महाकाल के नगर उज्जैन को मंदिरों का नगर कहा जाता है। उज्जैन स्तिथ काल भैरव मंदिर की बहुत बड़ी मान्यता है। यहां भगवान काल भैरव साक्षात रूप में मदिरा पान करते है। जैसे ही शराब से भरे प्याले काल भैरव की मूर्ति के मुंह से लगाते है तो देखते ही देखते वो शराब के प्याले खाली हो जाते है। कहा जाता है कि बाबा काल भैरव को ये वरदान है कि शिव से पहले उनकी पूजा होगी इसलिए 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकालेश्वर जी के दर्शन के साथ ही भक्त महाकाल भैरव के भी दर्शन जरूर करते हैं।
इस मंदिर का निर्माण राजा भद्रसेन ने करवाया था। मंदिर में भैरव बाबा की विशाल मूर्ति है। इस प्रतिमा के चमत्कार की चर्चा दूर-दूर तक है क्योंकि यहां बाबा पलक झपकते ही सारी शराब प्रसाद रूप में ग्रहण कर लेते हैं। दिन भर चढ़ने वाली शराब जाती कहां है? ये एक रहस्य है। आज तक इस बात का पता नहीं चल पाया यहां मंदिर के आस-पास की दुकानों में शराब ही मिलती है। लोगों का मानना है कि शराब के प्रसाद से बाबा जल्दी खुश हो जाते हैं। इस मंदिर को हजारों साल पुराना कहा जाता है। यहां भक्त तंत्र साधना भी करते हैं।
बाबा भैरव की पूजा की तीन विधियां हैं। सात्विक, तामसिक, राजसी। सात्विक पूजा के अंदर बाबा को गंध, दीप, अक्षत, रोली, पुष्प, फल, नारियल का भोग लगाते हैं। राजसी पूजा में उपरोक्त सभी चीजों के साथ पशु बलि भी दी जाती है व तामसिक पूजा में उपरोक्त सभी चीजों के साथ शराब व पशु बलि व शास्त्रीय गायन भी सुनाया जाता है। परन्तु तामसिक पूजा किसी विशिष्टï ज्ञानी गुरु के सान्निध्य में ही की जाती है। इसलिए सबसे सुलझी पूजा सात्विक ही मानी जाती है। जिस तरह इन पूजाओं के विधान अलग हैं उसी तरह इनके प्रभाव भी अलग हैं। जैसे-
सात्विक पूजा- के लाभ से अकाल मृत्यु का नाश, आयु वृद्धि, आरोग्य वृद्धि होती है।
राजसी पूजा- के लाभ से धर्म ज्ञान की वृद्धि, धन की वृद्धि होती है और सम्मान व सुख-सुविधाएं भी बढ़ती हैं।
तामसिक पूजा- के लाभ से शत्रु दमन, भूत-प्रेत बाधा से बचाव होता है। रविवार व मंगलवार को भैरव जी की पूजा का दिन माना जाता है।
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