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बच्चों को असफलता स्वीकारना है जरूरी, माता-पिता ऐसे समझाएं

Parenting Tips : बच्चों के लिए सफलता जितना जरूरी है, असफलता को स्वीकार करना ही उतना ही आवश्यक। इसलिए हर माता-पिता को अपने बच्चों को अंदर इस चीज को लेकर शिक्षा देना जरूरी होता है। आइए जानते हैं बच्चों को असफलता स्वीकार करना कैसे सिखाएं?

Parenting Tips : बच्चों के विकास में असफलता को स्वीकारना एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। अक्सर माता-पिता बच्चों को असफलता से बचाने की कोशिश में उन्हें जीवन के जरूरी सबक सिखाने से चूक जाते हैं। असफलता से सीखने की कला न केवल बच्चों को लचीला बनाती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भी बनाती है।

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बच्चों को असफलता यह सिखाती है कि गलती करना ठीक है और उनसे सीखकर आगे बढ़ना जरूरी है।
असफलता का अनुभव उन्हें यह समझने में मदद करता है कि हर स्थिति उनके नियंत्रण में नहीं होती।
असफलता से निपटने की प्रक्रिया में बच्चे समस्याओं का समाधान करना और नए तरीके अपनाना सीखते हैं।
बच्चे के अंदर आत्मनिर्भरता विकसित करने के लिए असफलता स्वीकार करना बहुत ही जरूरी होता है। क्योंकि असफलता भविष्य में कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।

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खुद उदाहरण बनें

माता-पिता को अपने अनुभवों को साझा करना चाहिए। यदि आपने किसी असफलता से कुछ सीखा है, तो बच्चों को वह कहानी बताएं। अपने प्रयासों और उनसे मिली सीख पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि बच्चे समझ सकें कि असफलता भी जीवन का हिस्सा है।

असफलता को सामान्य बनाएं

बच्चों को यह समझाएं कि असफल होना एक सामान्य प्रक्रिया है और यह हर किसी के साथ होता है। असफलता को शर्मिंदगी की जगह एक सीखने का अवसर बताएं।

प्रयास की सराहना करें

बच्चों को उनके परिणामों के बजाय उनके प्रयासों के लिए सराहें। जैसे, अगर बच्चा परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया, तो उसकी तैयारी और मेहनत को महत्व दें।

समझाएं कि हर जीत महत्वपूर्ण नहीं होती

बच्चों को सिखाएं कि हर बार जीतना जरूरी नहीं है। उन्हें यह बताएं कि उनकी व्यक्तिगत विकास और उनके द्वारा सीखी गई चीजें जीत से अधिक महत्वपूर्ण हैं।

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सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं

असफलता के बाद बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे इसे सुधारने का मौका मानें। उनके लिए छोटे लक्ष्य निर्धारित करें ताकि वे आत्मविश्वास महसूस करें

सहानुभूति दिखाएं

बच्चों के भावनाओं को समझें और उन्हें व्यक्त करने का मौका दें। उनकी भावनाओं को खारिज करने के बजाय, उन्हें यह बताएं कि आप उनकी स्थिति को समझते हैं और उनके साथ हैं।

  • बच्चों को ऐसा खेल खेलने दें जिसमें हार-जीत हो। हारने के बाद उन्हें समझाएं कि यह सिर्फ एक खेल है, और अगली बार वे बेहतर कर सकते हैं।
  • बच्चों को ऐसी गतिविधियों में शामिल करें जहां वे गलतियां करें और खुद उन्हें सुधारें। उदाहरण: पजल्स, वैज्ञानिक प्रयोग, या रचनात्मक कला।
  • बच्चों को ऐसी कहानियां सुनाएं जहां नायक असफलता से सीखकर सफलता प्राप्त करता है। यह उन्हें प्रेरित करेगा कि असफलता अंत नहीं है।
  • माता-पिता का उद्देश्य बच्चों को परिपूर्ण बनाना नहीं, बल्कि उन्हें यह सिखाना होना चाहिए कि असफलता का सामना कैसे किया जाए। जब बच्चे असफलता को स्वीकार करना और उससे सीखना सीखते हैं, तो वे जीवन में अधिक आत्मनिर्भर, सशक्त और सफल बनते हैं। बच्चों के प्रति धैर्य और सहानुभूति दिखाकर उन्हें यह अनमोल सबक सिखाना हर माता-पिता की जिम्मेदारी है।

निक्की मिश्रा पिछले 8 सालों से हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लिख रही हैं। उन्होंने ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स में एमए और भारतीय विद्या भवन से जर्नलिज़्म की पढ़ाई की है। लिखना उनके लिए सिर्फ एक प्रोफेशन...