
दूसरे दिन: कला और संस्कृति को जाने

सिक्किम की कलाकृतियां पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। जिन्हें देखने के बाद खरीदने का मन करता है, क्योंकि यह दिखने में बेहद खूबसूरत और आकर्षक होती हैं। सिक्किम की कलाकृतियों में क़ालीन बनाई, वुड कार्विंग, थांगका पेंटिंग आदि का नाम बहुत ही प्रमुखता से आता है।
कालीन बुनाई- भूटिया सामुदाय के बुनाई की एक महत्वपूर्ण कला है। इस कला के माध्यम से जूट और अन्य बीहड़ सामग्री का उपयोग करके अच्छी क्वालिटी के आसन को बनाया जाता है। यह काम सिक्किम में कई जगहों पर होता है जहां आप जा सकते हैं।
वुड कार्विंग- वुड कार्विंग को सिक्किम राज्य के लोगों की प्रतीकात्मक कला माना जाता है। इस कला के माध्यम से लकड़ी की नक्काशी के द्वारा विभिन्न डिजाइनों के फर्नीचर बनाए जाते हैं। यह काम भी सिक्किम में ख़ूब होता है जिसे देखा और समझा जा सकता है।
थांगका पेंटिंग- थांगका पेंटिंग सिक्किम राज्य का प्रमुख आकर्षण है। थांगका पेंटिंग सूती कैनवास से बने होते हैं जिसमें बौद्ध परंपरा के पुजारियों और भिक्षुओं के चित्र होते हैं। यह काफ़ी पॉप्युलर है और आपको देश के तमाम पर्यटन स्थलों पर मिल जाता है। इसके अलावा सिक्किम के अन्य हस्तशिल्पों में शॉल, जैकेट, बैग और ऊनी कंबल शामिल हैं। जिसे आप अपनी यात्रा के दौरान जान अथवा समझ सकते हैं।
सिक्किम कैसे पहुँचे

अगर आप सिक्किम जाने की योजना बना रहे हैं तो पहले आपको यह तय करना होगा कि आप परिवहन के किस माध्यम से सिक्किम की यात्रा करना चाहते हैं। हवाई जहाज से सिक्किम जाने के लिए नज़दीकी हवाई अड्डा पाक्योंग है। हवाई अड्डा जिसको साल 2018 में शुरू किया गया है, इस हवाई अड्डे की वजह से राज्य का भारत के दूसरे राज्यों से संपर्क बढ़ा है। पाक्योंग हवाई अड्डा गंगटोक से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ट्रेन से सिक्किम जाने के लिए कोई उचित रेल नेटवर्क नही है। न्यू जलपाईगुड़ी इसका प्रमुख निकटतम रेलवे स्टेशन है जो सिलीगुड़ी से लगभग 6-7 किलोमीटर और गंगटोक से 130 किमी की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से सिक्किम जाने के लिए 31A राष्ट्रीय राजमार्ग गंगटोक को सिलीगुड़ी से जोड़ता है।
