Elderly Care: एक बच्चा जब पैदा होता है तो उसकी बेहतर देखभाल करने में माता-पिता कोई कसर नहीं छोड़ते हैं और उसकी सारी जरूरतों का बहुत अच्छे तरीके से ख्याल रखते हैं। समय के साथ बच्चे बड़े हो जाते हैं और माता-पिता की उम्र बढ़ने लगती है। उस समय बुजुर्गों को एक बच्चे के जैसी देखभाल की ही जरूरत होती है। क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक शक्ति और क्षमताएं कम होने लगती हैं और अक्सर बुजुर्गों की मानसिक सेहत पर भी इसका काफी विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है।
हालांकि शारीरिक परेशानियों में डॉक्टर की दवा और इलाज से काम चल जाता है लेकिन बुजुर्गों की देखभाल के लिए सिर्फ डॉक्टर से दवा लेना ही काफी नहीं है। परिवार का साथ और अपनापन ऐसी चीजे हैं जिनकी जरूरत किसी भी बुजुर्ग की देखभाल में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं।
लेकिन अक्सर काम या पढ़ाई के चलते बच्चों को या तो घर से दूर रहना पड़ता है या व्यस्तता के कारण वह अपने घर के बुजुर्गों के साथ समय नहीं बिता पाते हैं।
लिहाजा वृद्धजन अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं और स्वयं को समाज से कटा हुआ महसूस करने लगते हैं। ऐसा ना हो इसके लिए उनकी सेहत का ख्याल रखने के साथ-साथ कुछ अन्य बातों को ध्यान में रखना भी बहुत जरूरी है ताकि स्वस्थ शरीर के साथ उनका मन भी प्रसन्न रहे।
संवाद बनाकर रखें

माना आपकी दिनचर्या हद से ज्यादा व्यस्त है और किसी भी अतिरिक्त काम के लिए समय निकाल पाना सम्भव ही नहीं है। लेकिन अपने बुजुर्ग माता-पिता या दादी-दादा से कुछ मिनट बात करने को भी एक जरूरी काम की तरह ही लें। यदि रोजाना मिलकर बात करना सम्भव ना हो तो फोन पर ही हाल-चाल लें। यदि रोजाना फोन पर बात नहीं हो सकती तो उनकी सुविधानुसार कोई दिन और समय निश्चित कर लें और तब बात करें। इससे उन्हें एहसास रहेगा कि आपको उनकी बहुत फ़िक्र है और उनसे बात करना आपको अच्छा लगता है। साथ ही उनके जन्मदिन या एनिवर्सरी पर शुभकामनाएं देना ना भूलें।
घर हो आरामदायक

- अभिवाभक अपने बच्चों को हर सम्भव आराम देने का प्रयास करते हैं तो उनके बुढ़ापे में बच्चों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बुजुर्ग माता-पिता के आराम का पूरा ख्याल रखें। ख़ासतौर पर यदि वह अकेले रहते हैं तो घर में उनके आराम के इंतजाम और भी बेहतर होने चाहिए।
- बेडरूम से टॉयलेट अटैच होना चाहिए ताकि किसी की मदद के बिना भी वह इस्तेमाल कर सकें।
- नियमित रूप से घर कि साफ-सफाई के साथ हफ्ते में एक बार अच्छी तरह डस्टिंग जरूर हो।
- महीने में एक बार किचन, फ्रिज और लॉन की पूरी सफाई की जानी चाहिए।
- वाटर प्यूरीफायर, पंखे, एसी, गैस इत्यादि की समय-समय पर जांच करवाते रहें ताकि उन्हें अकेले किसी प्रकार की परेशानी ना हो।
- उनके बिजली के बिल से लेकर मोबाइल बिल तक सभी बिलों का समय पर भुगतान सुनिश्चित होना चाहिए।
सुरक्षा को ना करें नजरअंदाज
जब एक बच्चा चलना सीखता है तो उसकी सुरक्षा के लिए घर में सभी जरूरी बदलाव करवाए जाते हैं। यही नियम बुजुर्ग लोगों की सुरक्षा पर भी समान रूप से लागू होता है। बढ़ती उम्र में जोड़ों में दर्द, आंखों की रोशनी कम हो जाना या ऊंचा सुनाई देने जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लेकिन इनके विपरीत प्रभाव बड़ी उम्र के लोगों को बहुत प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उनकी सुरक्षा के इंतजाम खासतौर पर पुख्ता होने जरूरी हैं।
- लिहाजा घर के फर्श के लेकर पर्याप्त रोशनी तक हर छोटी-बड़ी चीज पर ख़ास ध्यान देने की जरूरत होती है।
- घर का फर्श बहुत चिकना और रंगीन नहीं होना चाहिए। वर्ना फर्श पर पड़ी कोई चीज बुजुर्ग व्यक्ति को ठीक से दिखाई नहीं देगी और इससे उन्हें चोट लग सकती है।
- बाथरूम में एंटी स्किड टाइल्स ही लगवाएं ताकि फिसलने का डर ना रहे।
- टॉयलेट में सहारे के लिए हैंड रेल यानि रेलिंग जरूर लगवाएं ताकि उठने और बैठने में परेशानी ना हो।
- सुनिश्चित करें कि घर के हर कोने में रोशनी की पूरी व्यवस्था हो।
- सीसीटीवी इंस्टाल करवाना बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसे अपने स्मार्टफोन से कनेक्ट करके आप दूर से भी घर के अन्दर और बाहर की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं।
- उनके मोबाइल फोन में स्पीड डायल पर सबसे नजदीक रहने वाले जानकारों के नम्बर जरूर डालें जो किसी आपात स्थिति में बिना वक्त गंवाए तुरंत पहुंच सकें।
- डोर बेल की आवाज कम ना हो और वो ऐसे स्थान पर लगी हो जहां से उन्हें उसकी आवाज आसानी से सुनाई दे जाए।
- घर में इंटरकॉम भी लगवाया जा सकता है ताकि दरवाजा खोलने से पहले वह आने वाले से पूछताछ कर सकें।
रखें उन्हें एक्टिव

अक्सर अकेलापन व्यक्ति को भावनात्मक रूप से इतना कमजोर बना देता है कि वह अवसाद का शिकार होने लगता है। इस एकाकीपन से अपने बुजुर्ग परिजनों को बचाने के लिए उन्हें आस-पड़ोस के लोगों से मिलने के लिए प्रेरित करें। अपने क्षेत्र के कम्युनिटी ग्रुप्स से उन्हें अवगत कराएं। सुबह-शाम पार्क जाना भी दूसरे बुजुर्गों से मेलजोल बढाने का एक अच्छा जरिया है। कभी-कभी उनके और उनके दोस्तों के लिए पार्क में पिकनिक का प्रबंध करें या घर पर ही चाय पर आमंत्रित करें। ये सब करने से उनकी सामाजिक सक्रियता बनी रहेगी और वह अकेलापन महसूस नहीं करेंगे।
सेहत का भी रखें ख्याल
बढ़ती उम्र अपने साथ बहुत सी बीमारियां भी ले आती है इसलिए सेहत का ख्याल रखना ज्यादा आवश्यक हो जाता है। मेडिकल इंश्योरेंस हॉस्पिटल के बिल से लेकर डॉक्टर की फीस तक सभी के भुगतान में बहुत काम आता है। यदि यह सम्भव ना हो तो किसी अच्छे हॉस्पिटल में उनके नियमित चेकअप की व्यवस्था जरूर करें। बड़ी उम्र का प्रभाव याददाश्त पर भी पड़ता है और अक्सर वृद्ध लोग अपनी दवाएं लेना भूल जाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए या तो उन्हें हर बार फोन करके दवा के बारे याद दिलाएं या उनके फोन में रिमाइंडर सेट कर दें। आप चाहें तो उन्हें मेडिसिन आर्गेनाइजर भी ला के दे सकते हैं।
तरुण शर्मा, संस्थापक एवं सीईओ- योड्डा, से बातचीत पर आधारित
