दीपावली पांच पर्वों से मिलकर बना है- धनतेरस, नरक चतुर्दशी,दीपावली, गोवर्धनपूजा और यम द्वितीय। पांचों दिन संध्या के समय घर में कम से कम पांच दीपक (चार छोटे और एक बड़ा) अवश्य जलाएं। दीपक कभी सीधे भूमि पर न रखें, थोड़े खील या चावल रखें, फिर उस पर दीपक रख दें।

नरक चतुर्दशी को संध्या के समय घर की पश्चिमी दिशा में खुले स्थान पर अथवा घर के पश्चिम में, 4 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं। उनके आशीर्वाद से समृद्घि होगी।

लक्ष्मी पूजन विधि- आचमन और प्रणाम करके दाएं हाथ में जल, कुमकुम, अक्षत तथा पुष्प लेकर इस प्रकार संकल्प करें, आज परम मंगलकारी कार्तिक मास की अमावस्या को मैं (अपना नाम, उपनाम, गोत्र बोलें) चिर लक्ष्मी की प्राप्ति नीतिपूर्वक अर्थ उपार्जन, सभी कष्ट को दूर करने की अभिलाषा की पूर्ति तथा आयुष्य-आरोग्य की पूर्ति के साथ राज्य, व्यापार, उद्योग आदि में लाभ के लिए गणपति, नवग्रह, महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती का श्रद्घाभाव से पूजन करता हूं।

इसके बाद हाथ में ली हुई सामग्री धरती पर छोड़कर तिलक लगाएं और कलावा बांधे। अब गणपति भगवान का पूजन करें। उन्हें स्नान कराके जनेऊ, वस्त्र, कलश, कुमकुम, केसर, अक्षत, पुष्प, गुलाल और अबीर चढ़ाकर गुड तथा लड्डू का नैवेद्य अर्पित करें। फिर निम्र मंत्र का उच्चारण करते हुए ध्यान करें।

ऊं गणपतेय नम:

एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्॥

इसी प्रकार नवग्रह का ध्यान करें।

ब्रह्मï मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो शुक्र शनिराहु केतव: सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु॥

अब महालक्ष्मी पूजन के लिए चांदी का सिक्का थाली में रखें। आह्वïान के लिए अक्षत अर्पित करें, जल से तीन बार अर्घ्य दें और स्नान कराएं। फिर दूध, दही, घी, शक्कर तथा शहद से स्नान कराकर पुन: शुद्घ जल से स्नान कराएं। कलावा, केसर, कुमकुम, अक्षत, पुष्पमाला, गुलाल, अबीर, मेंहदी, हल्दी, कमलगट्ट तथा मिष्ठïन अर्पित करके 108 बार एक-एक नाम बोलकर अक्षत चढ़ाएं।

ऊं अणिम्रे नम:। ऊं लघिम्रे नम:।

ऊं गरिम्रे नम:। ऊं प्रकाम्रे नम:।

ऊं प्राकाम्ये नम:। ऊं इशितारो नम:।

ऊं वशितारो नम:।

इसके बाद प्रसाद स्वरूप मिष्ठïन वितरण करके पान, सुपारी, इलायची, फल चढ़ाएं और प्रार्थना करें-

नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुर पूजिते।

शंख, चक्र, गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते॥

अपने घर, कार्य स्थल आदि नित्य प्रयोग में आने वाले उपकरणों, बही-खाते, डायरी, कलम, आदि में कलावा बांधें तथा उन्हें पुष्प, अक्षत और कुमकुम अर्पित करके ऊं महाकाल्यै नम: मंत्र का उच्चारण करें। फिर अंत में आरती, पुष्पांजलि अर्पित करके अपने परिजनों को प्रणाम करें, उनका आर्शीवाद लें। दीपावली के दिन किसी गरीब सुहागिन स्त्री को सुहाग सामग्री दान दें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।

पूजन स्थल पर आम के पत्तों का बंदनवार लगाएं। बरगद के पांच तथा अशोक वृक्ष के तीन पत्ते भी लाएं। बरगद के पत्तों पर हल्दी मिश्रित दही से स्वस्तिक चिह्नï बनाएं तथा अशोक के पत्तों पर श्री लिखें। पूजा में इन पत्तों को रखें। पूजा के बाद इन्हें धन रखने के स्थान पर रखें।

पूजा में मां लक्ष्मी के चरणों में एक लाल तथा एक सफेद हकीक पत्थर रखें। दोनों के योग से चंद्र-मंगल लक्ष्मी योग बनता है। पूजा के बाद इन्हें अपने पर्स में रख लें।

लक्ष्मी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं और समुद्र से ही उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख, मोती, कुबेर पात्र, गोमती चक्र आदि अनेक सहोदर अर्थात भाई-बंधु हैं। इनकी आपके घर में ही उपस्थिति हो तो लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर आती हैं। अत: दीपावली पूजन में इन वस्तुओं में से जो भी संभव हो, उसे घर में रखें, लक्ष्मी की कृपा जरूर प्राप्त होगी।

दीपावली की रात को पूजा के बाद लक्ष्मी जी की आरती न करें। श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त, पुरुष सूक्त आदि का पाठ कर सकते हैं, आरती नहीं। पूरी रात लक्ष्मी जी का आह्वïन करना चाहिए।

इससे वातावरण लक्ष्मीमय हो जाता है। दीपावली के दिन तिजोरी में प्राणप्रतिष्ठïत कुबेर यंत्र रखें। ऐसा करने से धनागमन होता रहता है। दीपावली के दिन चांदी की एक डिब्बी में कीमिया सिंदूर भर लें और उसमें पीली कौड़ी, श्रीयंत्र और कमल फल का टुकड़ा डालकर बंद कर दें।

लक्ष्मी पूजा के बाद अगले दिन डिब्बी को अपने घर, व्यावासायिक प्रतिष्ठïन या दुकान में रखें, समृद्घि होगी।

दीपावली की रात्रि लक्ष्मी पूजा के साथ एकाक्षी नारियल की पूजा करें। अगले दिन उसे पीले कपड़े में लपेटकर पूजा स्थान या धन स्थान में रखें।

दीपावली के दिन स्फटिक श्रीयंत्र स्थापित करके 16 ऋचाओं वाले श्रीसूक्त श्लोक का नियमित रूप से पाठ करें, समृद्घि मिलेगी। आर्थिक स्थिति में उन्नति के लिए दीपावली की रात सिंह लग्न में श्रीसूक्त का पाठ करें। श्रीसूक्त में 15 ऋचाएं हैं। प्रत्येक ऋचा अति शक्तिशाली होती है। सिंह लग्न मध्य रात्रि में होता है। उस समय लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर बैठ कर विष्णु-लक्ष्मी की तस्वीर के सामने शुद् घी का बड़ा दीपक जलाएं। श्रीसूक्त का 11 बार पाठ करें। फिर हवन कुंड में अग्नि प्रज्जवलित करें और श्रीसूक्त की प्रत्येक ऋचा के साथ आहुति दें। 

तत्पश्चात थोड़ा जल आसन के नीचे छिड़कें और उस जल को माथे पर लगाएं। बड़े दीपक को दोनों हाथों में लेकर अपने निवास स्थान पर आ जाएं जहां से आकाश दिखाई देता हो और मां लक्ष्मी से अपने घर की समृद्घि के लिए प्रार्थना करें। फिर उस दीपक को लेकर पूरे घूम जाएं और अंत में उसे पूजा स्थल पर रख दें। इस प्रयोग से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसके बाद शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीसूक्त से हवन करें।

लक्ष्मी विष्णुप्रिया है। दीपावली पूजन के समय गणेश लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की स्थापना अनिवार्य है। लक्ष्मी जी की दाहिनी ओर विष्णु जी तथा बाईं ओर गणेश जी को रखना चाहिए। दीपावली के अवसर पर व्यावसायिक संस्थानों तथा घरों में किन्नर इनाम लेने आते हैं। किसी किन्नर को कुछ रुपये (11, 21, 31) अवश्य दें तथा एक सिक्का उससे लेकर या उससे स्पर्श करवाकर अपनी तिजोरी में रख लें, धन निरंतर बढ़ता जाएगा।

ये सभी उपाय अनुभूत एवं प्रभावी हैं। कहते हैं कि यदि दीपावली उचित ढंग से मनाई जाए तो साल अच्छा बीतता है। इसलिए दीपावली के अवसर पर इन्हें अपनाकर लाभ उठाएं।  

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