साईं बाबा के अनमोल विचार उनके भक्तजनों के लिए एक मार्गदर्शन है और वे उन्हीं विचारों का अनुकरण कर जीवन में आगे बढ़ते हैं। साईं के भक्त हर पल उन्हे याद करते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं। मगर खासतौर से गुरुवार के दिन साईं भकतों की भीड़ मंदिरों के बाहर देखने को मिलती है। इस खास दिन साईराम की पूजा भी होती है और कुछ लोग इस दिन व्रत भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पूरी श्रृद्धा और विश्वास से व्रत और साईंराम की पूजा अर्चना करते हैं। साईं बाबा का हाथ उन भक्तों के सिर पर सदैव रहता है। वे उन लोगों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उनके हर नेक कार्य में उनका साथ देते हैं। आइए जानते हैं, साईं राम के अनमोल विचार और साईं व्रत की विधि

 

साईं बाबा के बताए अनमोल विचार

अगर कोई भी शख्स मेरे विचारों को श्रवण करता है और लीलाओं के मूल भाव को समझ जाता है। तो निश्चय ही वह इश्वर तक पहुंचने में सफल साबित होता है।

साईरा कहते हैं, कि किसी भी कार्य को वक्त से पहले शुरू करो और हर राह पर आहिस्ता चलो और पूरी सतर्कता के साथ पहुंचों।

साईजी कहते हैं कि जो भी मुझसे जुड़ा और मेरे प्रति प्रेम का भाव रखता है, मेरी नज़र हर पल उनपर बनी रहती है।

साधना से अभिप्राय अपने गुरू पर भरोसा रखना है।

हर किसी से बराबरी और सहनशीलता से बर्ताव करना ही हमारा सर्वप्रथम कर्तव्य है।

मैं अपने भक्त को मुश्किल वक्त में सहारा देता हूं और हाथ देकर उसे थाम लेता हूं।

साईराम ने कर्म को ही पूजा का दर्जा दिया है। वे कहते हैं कि हमारा कर्म ईश्वर के चरणों में अर्पित किए हुए पुष्प के समान है।

 

साईं व्रत का विधान

साईं बाबा के भक्तों का उनमें पूर्ण विश्वास है। वे न सिर्फ साई की पूजा करते हैं बल्कि पूरे विधि विधान से उनका व्रत भी रखते हैं। साईं बाबा ने सभी को बराबरी का दर्जा दिया और उंच नीच के फर्क को समाप्त कर दिया। उन्होंने ईश्वर को सर्वव्यापी और एकरूप बताया है। उनके वचन हैं कि सबका मालिक एक ही है। बृहस्पतिवार के दिन साईबाबा का व्रत रखा जाता है। आप साईंबाबा के व्रत की शुरूवात किसी भी गुरूवार से कर सकते हो। व्रत के दौरान साइंर्ंराम की पूजा के लिए पीले रंग का वस्त्र विछाकर साई की तस्वीर यां मूर्ति रखिए और फिर पीले फूलों की माला उन्हें अर्पित करके उनकी अराधना कर सकते हैं। साथ ही साईंबाबा की व्रत कथा भी पढ़नी चाहिए। पूजा के दौरान साईजी को फल और मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। जो बाद में सभी लोग में वितरित कर देना चाहिए । अगर आप नियमित व्रत कर रहे हैं, तो नौ व्रत करने के बाद व्रत का समापन कर देना चाहिए। समापन के दौरान दान पुण्य और गरीब लोगों को भोजन अवश्य करवाना चाहिए।

 

कैसे करें व्रत

व्रत यानि उपवास, जो आपके जीवन में एक नियम तय करता है और आपको उसके अनुसार चलने के लिए प्रेरित भी करता है। अगर आप भी साईंबाबा का व्रत करना चाहते हैं, उसमें फलाहार ले सकते हैं। व्रत के दिन आप मंदिर जाकर यां घर पर ही साईबाबा की अराधना ज़रूर करें और उनके वचनों का जाप करें। अगर किसी कारणवश आपका व्रत नियमित नहीं हो पाया है, तो उस सप्ताह को छोड़कर अगले सप्ताह से  व्रत को चल रहे क्रम से ही आगे बढ़ाए और नौ व्रत पूर्ण करें।   

 

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