Chidambaram Temple
Chidambaram Temple

Chidambaram Temple: आदि देव शिव के विभिन्न रूप एवं नाम हैं। उनका ऐसा ही एक रूप है नटराज। शिव का नटराज रूपी मंदिर दक्षिण भारत की हसीन वादियों, चिदम्बरम् में स्थित है। क्या है मंदिर का माहात्म्य? आइए जानते हैं लेख से।

तमिलनाडु में स्थित चिदम्बरम्ती र्थ सुप्रसिद्ध नटराज शिव मूर्ति के लिए संपूर्ण भारत में विख्यात है। भगवान शंकर के पंचतत्व लिंगों में ”आकाश तत्त्व लिंग चिदम्बरम् को ही माना जाता है।
चिदम्बरम् में स्थित नटराज मन्दिर, जिसका निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों द्वारा नौवीं शताब्दी के चोल राजाओं के शासन काल में हुआ था। यह मंदिर बत्तीस एकड़ जमीन पर अपनी विशालता के लिए संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है।

नटराज मंदिर एक के बाद एक चार बड़े घेरों में स्थित है। पहले घेरे के पश्चात ऊंचे गोपुर दूसरे घेरे में मिलते हैं। पहले घेरे में छोटे गोपुर हैं, दूसरे घेरे के गोपुर नौ मंजिल के हैं, उन गोपुर पर नाट्य शास्त्रानुसार विभिन्न नृत्य मुद्राओं की मूर्तियां बनी हुई हैं। इन गोपुरों में प्रवेश करने पर एक और घेरा मिलता है। दक्षिण के गोपुर से अंदर प्रवेश करें तो तीसरे घेरे के द्वार के पास गणेश जी का मंदिर है। गोपुर के सामने उत्तर दिशा में
एक छोटे मंदिर में नंदी की विशाल प्रतिमा है। इसके आगे नटराज मंदिर का घेरा है। यह मंदिर भी दो घेरों के अंदर स्थित है। घेरे की दीवारों पर नंदी की मूर्तियां थोड़ी-थोड़ी दूर पर बनी हैं। इस चौथे घेरे में अनेक छोटे-छोटे मंदिर हैं।
नटराज मंदिर चौथे घेरे को पार करके पांचवे घेरे में है। नटराज मंदिर के सामने सभा मण्डप है।
आगे एक स्वर्ण मण्डित स्तम्भ है। नटराज सभा के स्तम्भों में सुंदर मूर्तियां बनी हुई हैं। आगे एक आंगन में मध्य में कसौटी के काले पत्थर का श्री नटराज का मंदिर है जिसके शिखर पर स्वर्ण पत्र चढ़ा है। मंदिर का द्वार दक्षिण दिशा में है। मंदिर में नृत्य करते हुए भगवान शिव की आकर्षक एवं भव्य मूर्ति है। यह मूर्ति स्वर्ण की है। इस मूर्ति के पास ही पार्वती, तम्बरू, नारद जी आदि की कई छोटी स्वर्ण मूर्तियां हैं। श्री नटराज के दाहिनीं ओर काली भित्ति में एक यंत्र खुदा है जहां सोने की मालाएं लटकी रहती हैं। यह नीला शून्याकार ही आकाश तत्वलिंग माना जाता है। इस
स्थान पर प्राय: परदा पड़ा रहता है। लगभग ग्यारह बजे दिन में अभिषेक के समय तथा रात्रि में अभिषेक के समय इसके दर्शन होते हैं। यहां सम्पुट में रखे
दो शिवलिंग हैं – एक स्फटिक का और दूसरा नीलमणि का। इनके अतिरिक्त एक बड़ा सा दक्षिणावर्त शंख हैं, इनके दर्शन अभिषेक पूजन के समय दिन में लगभग 11 बजे होते हैं। स्फटिक मणि की मूर्ति को चंद्रमौलीश्वर तथा नीलम की मूर्ति को रत्न सभापति कहते हैं।

Chidambaram Temple
Govind Raj Mandir

नटराज मंदिर से लगा हुआ श्री गोविन्द राज का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की सुंदर शेषशायी मूर्ति है, यहीं पर लक्ष्मी जी की तथा अन्य कई दूसरी छोटी मूर्तियां भी हैं। श्री गोविन्दराज मंदिर के बगल में ही भगवती जी का मंदिर है इसमें ‘पुण्डरी कवल्ली’ नामक लक्ष्मी जी की सुंदर मूर्ति स्थापित है। नटराज मंदिर के चौथे घेरे में ही एक मूर्ति भगवान शंकर की है। शंकर जी के बायीं ओर गोद में माता पार्वती विराजमान है। यहीं हनुमान जी की चांदी की मूर्ति है। एक घेरे में नवग्रह स्थापित हैं और एक स्थान पर चौसठ योगिनियों की मूर्ति है। यहां चौथे घेरे के दक्षिण-पश्चिम दिशा में नाट्येश्वरी की मूर्ति है।

श्री नटराज मंदिर के घेरे के बाहर उत्तर में एक मंदिर है। कई डयोढ़ी के अंदर भगवान शिव का लिंगमय विग्रह है।
यहीं चिदम्बरम् का मूल विग्रह है। महर्षि व्याघ्रपाद तथा पतंजलि ने इसी मूर्ति की आराधना की थी। उनकी पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने यहीं प्रकट होकर तांडव नृत्य किया था। इसी नृत्य की स्मृति में यहां नटराज मूर्ति की स्थापना हुई थी। इस मंदिर में एक और पार्वती की मूर्ति विराजमान है। श्री नटराज मंदिर के दोनों घेरों से बाहर निकलने पर ‘शिव गंगा सरोवर’ मिलता है। इसे हम पुष्करिणी भी कहते हैं।
‘शिव गंगा सरोवर’ के पश्चिम में पार्वती मंदिर है। पार्वती जी को यहां शिव-काम सुंदरी कहते हैं। यह मंदिर
नटराज मंदिर से बिल्कुल अलग है। तीन ड्योढ़ी अंदर जाने पर भगवती पार्वती के दर्शन होते हैं, पार्वती मंदिर के पास ही सुब्रह्मïण्यम् का मंदिर है इस मंदिर के बाहर एक मयूर की मूर्ति बनी है। सभा मण्डप में भगवान सुब्रह्मïण्यम् की लीलाओं के अनेक सुंदर चित्र दीवारों पर ऊपर की ओर अंकित हैं। मंदिर में स्वामी कार्तिकेय की भव्य मूर्ति है। गंगा सरोवर से पूर्व एक पुराना सभा मण्डप है। इसे ‘सहस्त्र स्तम्भ मण्डपम्’ कहते हैं। वर्तमान में यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। चिदम्बरम् मंदिर के घेरे में एक ओर एक धोबी, एक चाण्डाल तथा दो शूद्रों की मूर्तियां हैं। कहा जाता है कि इन शिव भक्तों को भगवान शंकर ने दर्शन दिए थे। चिदम्बरम् में संध्याकालीन
आरती के समय मंत्रों का गुंजन शंख, घण्टों का निनाद व आरती की दीप शिखायें पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती
हैं।

चिदम्बरम्, दक्षिण रेलवे के चेन्नई- एगमोर-तिरुचिरापल्ली-रामेश्वरम्रे लमार्ग पर तमिलनाडु की राजधानी
चेन्नई से लगभग 244 कि.मी. पर स्थित है। चिदम्बरम् बस यातायात से दक्षिण भारत के सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है। चिदम्बरम् का निकटतम हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली में है जो कि चिदम्बरम्से लगभग 160 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।

चिदम्बरम् में पर्यटकों के ठहरने के लिए होटल, लॉज एवं कई धर्मशालाएं उपलब्ध हैं।