बच्चों में मेंटल इलनेस के हो सकते हैं यह 5 संकेत: Child Mental Illness
Child Mental Illness

Child Mental Illness: हम ऐसा मानते हैं कि मेंटल हेल्थ इशूज केवल वयस्कों को ही हो सकते हैं. लेकिन, ऐसा नहीं है. बच्चे भी कई मेंटल इश्यूज से गुजर सकते हैं. ऐसा पाया गया है कि हमारे देश में लगभग बारह प्रतिशत बच्चे बिहेवियरल प्रॉब्लम्स और मेंटल हेल्थ इश्यूज का सामना करते हैं. ऐसे में माता-पिता के लिए बहुत जरूरी है कि वो अपने बच्चों में इसके लक्षणों यानी संकेतों को पहचानें और समय रहते इनका ट्रीटमेंट हो सके. क्योंकि, यह समस्याएं बच्चे के पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती हैं. आइए जानें कि बच्चों में मेंटल इलनेस के कौन से संकेत नजर आ सकते हैं. 

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Child Mental Illness:बच्चों में मेंटल इलनेस के संकेत

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Child Mental Illness Symptoms

अगर बात की जाए मेंटल इलनेस या मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर की, तो कई कंडीशंस मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकती हैं. मेंटल डिसऑर्डर रोगी के मूड, थिंकिंग और बिहेवियर आदि पर भी असर ड़ाल सकते हैं. जानिए बच्चों में मेंटल इलनेस के संकेत क्या हो सकते हैं:

  • फिजिकल प्रॉब्लम्स– अगर आपका बच्चा बार-बार शारीरिक समस्याओं जैसे मसल टेंशन, दर्द, सिरदर्द, इंसोम्निया आदि का अनुभव करता है, तो यह मेंटल हेल्थ इशूज का संकेत हो सकता है. एंग्जायटी के कारण उसे पेट में दर्द, कंसंट्रेशन में समस्या आदि परेशानियां भी हो सकती हैं. अगर आपका बच्चा बार-बार इन समस्याओं की शिकायत करता है, तो तुरंत डॉक्टर की राय लें. 
  • अधिक ड़र या रोना– आपके बच्चे का बहुत अधिक डरना एंग्जायटी के कारण हो सकता है. जो बच्चे ट्रॉमेटिक इवेंट्स का अनुभव करते हैं, वो बहुत अधिक डरते और रोते हैं. इससे उनकी मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है.
  • जिद्द– हालांकि, बच्चों का जिद्दी होना और हर चीज में नखरे दिखाना सामान्य है. लेकिन, अगर ऐसा रोज हो रहा हो और आपके बच्चे के व्यवहार में एकदम से बहुत बड़ा बदलाव आया हो, तो ऐसे में सबसे पहले अपने बच्चे से इस बारे में बात करें और फिर डॉक्टर से सलाह लें.
  • भूख और वजन में बदलाव– भूख और वजन में बहुत अधिक बदलाव भी डिप्रेशन का संकेत हो सकता है. इससे बच्चे की डेली एक्टिविटीज में बाधा आ सकती है. 
  • स्कूल परफॉरमेंस- अगर आपका बच्चा पढ़ाई में अच्छा है, लेकिन आप अचानक उसकी परफॉरमेंस में चेंजेज महसूस करें तो इसे हल्के में कभी न लें. क्लास में ध्यान न लगा पाना, क्लासिस स्किप करना, अन्य एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट न करना आदि भी स्ट्रेस का संकेत हो सकते हैं. इसके लिए भी आप पहले बच्चे और उसके अध्यापक से बात करके समस्या को जानने की कोशिश करें. अगर समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टर या किसी एक्सपर्ट से बात करना न भूलें.