Bakrid 2023: ईद के बाद अगर मुस्लिम समुदाय में कोई अगर प्रमुख त्योहार होता हे तो वह बकराईद का होता है। मुस्लिम कैलेंडर के जु-अल-हज्जा महीने के दस तारीख को बकरीद हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाती है। मीठी ईद पर सैवइयों की धूम होती है तो बकरीद पर नॉनवेज की बहार होती है। इस दिन भी मीठी ईद की तरह ही सुबह ईदगाह और मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं और उसके बाद घर आकर वह कुर्बानी करते हैं। हालांकि हममें से बहुत लोग सोचते हैं कि यह नॉनवेज को एंजॉय करने का त्योहार है। लेकिन असल में यह समर्पण और अल्लाह की राह में कुर्बानी देने का एक जरिया है। ईद की तरह ही बकरीद भी तीन दिन तक सेलिब्रेट होती है। इस साल की बात करें तो यह 29 या 30 जून को होगी। बकरीद को ईद-उल अजहा भी कहा जाता है।
इसलिए दी जाती है कुर्बानी

जानवर की कुर्बानी देने के पीछे एक ईस्लामिक मान्यता है। अल्लाह के हुक्म पर हजरत इब्राहीम अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने जा रहे थे। हुआ यों था कि उन्हें बहुत दिनों से सपना आ रहा था कि आप अल्लाह के लिए कोई प्यारी चीज कुर्बान करें। उन्होंने अपना पैसा और बहुत सी चीजें अल्लाह की राह में लगाईं। लेकिन सपना आना जारी रहा। आखिर में उनके पास अपने बेटे बचे थे। वो बेटे जो उन्हें बहुत प्यारे थे और बहुत दुआओं के बाद हुए थे। वो एक पिता थे लेकिन अल्लाह का हुक्म सिर आंखों पर था। उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांधी और छुरी फेरी लेकिन अल्लाह के फरिश्तों ने उनकी जगह दुंबा(भेड़) रख दिया। उस दिन के बाद से कुर्बानी देने की परंपरा शुरु हुई जो आज तक जारी है। इस्लाम धर्म के लोग मानते हैं कि हमने इसे अल्लाह की राह में कुर्बान किया। यह जानवर हमें पुल सिरात पार करवाने में मदद करेगा।
क्या है पुल सिरात
इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार एक दिन दुनिया खत्म होगी वो दिन कयामत का दिन होगा। माना जाता है कि उस दिन हिसाब-किताब के बाद आप अपने कर्मों का लेखा-जोखा लेकर पुल सिरात को पार करेंगे। जो लोग जन्नत के हकदार होंगे वो पुलिसिरात को पार करेंगे और दोजख पाने वाले इस पुल को पार नहीं कर पाएंगे। इस पुल को पार करने में वो जानवर आपकी मदद करेंगे जिन्हें आपने अपने अल्लाह की राह में कुर्बान किया था। बता दें कि पुल सिरात जहन्नम के पुस्त पर बना हुआ एक पुल है। यह बाल से भी बारीक और तलवार की धार से भी तेज है।
इस्लाम में फर्ज है कुर्बानी

बकरीद पर लोग जानवर की कुर्बानी करते हैं। उस जानवर को बहुत लाड़-प्यार से पाला जाता है और कुर्बानी के वक्त आंखों में आंसू भी होते हैं। जिस जानवर को कुर्बान किया जाता है लोग उसकी बहुत इज्जत करते हैं। जो उसका मांस निकलता है सिर्फ इंसान के अकेले के लिए नहीं होता। इसके तीन हिस्से होते हैं। पहला हिस्सा आपका, दूसरा आपके रिश्तेदारों का तीसरा गरीबों का। गौरतलब है कि कुर्बानी इस्लाम में फर्ज है लेकिन यह केवल उन्हीं लोगों पर फर्ज है जो कि आर्थिक रुप से इसे करने का माद्दा रखते हैं। अगर आपके पैसे नहीं है तो कोई पाप नहीं लगेगा। वैसे तो खाने-पीने का अपना एक मजा है लेकिन जब आप कुर्बानी वाला नॉनवेज खाते हैं तो स्वाद से पहले उसका सम्मान प्राथमिकता पर होता है।