सावन में जलाभिषेक का नियम और विधि
सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक करना पुण्यदायक होता है। ब्रह्म मुहूर्त में ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ जल चढ़ाएं। शंख व तुलसी का प्रयोग न करें। पूजा में नियमों का पालन करें।
Sawan Shivling Jalabhishek: शिवजी की उपासना के लिए ‘सावन’ का महीना सबसे श्रेष्ठ और उत्तम माना जाता है। इस माह की गई पूजा, अराधना और व्रत आदि से महादेव प्रसन्न होकर शीघ्र फल देते हैं। बता दें कि सावन का महीना इस साल 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा और इस दौरान शिवभक्त शिवजी की पूजा-अराधना करेंगे। इसी महीने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त कांवड़ यात्रा भी करते हैं और पवित्र नदियों के जल से शिवालय तक पहुंचकर शिवलिंग अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
शिवजी की पूजा में जलाभिषेक करना पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। क्योंकि जलाभिषेक के बिना शिवलिंग पूजन अधूरी मानी जाती है। कहा जाता है कि, यदि आप शिवलिंग पर फल-फूल या भोग आदि ना भी चढ़ाएं और सच्चे मन से यदि शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक कर दें तो भी पूजा का पूर्ण फल मिल जाता है। साथ ही जलाभिषेक करने से मानसिक शांति, शारीरिक बल, आध्यात्मिक लाभ और आर्थिक समृद्धि होती है। आइये जानते हैं सावन माह में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की सही विधि और समय क्या है।
सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की विधि

शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए सबसे पहले आप सुबह उठकर स्नानादि करें। इसके बाद आप जलाभिषेक के लिए किसी शिव मंदिर में जा सकते हैं या आपके घर पर शिवलिंग स्थापित है तो उसमें भी जलाभिषेक कर सकते हैं। जलाभिषेक से पहले सभी पूजन सामग्रियों को एक स्थान पर एकत्रित कर लें और महादेव का स्मरण करते हुए ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर जल अर्पित करें। आप आराम से पतली धारा के साथ जल चढ़ाएं। इसके बाद महादेव को बेलपत्र, फूल, भांग, धतूरा, भभूत आदि जैसी चीजें अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और शिव चालीसा का पाठ करें। आप शिवजी के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें।
जल चढ़ाते समय पढ़ें ये मंत्र

मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
जलाभिषेक के जरूरी नियम

- इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, कभी भी जलाभिषेक करते समय आपका मुख पूर्व या ईशान कोण की ओर न रहे। साथ ही खड़े होकर भी जल ना चढ़ाएं।
- आराम से आसान पर बैठकर तांबे के लोटे से जल की पलती धारा से शिवलिंग पर धीरे-धीरे जल अर्पित करें।
- शिवलिंग पर भूलकर भी शंख से जल अर्पित न करें। इससे शिवजी नाराज हो जाएंगे।
- जल के पात्र में तुलसी पत्ते का भी प्रयोग न करें और ना ही शिवजी की पूजा में किसी तरह से भी तुलसी का प्रयोग करें।
- खंडित अक्षत, टूटे हुए बेलपत्र, कुमकुम, हल्दी, लाल फूल आदि जैसी चीजों का भी शिव पूजन में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का समय

सावन में आप हर दिन किसी भी समय शिवजी की पूजा कर सकते हैं। लेकिन शिवजी की पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे शुभ माना जाता है। अगर बात करें सावन में शिवलिंग का जलाभिषेक करने की तो इसके लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त से लेकर 11 बजे तक आप जलाभिषेक कर सकते हैं। इस समय किए जलाभिषेक से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
