बरसों से मां न बन पाने के चलते पारिवारिक और सामाजिक तिरस्कार झेलती आई महिलाओं की कहानी कोई नई बात नहीं। बड़े से बड़े घरों से लेकर समाज के निचले हिस्से तक, महिलाओं में उनकी शारीरिक कमियों को दूर करने और समझने के बजाय समाज ने उन्हें बांझ, बंजर, फलहीन जैसे शब्दों से अलंकृत किया है। ऐसे में यह वक़्त है जब महिलाएं खुद ये जाने कि आखिर उनकी शिशु पाने की चाहत कैसे पूरी हो सकती है, साथ ही महिलाएं अपनी शारीरिक स्थिति के साथ-साथ मानसिक स्थिति को बेहतर तरीके से समझें।
ऐसे में महिलाओं में आज के दौर में सबसे ज़्यादा जो समस्या पाई जा रही है वो है पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर। यह एक ऐसी मेडिकल कंडिशन है, जिसमें आमतौर पर रिप्रोडक्टिव उम्र की महिलाओं में हॉर्मोन में असंतुलन के कारण ये समस्या जन्म ले लेती है। इसमें महिला के शरीर में पुरुष हॉर्मोन एण्ड्रोजन का लेवल बढ़ जाता है व ओवरीज पर एक से ज्यादा सिस्ट बन जाती है, जिसके चलते गर्भधारण करने में समस्या का सामना करना पड़ता है।
पीसीओडी के लक्षण
अनचाही जगहों में बालों का विकास इस समस्या का सबसे पहला और बड़ा लक्षण है। महिला में पुरुष हॉर्मोन एण्ड्रोजन ज़्यादा बनने की वजह से शरीर में काफी बदलाव आ सकते हैं, जैसे कि चेहरे और शरीर के कई हिस्सों पर ज़्यादा बाल उगना। चेहरे या ठोड़ी, स्तनों, पेट, या अंगूठे और पैर की उंगलियों जैसे स्थानों पर अनचाहे बाल उग सकते हैं। वहीं इसके अलावा बालों का झड़ना भी इसमें आमतौर पर देखा गया है। शरीर में एण्ड्रोजन हॉर्मोन की मात्रा बढ़ने से सिर के बाल पतले हो सकते हैं और जिससे बालों का झड़ना बढ़ सकता है। पीसीओडी के कारण महिलाएं वजन बढ़ने की समस्या के साथ संघर्ष करती हैं या फिर उन्हें वजन कम करने में मुश्किलें होती हैं। पीसीओडी की इस समस्या में सोने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को इसमें हर समय थकान महसूस हो सकती है। साथ ही हॉर्मोन के परिवर्तन के कारण सिर दर्द की समस्या भी हो सकती है। इसका बड़ा स्वरूप यह भी है कि महिलाओं को गर्भवती होने में परेशानी होती है, पीसीओडी बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। वहीं पीरियड्स की समस्याएं या पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं या कई महीनों तक पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं।
पीसीओडी और फर्टिलिटी
पीसीओडी में आम तौर पर महिला को गर्भवती होने में परेशानी तथा हॉर्मोन परिवर्तन के कारण महिला के प्रजनन प्रणाली में समस्या उत्पन्न हो सकती है। साथ ही अंडाशय सामान्य से बड़े हो जाते हैं और सिस्ट भी बनने लगते हैं। एण्ड्रोजन के बढ़े हुए लेवल से अंडों के विकास और अंडों को नियमित रूप से अंडाशय से बाहर आने में दिक्कतें होती हैं, जिससे एक महिला की फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। यदि आपको पीसीओडी की समस्या है और आप गर्भवती होना चाहती हैं तो फर्टिलिटी विशेषज्ञ आपको सही दवाइयों की सलाह देगा। साथ ही नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड की मदद से आपकी जांच कर आईवीएफ की मदद से गर्भधारण करने की सलाह देगा।
अनियमित पीरियड्स
पीसीओडी बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। वहीं पीरियड्स की समस्याएं या पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं या कई महीनों तक पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं।
पीसीओडी का महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर असर
इस समस्या से जूझ रही अधिकतर महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्या देखने को मिलती है और अधिकतर मामलों में उनका इलाज नहीं हो पाता है। इस बिमारी के चलते शरीर का वजन बढ़ता है, जिसकी वजह से बहुत से लोगों को निराशा, शर्मिंदगी भी होती है। पीसीओडी से जूझ रही महिलाओं को मूड स्विंग, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, असंतुलित इमोशंस की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में महिला के पति और घरवालों की भूमिका अहम हो जाती है। उन्हें चाहिए कि वो इलाज के साथ-साथ महिला के मानसिक स्थिति का भी ख्याल करें, उसे समझें।
महिलाओं को चाहिए कि वो बिना हिचकिचाहट इसके बारे में खुल कर बात करें, परिवार वालों को इसके बारे में अवगत करवायें। डॉक्टर की सही सलाह पर चलें, साथ ही खुद भी मानसिक स्थिति को तनावपूर्ण न बनाते हुए समस्या के उपचार पर ध्यान दें। सकारात्मक सोच के साथ चलने से इस समस्या को ख़त्म किया जा सकता है। हमारे ही समाज में बहुत से लोग आपको ऐसे मिल जाएंगे जिन्होंने इस बिमारी से निजात पाया है। संयम और सकारात्मक सोच के साथ ही इस समस्या से लड़ा जा सकता है।
