छठी मैया किसका रूप है?, ये है उनकी उत्पत्ति से जुड़ी रोचक कहानी: Chhath Puja 2024
छठ महापर्व को पूर्ण रूप से प्राकृतिक तरीके और शुद्धता से मनाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास रखती हैं।
Chhath Puja History : छठ महापर्व को पूर्ण रूप से प्राकृतिक तरीके और शुद्धता से मनाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास रखती हैं। यह भी माना जाता है कि जो भी पूरी विधि विधान के साथ छठ व्रत करता है, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना की जाती है लेकिन इस पर्व का नाम छठ क्यों पड़ा और आखिरकार छठी मैया कौन है, इसके बारे में अधिक लोगों को नहीं पता है। चलिए जानते हैं कि आखिरकार छठी मैया कौन हैं।
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कौन है छठी मैया?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन हैं। षष्ठी देवी यानी छठ मैया संतान प्राप्ति की देवी हैं और शरीर के मालिक भगवान सूर्य हैं। माना जाता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना करते हुए खुद को दो भागों में विभाजित किया था। एक भाग पुरुष और दूसरा भाग प्रकृति के रूप में था। फिर प्रकृति ने भी अपने आप को 6 भागों में विभाजित किया था जिसमें से एक मातृ देवी या देवसेना थी जबकि छठ मैया देवसेना की छठी अंश हैं, इसलिए इन्हें छठी मैया कहा जाता है।
यह व्रत इतना खास क्यों

छठ पूजा के लिए बेहद कड़े नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना बिल्कुल अनिवार्य है, तभी मनवांछित फल मिलता है। कुछ कथाओं के अनुसार, महिलाएं यह व्रत अपने पुत्र के लंबी उम्र के लिए करती है, लेकिन यदि कोई मन में इच्छा है तो उसे पूरा करने के लिए भी यह व्रत किया जाता है। कहते हैं की छठी मैया से सच्चे दिल से जो भी मांगो वह हर इच्छा पूरी करती है।
इस तरह देते हैं अर्घ्य

छठ पूजा 4 दिनों का त्योहार है जिसमें षष्ठी तिथि की सांयकाल में सूर्य देवता को गंगा-यमुना या फिर किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य के दौरान नदी किनारे बांस की टोकरी में मौसमी फल, मिठाई और प्रसाद में ठेकुआ, गन्ना, केले, नारियल, खट्टे फल के तौर पर नींबू और चावल के लड्डू भी रखे जाते हैं। इसके बाद पीले रंग के कपड़े से सभी फलों को ढक दिया जाता है और दीए हाथ में लेकर टोकरी को पकड़कर तीन बार डूबकी मारकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस महापर्व में प्रकृति से जुड़ी चीजों का ही भोग लगता है और साफ सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।
