Masik Kalashtami 2023: हिंदू कैलेंडर के हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। कालाष्टमी का पर्व भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान काल भैरव की विशेष उपासना की जाती है। धर्म शास्त्रों में मासिक कालाष्टमी का महत्व बताया गया है जिसके अनुसार इस दिन काल भैरव की पूजा करने से रोग दोष और जीवन में आ रहे संकट दूर होते हैं। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि भगवान शिव के रुद्रावतार कालभैरव देव की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सुख—समृद्धि आती है। तो चलिए जानते हैं आषाढ़ मास में मासिक कालाष्टमी का पर्व कब है और इसका महत्व और पूजा विधि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
जून 2023 में कब है कालाष्टमी 2023

हिंदू पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी का पर्व हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 10 जून 2023 को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो अगले दिन 11 जून 2023, दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। इस तरह से जून में कालाष्टमी का पर्व 10 जून 2023 को मनाया जाएगा और इसी दिन कालाष्टमी व्रत रखा जाएगा। इस दिन एक विशेष संयोग भी बन रहा है। कालाष्टमी पर सुबह 5 बजकर 23 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 40 मिनट तक रवि योग बना रहेगा।
मासिक कालाष्टमी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कालाष्टमी का पर्व भगवान शिव के रौद्र रूप में काल भैरव के प्रकट होने पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव ने अवतार लिया था। भगवान काल भैरव को रौद्र रूप के लिए जाना जाता है। इनकी उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, कालाष्टमी का व्रत रखने से जातक को सभी तरह के भय से मुक्ति प्राप्त होती है और जीवन में सुख—शांति व समृद्धि बनी रहती है। कालाष्टमी पर काल भैरव के साथ भगवान शिव की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए। इससे भगवान हर संकट से रक्षा करते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
मासिक कालाष्टमी की पूजा विधि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा करने का विधान है। इस दिन जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से भगवान काल भैरव की उपासना करता है, उसके सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं। इनकी पूजा से सभी नकारात्मक शक्तियों का अंत हो जाता है। कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन पूजा के दौरान भैरव स्तोत्र, भैरव चालीसा आदि का पाठ भी करना चाहिए। इससे काल भैरव प्रसन्न होकर आप पर कृपा बरसाएंगे और सभी मनोकामना पूरी होगी।
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