साईं ढेरों लोगों के आदर्श हैं। वो ऐसे संत कहलाए, जो जीवित रहते भी इंसानों को रास्ता दिखाते रहे और दुनिया से जाने के बाद भी उन्होंने अपने मकसद को छोड़ा नहीं है। बल्कि उनके बताए नियम अभी भी हम इंसानों के खूब काम आ रहे हैं। साईं के बाबा के देश के में ढेरों मंदिर हैं लेकिन उनको मानने वाले भले ही मंदिर न जाते हों लेकिन साईं की भक्ति में लीन रहते हैं। मगर ये सब बस यूंहीं नहीं हुआ है बल्कि इसके पीछे साईं बाबा की सीखें हैं, जो उनको मानने वालों को उनका साथ छोड़ने ही नहीं देती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं साईं ईश्वर के करीब जाने के भी ढेरों रास्ते सुझा देते हैं। उन्होंने ईश्वर को पाने के जो नियम बताएं हैं, उन्हें जान लीजिए-

चार रास्ते–
ईश्वर के पास पहुंचने के चार रास्ते हैं। सभी के लिए दृढ़ निश्चय चाहिए होता है। ये चार मार्ग जीवन के बेहद करीब हैं, ये हैं- कर्म, योग, ज्ञान और भक्ति। सभी का पालन थोड़ा कठिन है। लेकिन इन सबमें भक्ति का रास्ता सबसे कठिन माना गया है। भक्ति का रास्ता कठिन इसलिए है क्योंकि इसमें लगातार लगन बनाकर रखनी होती है।

कठिन मार्ग है ये –
मन को सिर्फ ईश्वर की भक्ति में लीन रहने देना आसान बिलकुल भी नहीं है। बड़े से बड़े भक्तों का मन एक समय के बाद भटक जाता है। साईं मानते हैं कि जो भी भक्त उनकी शरण में आते हैं, उनकी भक्ति में लीन रहते हैं, साईं बाबा खुद उनक्का ध्यान रखते हैं। अगर भक्त साईं के साथ अपना मन लगा लेते हैं तो उनका मन हमेशा स्थिर, शांत और निर्भय रहता है। इसके लिए मन और अपनी सभी इंद्रियों को ईश्वर के ख्यालों में रखना होगा।

कर्म हों ऐसे–
साईं ने हमेशा माना है कि कर्म ऐसे करो कि दूसरों को हानि बिलकुल न हो। भले ही फिर इसमें तुम्हें लाभ ना हो रहा हो। इसलिए साफ मन से काम करो और किसी का बुरा बिलकुल न सोचो।
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