बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न ब्रह्मर्षि सुभाष पत्री जी एक आध्यात्मिक वैज्ञानिक हैं। वह एक अच्छे वक्ता, मित्र, लेखक, सक्षम व्यवस्थापक, निपुण बांसुरी वादक तथा अच्छे गायक भी हैं। पत्री जी ने विश्व को ध्यान जगत, शाकाहार जगत और पिरामिड जगत बनाने का संकल्प लिया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने ‘पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज मूवमेंट’ की स्थापना की और अपना पूरा समय ध्यान प्रचार को समर्पित कर दिया। पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज मूवमेंट आधुनिक युग की आध्यात्मिक एवं स्वयं सेवी संस्था है जिसका मुख्य उद्देश्य ध्यान, शाकाहार, पिरामिड ऊर्जा और आध्यात्मिक विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना है।

जीवन परिचय

सुभाष पत्री जी का जन्म आन्ध्रप्रदेश के निजामाबाद जिले के शक्करनगर में 1947 में हुआ। आपके पिताजी का नाम रमणराव तथा माता का नाम सावित्री देवी था। आरंभिक शिक्षा बोधन तथा सिकन्दराबाद में हुई। 1947 में उस्मानिया यूनिवर्सिटी से सोशल साइंस में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने के बाद 1975 में उन्होंने एक बहुराष्ट्रीय खाद कम्पनी में सेवा करना शुरू किया। 1974 में ही उन्होंने स्वर्णमाला जी से विवाह कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया। परिणिता और परिमला नाम की दो पुत्रियों के पिता भी बने।

1976 में मित्र रामचेन्ना रेड्डी के द्वारा अध्यात्म से परिचय हुआ। 1979 में गत जन्मों की स्मृतियां शुरू हुईं। 1981 से 1983 तक सदानंद योगी जी से परिचय और सेवा करने का भाग्य मिला। तब से आध्यात्मिक प्रचार का आरंभ। अब एक ही लक्ष्य है- सभी को योगी व ज्ञानी बनाकर रूपान्तरित कर देना।

कैसे हुई शुरुआत?

पत्री जी 50 हजार से अधिक पुस्तकें ध्यान विज्ञान और आध्यात्मिकता पर पढ़ चुके हैं और इस ज्ञान द्वारा संसार को लाभान्वित कर रहे हैं। 1990 में उन्होंने कर्नूल में कर्नूल स्पिरिचुअल सोसाइटी की स्थापना की जिसका लक्ष्य था आध्यात्मिकता के प्रति समस्त मानवता में जागृति पैदा करना ताकि सभी लोग इसका लाभ उठा कर शारीरिक, मानसिक और बौद्घिक विकास प्राप्त कर सकें। 

कुरनुल में पहला पिरामिड 1991 में स्थापित कराया, 1996 में उतवकोंडा में दूसरा पिरामिड बनवाया गया और फिर तो आन्ध्रप्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर अनेक पिरामिड बने और विश्व भर में पिरामिड ध्यान की चर्चा शुरू हुई। 1992 में अपने पद से त्यागपत्र देने के बाद उन्होंने स्वयं को मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। इसके फलस्वरूप देश भर में सैकड़ों की संख्या में पिरामिड ध्यान केंद्र अब तक स्थापित हो चुके हैं और लाखों की संख्या में पिरामिड मास्टर्स भी तैयार हो चुके हैं।

उपलब्धियां

पत्री जी ने 60 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। अनेक ‘ऑडियो विडियो सीडियां’ भी तैयार हो चुकी हैं। अनेक पत्रिकाओं द्वारा आध्यात्मिक साहित्य का निरंतर विकास भी हो रहा है। 1997 में उन्हें तिरुपति में ब्रह्मर्षि की उपाधि से विभूषित किया गया। देश-विदेश में अलग-अलग स्थानों पर जा कर वे ध्यान, शाकाहारवाद तथा नवयुग आध्यात्मिक विज्ञान के अलग-अलग विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित करते रहते हैं। वे स्वयं एक अच्छे गायक और बांसुरीवादक हैं तथा ध्यान को संगीत के साथ जोड़ कर एक नूतन ध्यानपद्घति को उन्होंने विकसित किया है। आरोग्यधाम द्वारा उन्हें ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से भी नवाजा जा चुका है। 

पत्री जी पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटी की ओर से हर वर्ष ‘ग्लोबल कांग्रेस ऑफ स्पिरिचुअल साइंस’ का आयोजन करते हैं और प्रकृति के बीच रहने की जीवनशैली का विकास करने हेतु समय-समय पर पर्वतारोहण अभियानों में सम्मिलित होते हैं। उनका लक्ष्य है 2012 तक समस्त विश्व को ‘ध्यान जगत’ में परिवर्तित कर देना और इस लक्ष्य को पाने में समस्त पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटी उनके साथ है। बैंगलूरु में पिरामिड वैली में एशिया का सबसे बड़ा पिरामिड बनवाना उनकी बड़ी उपलब्धि है।

क्या है पिरामिड और पिरामिड ध्यान?

पिरामिड ध्यान के बारे में बताते हुए पत्री जी कहते हैं कि पिरामिड दो शब्दों से बना है- पायरा + मिड। पायरा अर्थात अग्नि, मिड यानी मध्य अर्थात् ऐसी आकृति जिसके मध्य में अग्नि है। पिरामिड रहस्यमय ज्यामितीय ढांचा है जो धरती पर अधिकतम विश्व ऊर्जा ग्रहण करता है। पिरामिड वैज्ञानिक आधार पर अभिकल्पित ऐसा यंत्र है जिसमें समग्र नक्षत्र, ग्रह, सूर्य, पृथ्वी, जल, चुम्बकीय ऊर्जा, दिव्य ऊर्जा, शरीर, मन, आत्मा और जीवन शक्ति सबका पूर्ण ज्ञान निहित है। पत्री जी बताते हैं, मैंने 1990 में पिरामिड ऊर्जा के अनेक प्रयोग किए थे। मैंने एक बैंगन पिरामिड के अंदर रखा और एक बैंगन पिरामिड के बाहर रखा। बाहर वाला बैंगन 5 दिन में खराब हो गया जबकि पिरामिड के अंदर वाला बैंगन 30 दिन तक ठीक रहा, उसकी सब्जी बनायी जो बहुत स्वादिष्ट थी। इतना ही नहीं मैंने अपने शेविंग ब्लेड्स को भी पिरामिड के अंदर रखकर देखा। वह ब्लेड 30 दिन तक चलता था। तत्पश्चात् मैंने ध्यान के लिए पिरामिड बनवाएं।

पिरामिड एक वैज्ञानिक चिह्न है। पिरामिड का स्वर्णिम कोण 51 डिग्री है। इस कोण की वजह से पिरामिड ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अक्षय भण्डार है। पिरामिड की 1/3 ऊंचाई पर सबसे ज्यादा ऊर्जा एकत्रित होती है। इस स्थान को किंग्स चैम्बर (शाही कक्ष) कहा जाता है। यहां पर ध्यान करने से अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह स्थान अति महत्त्वपूर्ण और आतंरिक रहस्यों को प्रकट करने वाली कुंजी है। किंग्स चैम्बर के नीचे क्वींस चैम्बर होता है। पिरामिड के अंदर जो भी वस्तु रखी जाती है उसकी अणु गुणवत्ता बनी रहती है। पिरामिड के नीचे या उसके अंदर बैठकर ध्यान करने से ध्यान की अवस्था में साधकों को गहनतम अनुभूति होती है।

पिरामिड शक्ति विश्व ऊर्जा तथा पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के सम्मिश्रण से प्राप्त की गयी है। पिरामिड के अंदर ऐसी शक्ति है जो मानव के भौतिक और परा-भौतिक शरीरों पर काम करती है। पिरामिड शरीर के तंतुओं को नवजीवन प्रदान करने का कार्य शीघ्रता से करता है। इस ऊर्जा से ना केवल मनुष्य में रोग सुधारक क्षमता बढ़ जाती है बल्कि पशु-पक्षी, पौधे और अन्य सजीव एवं निर्जीव व वस्तुओं के लिए भी उपयोगी है।

पिरामिड वातावरण में स्थित ब्रह्माण्डीय ऊर्जा को उसके नीचे रखी किसी भी सामग्री में समाविष्ट कर देता है। यह ऊर्जा की तरंगें खुली आंखों से दिखाई नहीं देतीं लेकिन जड़-चेतना पर इसका प्रभाव देखा जा सकता है।

यह ऊर्जा पदार्थ को लम्बे समय तक सुरक्षित रखती है।

पदार्थ में स्थित अनावश्यक जल को सोख लेती है।

जीवित कोषों वाले पदार्थों को सड़ने से बचाती है।

अशुद्धियों  को दूर करती है।

एकाग्रता प्रदान करती है।

हानिकारक विषाणुओं और अन्य जीवाणुओं को नष्ट’ करती है।

पिरामिड ऊर्जा की सहायता से कम खर्च में शारीरिक पीड़ाओं रोगों तथा दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है। 

पिरामिड के प्रकार

पिरामिड कैप: इसे पहन कर ध्यान करने से मन जल्दी शून्यावस्था को प्राप्त होता है और एकाग्रता बढ़ती है।

वाटर पिरामिड: पानी के बर्तन के ऊपर पिरामिड रखने या पिरामिड के अन्दर रखा पानी पीने से पेट की बिमारियां दूर हो जाती हैं।

नी कैप: यह घुटनों में पहनने से घुटनों और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

आई पिरामिड: इसे पहन कर ध्यान करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखों की बिमारियां ठीक होती हैं।

फ्रूट पिरामिड: पिरामिड के अंदर रखी फल सब्जियां ताजी रहती हैं और स्वाद में कई गुना वृद्घि होती है।

बेड पिरामिड: पलंग के ऊपर इसे लगाने से नींद अच्छी आती है। नींद की गोली छूट जाती है और शरीर को आराम मिलता है।

पिरामिड ध्यान और उसके लाभ

पिरामिड ध्यान पत्रीजी की अनुपम देन है। पिरामिड के अंदर या पिरामिड के नीचे बैठ कर किया जाने वाला ध्यान पिरामिड ध्यान कहलाता है। पिरामिड में ध्यान करने से तीन गुना अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है और मन जल्दी विचार शून्य हो जाता है। विचारों से शून्य मन शांत, स्थिर और सृजनात्मक होता है।

पिरामिड ध्यान से मेलाटोनिन और सेराटोनिन नामक हार्मोन जो पीनियल ग्लैंड और पिट्यूटरी ग्लैंड में बनता है वह बढ़ जाता है। यह हार्मोन तनाव, कैंसर और बुढ़ापे का प्रतिरोधक है। इस हार्मोन से मस्तिष्क का दायां भाग अधिक क्रियाशर्फ हो जाता है। क्रिलियन फोटोग्राफी द्वारा ध्यानियों के ऊर्जा क्षेत्र को ध्यान के पूर्व और ध्यान के पश्चात नाप कर देखा गया है।

पिरामिड के अंदर ध्यान करने से असीम शांति और आनंद मिलता है।

वजन हीनता का अनुभव होता है।

शरीर में ऊर्जा की तरंगों से झुनझुनाहट महसूस होती है।

विभिन्न रंग या आकार दिखाई देते हैं।

थकान जल्दी दूर हो जाती है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।

इच्छा शक्ति दृढ़ होती है।

जटिल समस्याओं का समाधान मिल जाता है।

मन तनाव से मुक्त हो जाता है।

समय के पार जाने और अधिक गहरे ध्यान का अनुभव होता है।

उपचार : अनेक शोधकर्ताओं ने रोगियों पर किए गए परीक्षणों से सिद्घ किया है कि पिरामिड के इस्तेमाल से रोगी स्वस्थ हो जाता है। कनाडा के एक हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने जले हुए मरीजों के वार्ड में पिरामिड ऊर्जा का उपयोग किया। जिन मरीजों को पिरामिड के नीचे रखा गया वह जल्दी स्वस्थ हो गए। बीमारी या ऑपरेशन के बाद शरीर को पुन: स्वस्थ होने में समय लगता है। यदि ज्यादा से ज्यादा समय पिरामिड के नीचे बिताया जाए तो पिरामिड द्वारा संचारित प्राण ऊर्जा से जीवन शक्ति में वृद्घि होती है और इसके चमत्कारी परिणाम होते हैं।

स्वयं के लिए परामिड का निर्माण कैसे करें?

पिरामिड के निर्माण के लिए आधार (base) पता होने पर किनारा (side) ऊंचाई (height) और शाही कक्ष की गणना की जा सकती है।

पिरामिड माप गणना सूत्र (formula) –

किनारा  (Side) = आधार X 0.951

ऊंचाई (Hight) = आधार X 0.636

शाही कक्ष की ऊंचाई = Hight X 1/3

इस गणना के आधार पर पिरामिड का –

कोण 51० 52′ हो जाता है।

उदाहरण : आधार = 10 फीट

किनारा = 9.15 फीट, 

ऊंचाई = 6.360 फीट

शाही कक्ष की ऊंचाई = आधार

से 2.12 फीट 

माप (फीट)

आधार 15, 20, 30, 40 

किनारा 14.26, 19.03, 28.55, 38.07

ऊंचाई 9.56, 12.74, 19.11, 25.48

केसीएच 3.19, 4.24, 6.37, 8.49

पिरामिड किसी भी सामग्री से बनाया जा सकता है। सुविधा के अनुसार प्रवेश द्वार लगाए जा सकते हैं। पिरामिड में ऊर्जा को बढ़ाने के लिए शीर्ष पर क्रिस्टल लगाया जा सकता है।