अभी हाल ही में 5 अगस्त को जब अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन किया गया तो प्रधानमंत्री मोदी जी को राम की अनोखी मूर्ति तोहफे में दी गई थी। राम के इस अनोखे रूप को कोदंड राम कहा गया है। ये अपने आप में बिलकुल अलग-रूप रंग वाली मूर्ति है और राम जी के बहुत अद्भुत दर्शन कराती है। ये मूर्ति रंग में खिली-खिली नहीं लगती लेकिन इसमें प्रभु की अनुकंपा पूरी नजर आती है। इस मूर्ति से जुड़ी कई रोचक बातें हैं और इसका नाता सीधे श्रीराम से है भी नहीं। बल्कि एक ऐसी चीज से है जो राम जी की पहचान भी है और उनके बेहद करीब भी। श्रीराम के कोदंड रूप के बारे में चलिए जानते हैं और उनके दिव्य रूप से रूबरू हो जाइए-
धनुष से जुड़ा नाम-
राम जी के कोदंड रूप का सीधा नाता खुद उनसे नहीं बल्कि उनके धनुष से है। दरअसल उनके धनुष का नाम ही कोदंड है और इसी वजह से श्रीराम को भी कोदंड कहा गया। ये एक चमत्कारिक धनुष था, जिसे हर शख्स नहीं इस्तेमाल कर सकता था। इसको साधने का गुण सिर्फ श्रीराम को ही आता था। 
कोदंड का मतलब-
सवाल ये उठता है कि कोदंड का मतलब क्या होता है? तो जान लीजिए कोदंड का मतलब होता है बांस से बना हुआ। इसे एक बांस पर ही आकृति दी जाती थी। माना जाता था कि इस धनुष से निकला बाण लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था। 
कोदंड वाला मंदिर-
रघुनाथ जी के कोदंड रूप का एक मंदिर छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में बनाया गया है। इस मंदिर का नाम ‘कोदंड रामालयम मंदिर’ है। 
पीएम मोदी की मूर्ति है खास-
पीएम मोदी को जो कोदंड राम की मूर्ति दी गई है, वो कई मायनों में खास है। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके शिल्पकर एम राममूर्ति ने कई दिनों की मेहनत के बाद बनाया है। इस मूर्ति को दक्षिण और उत्तर के समन्वय का रूप माना गया है। इसको कर्नाटक की खास दक्षिण शैली में बनाया गया है। टीक वुड की ये मूर्ति अयोध्या शोध संस्थान की ओर से उपहार में प्रधानमंत्री को दी गई है। 
रामजी का वनवासी रूप-
भगवान राम के कोदंड रूप को उनका वनवासी रूप भी माना जा सकता है। कहा जाता है जब वनवास पर निकले थे तो श्रीराम के पास कोदंड धानुष ही रहता था। 
स्त्री रक्षक दशरथ पुत्र-
दक्षिण भारत में रामजी के इस स्वरूप को खूब पूजा जाता है। मान्यता है कि श्रीराम, देवी सीता को ढूंढते हुए दक्षिण भारत पहुंचे थे तो साथ में कोदंड धनुष भी था। उन्होंने ये धनुष माता सीता की रक्षा के लिए उठाया था। इसलिए दक्षिण भारत में रामजी को स्त्री रक्षक कहा गया है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में श्रीराम के कोदंड रूप की ही पूजा होती है।